आपका परिचय

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

सम्पादकीय पृष्ठ : सितम्बर २०११

  
मेरा पन्ना/डा. उमेश महादोषी
  • कुछ समस्याओं के समाधान और कुछ अतिरिक्त करने की इच्छा के परिणाम स्वरुप यह ब्लॉग मित्रों और पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है. भले हजारों चिट्ठों (ब्लॉगों) के मध्य इसका बहुत अधिक महत्व न हो, पर अविराम की रचनात्मकता के पूरक के रूप में थोड़ा-सा योगदान भी इस ब्लॉग के माध्यम से हम कर पाये, तो हमारे लिए संतोष की बात होगी. एक सीमा  तक अविराम के लघु कलेवर के कारण कुछ मित्रों के मन में अविराम  को लेकर संदेह भरे प्रश्न भी उठने लगे थे, उम्मीद है इस ब्लॉग के माध्यम से हमारी पारदर्शिता उन प्रश्नों का कुछ समाधान अवश्य सामने रखने में सफल होगी.
  •     अन्ना जी का जनलोकपाल विधेयक को लेकर आन्दोलन का एक चरण पूरा हुआ। इस आन्दोलन में जनता की सहभागिता और उसका रुझान जिस तरह का रहा, उससे एक बात बिल्कुल साफ है कि भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और सरकारी तन्त्र के रवैये के खिलाफ जनता आक्रोश से भरी हुई है। यदि कोई अनियन्त्रित विद्रोह नहीं हो रहा है, तो उसका बड़ा और महत्वपूर्ण कारण भारतीय जनमानस की शान्तिप्रियता ही है। लेकिन लगता है सरकारी तन्त्र जनता की शान्तिप्रियता को उसकी भीरुता मानकर चल रहा है। यही कारण है कि आतन्कवाद, नागरिक सुरक्षा, न्याय और आवश्यक जन-सुविधाओं की पूर्ति जैसे मूलभूत मुद्दों पर सरकारी तन्त्र के भीतर अन्ना के आन्दोलन के बावजूद कोई सकारात्मक हलचल दिखाई नहीं दे रही। आन्दोलन के चलते ही दिल्ली में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी, सांसद राहुल गांधी के निवास पर धरना देने गये लागों को समोसे बाँटने की घटना, संसद के अन्दर और संसद के बाहर कई नेताओं का आपत्तिजनक आचरण, एक वरिष्ठतम नौकरशाह का  कीमत बढ़ोत्तरी पर तालियाँ पीटने  और झूमने जैसा व्यवहार करना  और आन्दोलन के बाद की राजनैतिक निष्क्रियता सामान्य भले लगे, पर यह सब जनता को हल्के में लेने की निशानियाँ हैं। सरकारी तन्त्र कोई सबक सीखने को तैयार नहीं लगता है!
  •      हो सकता है कि धीरे-धीरे राजनैतिक दांव-पेंचों और परिणाम स्वरूप अन्ना जी की टीम को कुछ भूलों की ओर ले जाकर (जैसी कि कोशिशें जारी हैं) इस आन्दोलन को भौंथरा करने में सरकारी और राजनैतिक तन्त्र  किसी हद तक  कामयाब हो जाये, लेकिन यह तन्त्र यदि यह सोचता है कि इस आन्दोलन के बीज भी वह राजनीतिक चिड़ियाओं को चुगा देगा, तो यह उसकी भयंकर भूल है। निकट भविष्य में यदि चीजों को सुधारने के लिए सरकारी और राजनैतिक स्तर पर जरूरी कड़े फैसले और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रादुर्भाव नहीं हुआ तो जनता के बीच से एक भयंकर विद्रोही आन्दोलन  को रोकना शायद असम्भव हो जाये। ऐसे सम्भावित आन्दोलन के परिणाम क्या होंगे, कोई नहीं जानता!
  •    जरूरी है सभी पक्ष, और विशेष रूप से बौद्धिक वातावरण से जुड़े लोग चीजों को बेहद सकारात्मक और सन्तुलित दृष्टि से देखते हुए अपने प्रयासों का स्तर और उसकी इन्टेन्सिटी बढ़ाकर राजनैतिक ताकतों पर दबाव बनाएँ और उनका मार्गदर्शन भी करें। मात्र चुनाव और जनप्रतिनिधि व उनकी पंचायत ही लोकतन्त्र का संगठन नहीं है, यह तो लोकतन्त्र का एक हिस्सा मात्र होता है, सिर्फ और सिर्फ व्यवस्था का संचालन करने भर के लिए। एक ओर राजनीतिज्ञों की गलतफहमी दूर करके उन्हें यह अहसास कराने की भी जरूरत है कि बौद्धिक वातावरण और जनाकांक्षाओं को प्रतिबिम्बित करने वाला प्रत्येक अवयव लोकतन्त्र का हिस्सा होता है, दूसरी ओर लोकतन्त्र के इन तमाम अवयवों को भी अपनी जिम्मेवारी और सक्रियता की जरूरत का अहसास करना होगा।
  •   साहित्य से जुड़े सभी मित्रों और हमारे पाठक मित्र यदि इस बारे में चिन्तन और बहस का हिस्सा बनते हैं, तो हम स्वागत करेंगे। आप  इस पन्ने/लेवल के टिप्पणी कालम में अपने विचार दर्ज करके अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकते हैं। आप अपने विचार हमें लिखकर डाक से भी भेज सकते हैं। पर्याप्त संख्या में प्राप्त होने पर कुछ चुने हुए विचारों को अविराम के आगामी किसी मुद्रित अंक में भी शामिल करने का प्रयास किया जायेगा।

सूचना/क्षणिका पर अविराम की प्रकाशन योजना

   क्षणिका पर अविराम की एक प्रकाशन योजना विचाराधीन है। इस योजना में शामिल होने के लिए क्षणिकाकार और क्षणिका पर चिन्तन-मनन से जुड़े सभी रचनाकारों से रचनाएँ आमन्त्रित हैं। क्षणिकाकार कम से कम पाँच और और अधिकतम पन्द्रह क्षणिकाएँ भेजें। क्षणिका पर आलेख अविराम के तीन पृष्ठों से अधिक न हों। रचनाएँ अविराम के सम्पादकीय पते (डा. उमेश महादोषी, एफ-488/2, गली संख्या 11, राजेन्द्र नगर, रुड़की-247667, जिला- हरिद्वार, उत्तराखण्ड) पर भेजें।

अविराम का मुद्रित अंक : सितम्बर 2011

अविराम का सितम्बर 2011 अंक उसके रचनाकारों एवं पाँच सौ से अधिक अन्य मित्रों को 25 सितम्बर 2011 से पूर्व भेज दिया जायेगा। अंक की प्रति दस अक्टूबर तक न मिलने की स्थिति में ही कृपया पुनः भेजने का आग्रह करें, क्योंकि पिछले अनुभवों के अनुसार कई बार डाक बिलम्ब से पहुँच रही है। कृपया पते में परिवर्तन होने पर हमें सूचित अवश्य कर दें।

अविराम के रचनाकार

ब्लाग के इस लेवल के अन्तर्गत अविराम में प्रकाशित सभी रचनाकारों का परिचय (फोटो व सम्पर्क सूत्र सहित) धीरे-धीरे प्रकाशित किया जा रहा है। हम प्रयास करेंगे कि हर सप्ताह पन्द्रह से बीस रचनाकारों का परिचय प्रकाशित करते हुए इस लेवल को भी शीघ्र अद्यतन कर दिया जाये। जिन रचनाकारों ने अपना परिचय/फोटो नहीं भेजा है, भेजने का कष्ट करें। यदि किसी रचनाकार को उसका परिचय प्रकाशित करने में किसी प्रकार की आपत्ति हो तो कृपया सूचित कर दें, हम हटा देंगे।
 
  
   

अविराम के अंक

अंक : 9/सितम्बर  2011
प्रधान सम्पादिका : मध्यमा गुप्ता
 सम्पादक : डा. उमेश महादोषी
सम्पादन परामर्श : सुरेश सपन
 मुद्रण सहयोगी : पवन कुमार


अविराम का यह मुद्रित अंक २3 से २८ सितम्बर २०११ के मध्य प्रेषित किया जायेगा। रचनाकार बन्धु अंक प्राप्त होने की प्रतीक्षा अक्टूबर २०११ के प्रथम सप्ताह के अंत तक करने के बाद ही न मिलने पर पुन: प्रति भेजने का आग्रह करें इस मुद्रित अंक में शामिल रचना सामग्री और रचनाकारों का विवरण निम्न प्रकार है-

प्रस्तुति :  मध्यमा गुप्ता का पन्ना (आवरण 2)
माइक पर :  उमेश महादोषी (आवरण 2)
लघुकथा के स्तम्भ :  डॉ. सतीश दुबे (3), भगीरथ परिहार (6) व विक्रम सोनी (9)
अनवरत-१ :  डॉ. हरमहेन्द्र सिंह बेदी (11), शिव डोयले (11), डॉ. राम निवास ‘मानव’ (12), डॉ. विजय प्रकाश (13),गणेश भारद्वाज ‘गनी’ (14). जसबीर चावला (15),डॉ. रुक्म त्रिपाठी (16) एवं विज्ञान व्रत(16) की काव्य रचनाएँ।
कथा-कहानी :  विजय (17) एवं शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ (28) की कहानियां।
आहट :   डॉ. रमा द्विवेदी, पूजा येरपुड़े, डॉ. ए. कीर्तिबर्द्धन, सीमा स्मृति एवं गिरीश जैन ‘गगन‘ की क्षणिकाएँ (30)
व्यंग्य-वाण :  निशान्त का व्यंग्य लेख (31)
 कविता के हस्ताक्षर :  महेश चन्द्र पुनेठा (33)
 कथा प्रवाह :  सूर्यकान्त नागर (35), महावीर रंवाल्टा (36), मनोज सेवलकर (37), पूनम गुप्ता (37), चन्दन सिंह चौहान (38), सीताराम गुप्ता (39), अनीता वर्मा (39), अंकु श्री (40), शिव प्रसाद ‘कमल’ (41) एवं सत्य शुचि (41) की लघुकथाऐं
अनवरत-२ :  सालिग्राम सिंह ‘अशान्त’ (42), त्रिलोक सिंह ठकुरैला (42), सत्येन्द्र तिवारी (43), डॉ. राजेन्द्र मिलन (43), शिरोमणि महतो (44), अचल राज पाण्डे (44) एवं डॉ. नसीम अख्तर (45) की कवितायें
किताबें  :  सात सुरों की साधना/रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु‘ (46), सिलवटों वाले चेहरों की कथाएँ/ज्योति जैन (48), एक जन्म में सात जन्मों का जीना/डॉ. हरदीप कौर सन्धू (50), ‘चन्दनमन’ एक अद्वितीय हाइकु संग्रह/अर्पिता अग्रवाल (53), प्रगतिशील विचारधारा की प्रयोगधर्मी कविताएँ (55) एवं संदेशप्रद बाल कविताएँ (56)/ राम कुमार आत्रेय, समकालीन यथार्थ को अभिव्यक्त करता त्रिपदिक छन्द (57), कविता और दार्शनिकता के मध्य तीखी लघुकथाएँ (59), उत्तराखण्ड की  धड़कनों की अनुभूति (61) एवं मनुष्यता की राह दिखाती कविताएँ (62)/डा. उमेश महादोषी
चिट्ठियाँ :  अविराम के गत अंक पर प्रतिक्रियाएं (64)
गतिविधियाँ :  संक्षिप्त साहित्यिक समाचार (66)
प्राप्ति स्वीकार :  त्रैमास में प्राप्त विविधि प्रकाशनों की सूचना (68) 

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