अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 07-08, मार्च-अप्रैल 2014
।। व्यंग्य वाण ।।
सामग्री : इस अंक में ललित नारायण उपाध्याय की व्यंग्य रचना।
ललित नारायण उपाध्याय
सुखदायी वातावरण
कहते हैं जब पृथ्वी पर बहुत गन्दगी बढ़ गयी तो उसे हटाने के लिए प्रभु ने ‘सूकर’ या सुअर का अवतार लिया, इससे अधिक मेरा धार्मिक ज्ञान नहीं है। परन्तु इस बार प्रभु को न जाने क्या सूझी कि उन्होंने सूकर अवतार लेकर सीधे कीचड़ और दलदल में प्रवेश कर लिया। वहाँ ठंडी-ठंडी बयार बह रही थी। वातावरण एकदम ठंडा व सुखदायी था। प्रभु कई दिनों तक उसमें पड़े रहे।
एक दिन लक्ष्मी माता पधारी। बोली- ‘बाहर निकलते हो कि अस्त्र चलाऊँ?’ प्रभु पर कोई असर नहीं हुआ, उल्टे और कीचड़ में छुप गये। लाचार माताश्री लौट पड़ी। उधर देवताओं में हलचल मच गयी, तब देवीजी ने चण्डी माता का स्वरूप लिया और बोली- ‘बेटा अपन जैसों को यह शोभा नहीं देता। बाहर निकल आओ।
प्रभु बोले- ‘आपकी आज्ञा को टाल नहीं सकता, परन्तु एक शर्त है। इस अवतार केा स्थायी बनाने के लिए
रेखा चित्र : महावीर रंवाल्टा |
इसी क्षण प्रभु गायब हो गये। वह मुस्कराता रहा। देखते-देखते लोगों ने इसे पद दिया, पद मिलते ही उसने पैसा कमा लिया और कीचड़ में समा गया। कहते हैं- तब से नेता बनते ही कीचड़ में समा जाने की परिपाटी चली आ रही है।
- ईश कृपा सदन, 96, आनन्द नगर, खंडवा-450001 (म.प्र.)
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