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बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  7,   अंक  :  05-06,  जनवरी-फरवरी 2017



।।हाइकु।।


आभा सिंह





पंद्रह हाइकु

01.

नदी के छोर
पानी में घुल जायें
चित्र बनायें।

02.

साँवला पानी
झुटपुटी झील में
छायाचित्र :
उमेश महादोषी
 

रात रूमानी।

03.

शाम यूँ ढले
मोरपंखिया जादू
झील में चले।

04.

माझी की पीर
नदिया में उतरी
नौका सिहरी।

05.

मल्लाह गाये
हवा में घुली हूक
लहरें मूक।

06.

सागर बना 
दिलफेंक मछेरा
दिन मछली।

07.

जुगनुओं ने 
जला ली हैं कंदीलें
रौशन झीलें।

08.

पोखर आँके 
चाँद की परछाँई 
पानी में झाँके।

09.

उजला चाँद
पन्नी की आरसी सा
झिलमिलाया।

10.

खामोशियाँ क्यों
ताल किनारे बैठीं
पाँव डुबोये।

11.

सूरज बाँके
झुरमुटों के नीचे
अल्पना आँके।

12.

हवा की सीटी
बाँसों से टकराये
धुन सी मीठी।

13.

हवा कालीन
ऊँचे उड़ते पत्ते
छायाचित्र :
डॉ. बलराम अग्रवाल 

जोश संगीन।

14.

काँपती बूँदें
लरजती कलियाँ
हवा झुलाये।

15.

छिटके तारे
नदिया में निहारे
काले नजारे।

  • मकान नं. 80/173, मध्यम मार्ग, मानसरोवर, जयपुर-302020, राज./मो. 08829059234

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