tag:blogger.com,1999:blog-2884095429375378267.post5468286074237183097..comments2023-09-03T03:32:57.985-07:00Comments on अविराम: अविराम के अंकउमेश महादोषीhttp://www.blogger.com/profile/17022330427080722584noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2884095429375378267.post-74068239256397892632012-08-17T01:41:08.418-07:002012-08-17T01:41:08.418-07:00दिसम्बर अंक पर देर से प्राप्त प्रतिक्रियाएं
डॉ. म...दिसम्बर अंक पर देर से प्राप्त प्रतिक्रियाएं<br /><br />डॉ. मधुर नज्मी, काव्यमुखी साहित्य अकादमी, आदर्शनगर, गोहना मुहम्मदाबाद, जिला मऊ-276403 (उ.प्र.) <br />...... ‘अविराम’ का दिसम्बर अंक मुझे पहली बार नसीब हुआ। पत्रिका अनेकशः सधे हुए कलमकारों का सानिध्य -सौजन्य पाकर साहित्य को स्वागतेय दिशा दे रही है। युगीन ज़रूरत की मर्मी कविताओं, लघुकथाओं की मनोरम समन्विति से भरपूर ‘अविराम’ का भविष्य, इसके वर्तमान को देखते हुए काफी सम्भावनाओं की दमदार गवाही है।..... उमेश महादोषीhttps://www.blogger.com/profile/17022330427080722584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2884095429375378267.post-53390553637489634472012-02-05T08:25:24.365-08:002012-02-05T08:25:24.365-08:00अंक 10 पर प्राप्त कुछ और पत्र
चन्द्रकान्त दीक्षि...अंक 10 पर प्राप्त कुछ और पत्र<br /><br /><br />चन्द्रकान्त दीक्षित, सटई रोड, संध्या विहार कालोनी के पीछे, छतरपुर-471001(म.प्र.) <br />.....लघुकथाएँ बहुत मार्मिक एवं हृदय को छूने वाली हैं। ‘सबसे सुन्दर हाथ’ कविता भी मन को छू जाती है। वैसे सभी रचनाएँ ऐसी हैं कि एक बार वाचन प्रारम्भ करने पर पाठक अंतिम पृष्ठ तक पहुँचे वगैर नहीं रहता।....<br /> <br />खुदेजा खान, धर्मपुरा,चित्रकूट रोड, जगदलपुर (म.प्र.)<br />हमेशा की तरह अविराम अपने 54 पन्नो में बहुत कुछ समेटे हुए है. ‘पद्य’ का भाग सशक्त रहता है. अनेकानेक लघुकथाए व कहानियां भी अपनी ओर ध्यान खींचती हैं. ‘अविराम’ आपका ये साहित्य कर्म यथावत चलता रहे सतत यही कामना है...<br /><br />शिव डोयले, झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001(म.प्र.) <br />.....आपके कुशल संपादन में सम्पादित साहित्यिक पत्रिका ‘अविराम’ स्तरीय है।....<br /><br />फणीन्द्र पाण्डेय, सल्ला-सिमटा, चम्पावत-262523 (उ.खंड) <br />.....‘राम‘ की कृपा तुम पर ‘यों रहे अविराम।/‘लेखनी में लगने न पावे न किंचित विराम।।/‘कविता युक्त’ अविराम प्रेषित कर करो मेरा काम।/तुम पर वरदयी हो जावे बलभद्र अनुज घनश्याम।।<br /><br />डॉ. ए. कीर्तिबर्द्धन, 53,महालक्ष्मी एन्क्लेव,जानसठ रोड, मुजफ्फरनगर-251001(उ.प्र.) <br />.....प्रत्येक अंक पहले से बेहतर बनता जा रहा है। लघुकथा के स्तम्भ के अन्तर्गत सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु एवं कमलेश जी को पढ़ा, अच्छा लगा। लेकिन मुझे लगता है कि जो अन्य लघुकथाएं इस अंक में हैं, वे भी किसी से कम नहीं हैं। काव्य खंड भी सशक्त है। सम्भावना के अन्तर्गत गुरुप्रीत सिंह एवं विनीता चोपड़ा की रचनाएं अच्छी लगी। पत्रिका ने अल्प समय में ही देशभर में अपनी पहचान बना ली है.....<br /><br />ज्ञानेन्द्र केमार, प्रांजल,16-डी, ई.सी.रोड, देहरादून-248001(उ.खंड) <br />.....पत्रिका ध्यान से पढ़ गया। आपके सफल संपादन के लिए बहुत-बहुत बधाई। मुझे विश्वास है कि आपके प्रयास से यह पत्रिका एक दिन हिन्दी साहित्य जगत में अपना एक अलग स्थान बनायेगी।....<br /><br />चन्द्रसेन विराट, 121,वैकुन्ठधाम कॉनोनी, आनंद बाजार के पीछे, इन्दौर-452018(म.प्र.) <br />.....बहुत से स्तम्भों में पठनीय रचनाएं हैं। नई-नई प्रतिभाओं के दर्शन होते हैं।उनकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी तरह नवांकुर भी पौधे, फिर वृक्ष बनने की ओर उन्मुख होते हैं।<br /><br />मोह. मुइनुद्दीन ‘अतहर’ 1308,अज़ीज़गंज, पसियाना, शास्त्री वार्ड, जबलपुर-2(म.प्र.) <br />.....अविराम पत्रिका लाजवाब है। इसका प्रत्येक पृष्ठ पठनीय है। सभी विधाओं को अपनी बांहों में समेटे यह पत्रिका सही अर्थों में साहित्य के प्रति समर्पित पत्रिका है।....<br /><br />राजेश आनन्द ‘असीर’, 150, पार्क रोड, गांधी ग्राम, देहरादून-248001(उ.खंड) <br />.....रुड़की जैसी छोटी सी जगह से इतना बड़ा एवं साहसिक कार्य प्रशंसनीय है। पत्रिका के वर्तमान स्वरूप को देखते हुए यह आशा की जा सकती है कि यह पत्रिका बहुत शीघ्र साहित्य जगत में अपनी एक विशेष पहचान बनाने में कामयाब होगी। पत्रिका के सफल सम्पादन हेतु बधाई स्वीकारें।....<br /><br />सनातन कुमार बाजपेयी,पुराना कछपुरा स्कूल, गढ़ा, जबलपुर-482003(म.प्र.) <br />.....नन्हें से कलेवर में विश्व में प्रतिष्ठालब्ध अनेक विद्वानों को अपने-आप में समेटे पत्रिका अत्यन्त अच्छी लगी। श्री अजय चन्द्रवंशी की ग़ज़लें, डॉ. ब्रह्मजीत गौतम के जनक छन्द मन को छू गये। यों सभी रचनाकारों की रचनाएं अच्छी हैं। सामग्री का संयोजन अच्छा है।....उमेश महादोषीhttps://www.blogger.com/profile/17022330427080722584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2884095429375378267.post-44876613958001590432012-02-05T08:24:31.357-08:002012-02-05T08:24:31.357-08:00अंक 10 पर प्राप्त कुछ पत्र
शशिभूषण बड़ोनी, आदर्श ...अंक 10 पर प्राप्त कुछ पत्र<br /><br />शशिभूषण बड़ोनी, आदर्श विहार, गा्र. व पोस्ट- शमशेरगढ़, देहरादून (उ.खंड) <br />.....अविराम का मंच आपके सार्थक परिश्रम से शानदार दिलचस्प इसलिए भी होता है कि इसमें आप रचनाएं देखते हैं, रचनाकार नहीं।.... इस अंक में सुकेश साहनी की विरादरी, स्वीकारोक्ति, आइना तीनों ही प्रभावशाली लघुकथाएं हैं। हिमांशु जी की खुशबू व चोट, कमलेश भारतीय जी की ‘मेरे अपने’ व उपहार धारदार लघुकथाएं हैं। ये तीनों लघुकथा विधा के महारथी हैं। स्व. कालीचरण प्रेमी की लघुकथा ‘तवा’ वाकई बहुत प्रभावशाली है। मैंने इस लघुकथा पर प्रेमी जी को बधाई पत्र भी भेजा था। श्रीरंग जी की कविता ‘केवल कुछ लोग’ गज़ब की है। उसी तरह अजय चंद्रवंशी की ग़ज़लें भी। संभावना में दोनो हस्ताक्षर बेहतर हैं।....<br /><br />कमलेश भारतीय, उपाध्यक्ष, हरि.ग्रन्थ अका., पी-16, से-14, पंचकुला-134113(हरि.) <br />.....अविराम मिली। इस पत्रिका में बहुत सम्भावनायें नजर आईं। लघु पत्रिका के माध्यम से आप हिन्दी जगत में रचनाकारों के बीच सेतु का काम कर रहे हो। अनेक तरह की जानकारियां दे रहे हो। इसके लिए मेरी बधाई स्वीकार करें।.....<br /><br />उदय किरोला, संपा. बाल प्रहरी, माहल्ला-रनोल्टा, अल्मोड़ा(उ.खंड) <br />.....अविराम साहित्यिकी के लिए शुभकामनाएं। अविराम का अंक देखा, इसी से लगा कि समूचा संपादक मण्डल तन्मयता से साहित्य की सेवा कर रहा है। आपने देश के प्रतिष्ठित रचनाकारों को पत्रिका से जोड़कर इसे स्तरीय बनाया है। बाल साहित्य के लिए स्थान आरक्षित करने पर विचार करें।...<br /><br />डॉ. चन्द्राजी राव इंगले, इंदिरानगर,बी.एच.ई.एल. झांसी-254129 (उ.प्र.) <br />.....अल्प पृष्ठों में अत्यधिक ठोस सामग्री समाहित करने वाली इस पत्रिका ने अल्प समय में ही साहित्यिक पत्रिकाओं में अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है। दिसम्बर 11 अंक में नारायण सिंह निर्दोष, महेश अग्रवाल, डॉ. अनिता कपूर, निर्देश, डॉ. ब्रह्मजीत गौतम, डॉ. ओमप्रकाश भाटिया की कविताएं मन को छू गई। किशोर श्रीवास्तव, दिनेश चन्द्र दुबे, कमलेश भारतीय, उषा अग्रवाल की लघुकथाएं व सभी लेख पसंद आये। कुशल सुपादन के लिए बधाई। सभी साहित्यकरों के मोबाइल नम्बर भी प्रकाशित किया करें।<br /><br />संतोष सुपेकर, 31,सुदामानगर, उज्जैन-456001(म.प्र.) <br />.....आप हर अंक में गागर में सागर भर देते हैं और सफलतापूर्वक सिद्ध कर देते हैं कि उच्च स्तरीय सामग्री का अंदाज आकार से कभी नहीं लग सकता। सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, कमलेश भारतीय, डॉ. तारिक असलम ‘तस्नीम’, प्रताप सिंह सोढ़ी, सुरेश शर्मा, डॉ. अशोक भाटिया, पारस दासोत, किशोर श्रीवास्तव जैसे लघुकथा के प्रमुख हस्ताक्षरों को एक साथ पढ़ना ज्ञान और आनंद की अनुभूति दे गया। स्व. कालीचरण प्रेमी की लघुकथा ‘तवा’ प्रकाशित कर न केवल आपने अपना पूर्व वादा पूरा किया है बल्कि लघुकथा के पाठकों की एक बहुप्रतीक्षित पिपासा भी शांत की है। कविताएं, समीक्षाएं भी प्रभावी हैं।...उमेश महादोषीhttps://www.blogger.com/profile/17022330427080722584noreply@blogger.com