अविराम साहित्यिकी
(समग्र साहित्य की समकालीन त्रैमासिक पत्रिका)
खंड (वर्ष) : 2 / अंक : 4 / जनवरी-मार्च 2014 (मुद्रित)
प्रधान सम्पादिका : मध्यमा गुप्ता
अंक सम्पादक : डॉ. उमेश महादोषी
सम्पादन परामर्श : डॉ. सुरेश सपन
मुद्रण सहयोगी : पवन कुमार
अंक सम्पादक : डॉ. उमेश महादोषी
सम्पादन परामर्श : डॉ. सुरेश सपन
मुद्रण सहयोगी : पवन कुमार
अविराम का यह मुद्रित अंक रचनाकारों व सदस्यों को 14 फ़रवरी 2014 को तथा अन्य सभी सम्बंधित मित्रों-पाठकों को 18 फ़रवरी 2014 तक भेजा जा चुका है। 10 मार्च 2014 तक अंक प्राप्त न होने पर सदस्य एवं अंक के रचनाकार अविलम्ब पुन: प्रति भेजने का आग्रह करें। अन्य मित्रों को आग्रह करने पर उनके ई मेल पर पीडीऍफ़ प्रति भेजी जा सकती है। पत्रिका पूरी तरह अव्यवसायिक है, किसी भी प्रकाशित रचना एवं अन्य सामग्री पर पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है। इस मुद्रित अंक में शामिल रचना सामग्री और रचनाकारों का विवरण निम्न प्रकार है-
सामग्री
।।लघुकथा के स्तम्भ।।
अंजना अनिल (03)
मालती बसंत (06)
पुष्पलता कश्यप (09)
।।अनवरत-1।। (काव्य रचनाएँ)
लाखन सिंह भदौरिया ‘सौमित्र’ (11)
डॉ.योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ व हृदयेश्वर (13)
राजकुमार कुम्भज व श्रीरंग (14)
अनवर सुहैलव डॉ.विनोद निगम (15)
सुरंजन (16)
नारायण सिंह निर्दोष व अजय चन्द्रवंशी (17)
डॉ.कपिलेश भोज व मोहन भारतीय (18)
शशीभूषण ‘बड़ौनी’ व अमरेन्द्र सुमन (19)
।।मेरी लघुकथा यात्रा।।
डॉ. कमल चोपड़ा (20)
डॉ. तारिक असलम ‘तस्नीम’ (24)
।।आहट।। (क्षणिकाएँ)
सुरेश यादव, डॉ.पंकज परिमल व नित्यानन्द गायेन (28)
।।विमर्श।।
साहित्य से समाज में बदलाव आता है: डॉ. सतीश दुबे से राधेश्याम शर्मा की बातचीत (29)
वात्सल्य के आयाम: भगवान अटलानी (35)
बुढ़ापे की पीड़ा: रचना रस्तोगी (38)
।।अनवरत-2।। (काव्य रचनाएँ)
शाद बागलकोटी व राजेन्द्र बहादुर सिंह ‘राजन’ (40)
राधेश्याम सेमवाल, गोविन्द चावला ‘सरल’व मनीषा सक्सेना (41)
ख़याल खन्ना, रमेश चन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ व शिवशंकर यजुर्वेदी (42)
।।कथा कहानी।।
कपाल क्रिया/माधव नागदा (43)
।।अनवरत-3।। (काव्य रचनाएँ)
डॉ.वेद व्यथित व गोवर्धन यादव (48)
डॉ. ब्रह्मजीत गौतम, त्रिलोक सिंह ठकुरेला व कृष्णमोहन अम्भोज (49)
नन्द किशोर बावनिया व विनय सागर (50)
।।व्यंग्य वाण।।
01. आर.टी.ओ. यानी रिश्वत, टेक और ओ.के. व 2. नेता/ललित नारायण उपाध्याय (51)
।।कथा प्रवाह।। (लघुकथाएँ)
मधुदीप (52)
पारस दासोत व आशा शैली (53)
अमर साहनी व उषा अग्रवाल ‘पारस’(54)
सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (55)
प्रद्युम्न भल्ला व डॉ. नन्द लाल भारती (56)
कृष्ण कुमार यादव व सुधीर मौर्य ’सुधीर’ (57)
राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’ व महावीर रवांल्टा (58)
।।प्रसंगवश।।
हिमाचल का र्वतमान भाषा परिवार/तोबदन (57)
।।किताबें।। (संक्षिप्त समीक्षाएँ)
बहुल पाठक वर्ग द्वारा सराही गई कालजयी कहानियंा: डॉ. सतीश दुबे द्वारा डॉ. तारिक असलम तस्नीम के कहानी संग्रह ‘पत्थर हुए लोग’ (60)/ भगीरथ ने दोहरी जिम्मेदारी को निभायाा है: हितेश व्यास द्वारा भगीरथ परिहार के लघुकथा संग्रह ‘पेट सबके हैं’ (61)/मानवीय संवेदनाओं की कहानियाँ: डॉ. ज्योत्सना स्वर्णकार द्वारा माधव नागदा के कहानी संग्रह ‘परिणति और अन्य कहानियां’ (63) रास्तों पर चलती दुआएँ: डॉ. पुरुषोत्तम दुबे द्वारा पारस दासोत के लघुकथा संग्रह ‘मेरी किन्नर केन्द्रित लघुकथाएं’(64)/वर्तमान समय के बहुरुपियेपन का सफल चित्रण: संतोष सुपेकर द्वारा सुरेश शर्मा के लघुकथा संग्रह ‘अंधे बहरे लोग’ (65)/भविष्य की संभावनाएँ तलाशती लघुकथाएँ: राजेन्द्र नागर ‘निरंतर’ द्वारा संतोष सुपेकर के लघुकथा संग्रह ‘भ्रम के बाजार में’ (66) की समीक्षाएं।
।।स्तम्भ।।
माइक पर/उमेश महादोषी का संपादकीय (आवरण 2), हमारे आजीवन सदस्य (आवरण 3), चिट्ठियाँ (68), गतिविधियाँ (70), प्राप्ति स्वीकार (72, 08, 23 व 67)
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