नोएडा में सबरस काव्य-संध्या एवं सम्मान समारोह

‘कायाकल्प साहित्य-कला फाउण्डेशन, नोएडा’ के तत्वावधान में कार्ल हूबर स्कूल, सेक्टर -62, नोएडा में ‘सबरस काव्य-संध्या एवं सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। कार्यक्र्रम के मुख्य-अतिथि श्री सुरेश कुमार, क्षेत्रीय प्रबन्धक, यूपीएसआईडीसी, ग्रेटर नोएडा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्र्रम का षुभारम्भ किया। देश के वरिष्ठ गीतकार श्री ओमप्रकाश चतुर्वेदी ‘पराग’ ने क्रार्यक्र्रम की अध्यक्षता की तथा संचालन लब्ध-प्रतिश्ठि गीतकार डा0 अशोक मधुप ने किया। इस अवसर पर वरिश्ठ शायर श्री ज़मील हापुड़ी एवं डॉ0 मधु भारतीय को ‘साहित्य शिरोमणि सम्मान’, श्री पारसनाथ बुलचंदानी, श्री आसिफ कमाल एवं श्री बाबा कानपुरी को ‘साहित्य-भूषण सम्मान’ तथा श्री मोहन द्विवेदी को ‘साहित्यश्री सम्मान’ से नवाजा गया। मुख्य-अतिथि श्री सुरेश कुमार ने अपने उद्बोधन में संस्था की ओर से प्रतिमाह शायरों, कवियों, साहित्यकारों एवं समाज-सेवियों का सम्मान करने की परम्परा की भूरि-भूरि सराहना की। कायाकल्प के मुख्य संरक्षक श्री एस0 पी0 गौड़ ने अपने उद्बोधन में संस्था द्वारा स्थापित इस सम्मान की परम्परा को और आगे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की।
काव्य-संध्या का शुभारम्भ अर्चना द्विवेदी ने माँ-वाणी की स्तुति से किया। प्रतिष्ठित शायर श्री ज़मील हापुड़ी के क़त्अे और ग़ज़लें -‘कैसी-2 निकाले है तान बॉसुरी, कहीं लेले न राधा की जान बॉसुरी’ सुनाकर पूरा वातावरण भाव-विभोर कर दिया। गीतकार डा0 अशोक मधुप ने अपने गीत - ‘बनजारन हो गयी ज़िन्दगी, ये है अपनी राम कहानी, ना है कोई ठौर ठिकाना, रमता जोगी, बहता पानी’ सुनाकर श्रोताओं की ख़ूब वाहवाही लूटी।
हास्य कवि बाबा कानपुरी ने अपनी ग़ज़ल - ‘सरहदें क्यों ग़ज़ल में बनायी गयीं, क्यों तदीफें़ बटीं, क्यों बंटे का़फ़िये’ सुनाकर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया। मोहन द्विवेदी ने भ्रश्टाचार पर प्रहार करते हुए व्यंग्य-गीत सुनाया - ‘चोर, उचक्के, डाकू को तुम कहते हो सरकार लिखूँ। अरुण सागर की ग़ज़ल-‘कोई अपना ही जब इज़्ज़त सरे-महफ़िल उछालेगा, तो इन आँखों के आँसू कौन आकर के संभालेगां’ का भी श्रोताओं ने ख़ूब लुत्फ़ उठाया। रोहित चौधरी ने राश्ट्रीय चेतना की कविता -‘बन्दे मातरम होठों पर और दिल में भारत रखता हूँ’ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। ।
इसके अतिरिक्त गीतकार आर0 एस0 रमन, राजेन्द्र निगम ‘राज’, डॉ0 वीना मित्तल, तूलिका सेठ, गौरव गोयल, देवेन्द्र नागर, पी0 के0 सिंह ‘पथिक’, उदितेन्दु निश्चल प्रदीप पहाड़ी, सुरेन्द्र साधक, सुध्ीर वत्स आदि ने भी अपनी कविताओं से काव्य-संध्या में चार चाँद लगाये।
इस अवसर पर कायाकल्प संस्था की ओर से ग़ज़ल-सम्राट जगजीत सिंह एवं वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर दत्त के आकस्मिक निधन पर शोक-सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित गणमान्य साहित्यकारों, कवियों, अतिथियों एवं श्रोताओं ने बैकुंठवासी जगजीत सिंह की पुण्यात्मा की शान्ति एवं शोकाकुल परिवार को इन कठिन क्षणों में धैर्य, साहस तथा इस असामयिक व अपूर्णनीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना की। (समाचार सौजन्य: रोहित चौधरी)
अमित कुमार लाडी 'सरस्वती रत्न सम्मान'

हिन्दी भवन में सम्मान-संध्या एवं पुस्तक लोकार्पण
नई दिल्ली, 25.11.11: दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास, भारत द्वारा प्रायोजित अमृत-जयंती सम्मान संध्या एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन 25 नवम्बर, 2011 को हिन्दी भवन के सभागार में सुरुचिपूर्ण ढंग से किया गया। अध्यक्ष थे पूर्व महापौर एवं दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष साहित्यवारिधी श्री महेश चन्द्र शर्मा जी तथा मुख्य अतिथि थे स्वनामधन्य पद्मश्री डाॅ. श्याम सिंह ‘शशि’। विशिष्ट अतिथियों में लखनऊ से पधारे डाॅ. कौशलेन्द्र पाण्डेय, आकाशवाणी दिल्ली के डाॅ. हरि सिंह पाल, राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास, भारत के राष्ट्रीय संयोजक गाजियाबाद के श्री उमाशंकर मिश्र, गाजियाबाद के ही प्रसिद्ध गीतकार डाॅ. धनंजय सिंह तथा कवि-लेखक-फिल्मकार डाॅ. कृष्ण कल्कि जी जिन्होंने लोकार्पित गं्रथ का संपादन किया है।
प्रारंभ में डाॅ. रमेश नीलकमल (जमालपुर-बिहार) के पचहत्तरवें वर्ष में प्रवेश करने पर अंगवस्त्राम् तथा पुष्पम् से उनका भव्य सम्मान किया गया। तत्पश्चात् मुख्य अतिथि डाॅ. ‘शशि’ ने बताया कि रमेश नीलकमल ने साहित्य को संघर्ष के माध्यम से जिया है। एक छोटे से कस्बे से संघर्षरत नीलकमल ने दिल्ली तक की अपनी दौड़ में कई आयाम जोड़े हैं। विशिष्ट अतिथियों में डाॅ. कौशलेन्द्र पाण्डेय ने रमेश नीलकमल की संपादन-कला की सराहना करते हुए उन्हें यशस्वी बताया तथा आकाशवाणी के अधिशासी डाॅ. हरि सिंह पाल ने नीलकमल जी की रचना-प्रक्रिया को विस्तार देते हुए इन्हें दर्जनाधिक पुस्तकों का लेखक-कवि बताया। राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक श्री उमाशंकर मिश्र ने नीलकमल जी के साहित्यिक अवदान की सराहना की तथा डाॅ. कृष्ण कल्कि ने ‘अदब के दौर में हारा नहीं है नीलकमल’ कहकर ‘रमेश नीलकमल बनने का अर्थ’ ग्रंथ में शामिल अपने मूल्यांकन आलेख की सम्पुष्टि की। डाॅ. धनंजय सिंह ने भी रमेश नीलकमल की गीत-लेखन-क्षमता की सराहना की। प्रत्युत्तर में डाॅ. रमेश नीलकमल ने अपने अभिभाषण में सबों का आभार मानते हुए अपने जीवन की कतिपय सच्चाइयों से परिचित कराया। इसके पूर्व ही डाॅ. कृष्ण कल्कि द्वारा संपादित ग्रंथ ‘रमेश नीलकमल बनने का अर्थ’ तथा डाॅ. रमेश नीलकमल द्वारा विरचित उपन्यास ‘न सूत न कपास’ का लोकार्पण सम्मिलित रूप से डाॅ. श्याम सिंह ‘शशि’, श्री महेश चन्द्र शर्मा, डाॅ. कौशलेन्द्र पाण्डेय, डाॅ. हरि सिंह पाल, श्री उमाशंकर मिश्र, डाॅ. धनंजय सिंह एवं डाॅ. कृष्ण कल्कि ने किया। मंच संचालन डाॅ. ए. कीर्तिवर्द्धन तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री समरेन्द्र कुमार दास ने किया। सभागार में श्री लाल बिहार लाल (दिल्ली), श्री कौशिक जी (मेरठ), डाॅ. चित्रा सिंह (दिल्ली विश्वविद्यालय), श्री सत्यप्रकाश गुप्ता (सी.ए., दिल्ली), श्री वीरेन्द्र शर्मा (एडवोकेट, दिल्ली) आदि ने भी पुष्प-गुच्छ तथा शुभकामना के संदेश देकर डाॅ. नीलकमल को सम्मानित किया। {विकास चन्द्र मै. मीनाक्षी प्रकाशन}