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सोमवार, 30 अप्रैल 2018

गतिविधियाँ

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  7,   अंक  :  07-08,  मार्च-अप्रैल 2018 



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इस अंक में गतिविधियों की क्रमिक सूची
श्रीकृष्ण ‘सरल’ का जन्मशताब्दी वर्ष का शुभाराम्भ
रामनारायण रमण के नवगीत संग्रह का लोकार्पण
संतोष सुपेकर को क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान
‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ का सफल आयोजन सम्पन्न
काव्यायन संम्मान समारोह एवम् काव्य गोष्ठी संम्पन्न
कोलकाता में विज्ञान व्रत के चित्रों की एकल-प्रदर्शनी 
बरेली में मासिक लघुकथा गोष्ठी
म.प्र.लेखक संघ की 232वीं ग़ज़ल गोष्ठी 


श्रीकृष्ण ‘सरल’ का जन्मशताब्दी वर्ष का शुभाराम्भ


सरल जी 




देश को आजादी दिलाने वाले क्रान्तिकारियों और शहीदों के यशोगान के लिए स्वयं को समर्पित कर देने वाले एवं राष्ट्रीय विचारों की ज्योति जलाने वाले महान कवि श्रीकृष्ण सरल जी के जन्मशताब्दी वर्ष (2018) का शुभारम्भ सरल काव्यांजलि संस्था द्वारा विगत 7 जनवरी 2018 को म.प्र. सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन के सभागार में समारोहपूर्वक सुप्रसिद्ध साहित्यकार म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ. हरीश प्रधान की अध्यक्षता में किया गया। पूर्व संभागायुक्त एवं पूर्व कुलपति (महर्षि पाणिनि संस्कृत वि.वि.) डॉ. मोहन गुप्त मुख्य अतिथि, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया एवं वरिष्ठ समालोचक एवं विक्रम वि.वि. के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा विशिष्ट अतिथि तथा डॉ. उमेश महादोषी प्रमुख वक्ता के रूप में मंचासीन थे। दूसरे प्रमुख वक्ता प्रो. बी. एल. आच्छा स्वास्थ्य संबन्धी कारणों से उपस्थित नहीं हो सके। 
           इस अवसर पर अनेक वक्ताओं ने सामाजिक और राष्ट्रीय आवश्यकताओं के सन्दर्भ में श्रीकृष्ण ‘सरल’ के साहित्यिक योगदान की चर्चा विस्तार से की। साहित्यिक पत्रिका ‘अविराम साहित्यिकी’ ने इसी परिप्रेक्ष्य में अपने अक्टूबर-दिसम्बर 2017 अंक में सरल जी पर विशेष सामग्री का आयोजन चर्चित लघुकथाकार-कवि संतोष सुपेकर के अतिथि संपादन में किया। समारोह में इसका लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
       अपने वक्तव्य में मुख्य अतिथि डॉ. मोहन गुप्त ने सरल जी के व्यक्तित्व और उनकी साहित्य साधना पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि सरल जी ने क्रान्तिकारियों पर तो लिखा ही है लेकिन उनके लेखन में ‘सरल रामायण’ भी बेहद महत्वपूर्ण है। नारी के प्रति सरल जी जैसी दृष्टि अन्यत्र दुर्लभ है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. हरीश प्रधान जी ने कहा कि लिखना एक साधना है और सरल जी आजीवन अपनी कलम से क्रान्तिकारियों की साधना करते रहे। 
      प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने अपने लम्बे तार्किक वक्तव्य में कहा कि सरल जी के सृजनात्मक उद्देश्य इतने महान थे कि उनके समक्ष काव्य के अन्य प्रतिमान गौण हो जाते हैं। डॉ. शिव चौरसिया ने सरल जी के काव्य के विविध रूपों की चर्चा करते हुए उनकी काव्य साधना से जुड़े अनेक प्रसंगों का स्मरण कराया।      
       डॉ.पुष्पा चौरसिया ने भगतसिंह महाकाव्य के
विमोचन के अवसर पर शहीद भगतसिंह की माताजी के आगमन और स्वागत के दृश्य का सजीव चित्र प्रस्तुत किया। डॉ. उमेश महादोषी ने कहा कि किसी भी संस्कृति में अत्याचार का प्रतिकार अवश्यंभावी होता है। हमारे क्रान्तिकारियों ने जो भी किया वो अत्याचार के प्रतिकार स्वरूप था। इसलिए सरल जी द्वारा क्रान्तिकारियों का महिमामण्डन किसी भी स्थिति में हिंसावृत्ति का समर्थन नहीं है। 
      समारोह का आरम्भ राजेश रावल ‘सुशील’ द्वारा सरस्वती वन्दना से हुआ। परमानंद शर्मा ‘अमन’, गौरीशंकर उपाध्याय, हरदयालसिंह ठाकुर, रमेश जाजू, गड़गड़ नागर, विजयसिंह गहलोत, आशीष श्रीवास्तव, आशागंगा शिरोडकर, कोमल वाधवानी आदि ने
अतिथि-स्वागत किया। संस्थाध्यक्ष नितिन पॉल ने अतिथि परिचय देने के साथ संस्था व मंच की ओर से इन्दौर दुर्घटना में मारे गए नौनिहालों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सरलजी के ज्येष्ठ पुत्र प्रदीप सरल, सुपुत्री कविता सोनी, डॉ. देवेन्द्र जोशी, प्रतापसिंह सोढ़ी, श्रीराम दवे, पिलकेन्द्र अरोड़ा, अशोक भाटी, जगदीश पाण्ड्या, राधेश्याम पाठक उत्तम, उर्मि शर्मा, अरविन्द त्रिवेदी, नृसिंह इनानी, सरस निर्मोही, मोहन वैरागी, एम.जी. सुपेकर आदि शताधिक साहित्यकार एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। संचालन संतोष सुपेकर व राजेन्द्र देवधरे ‘दर्पन’ ने किया। संजय जौहरी ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया। {समा. सौजन्य: डॉ. संजय नागर}



रामनारायण रमण के नवगीत संग्रह का लोकार्पण




      भीतर से बाहर तक नदी के अविरल, लयबद्ध, कल्याणकारी भाव को समोये वरिष्ठ साहित्यकार रामनारायण रमण जी का सद्यः प्रकाशित नवगीत संग्रह ‘नदी कहना जानती है’ का भव्य लोकार्पण लेखागार सभागार, रायबरेली में रविवार, 11 मार्च को सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना एवं अतिथियों के स्वागत-सत्कार से हुआ। 
      इस उत्कृष्ट कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. ओमप्रकाश
सिंह ने की, जबकि दिल्ली से पधारे युवा कवि एवं आलोचक डॉ. अवनीश सिंह चौहान मुख्य अतिथि एवं सुपरिचित ग़ज़लगो नाज़ प्रतापगढ़ी विशिष्ट अतिथि रहे। डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि रमण जी के गीत समकालीन सन्दर्भों को मजबूती से व्यंजित कर रहे हैं और उनमें संवेदना की गहराई है। उन्होंने मजदूर, किसान, गांव, शहर, बेरोजगारी जैसे विषयों को अपने नवगीतों में बखूबी पिरोया है। डॉ. अवनीश चौहान ने रमण जी के तमाम नवगीतों के अर्थ खोलते हुए उनकी सुंदर अनुभूतियों की सराहना की और कहा कि उनके साधु स्वभाव का प्रभाव उनके टटके गीतों में भी परिलक्षित होता है। उन्होंने बताया कि रमण जी के गीतों की भाषा प्रयोगधर्मी है और उनके शब्द गहन एवं नवीन हैं। नाज़ प्रतापगढ़ी ने रमण जी के नवगीतों में उर्दू भाषा के शब्दों के संतुलित प्रयोग एवं रचना कौशल की सराहना की। सुविख्यात गीतकार डॉ. विनय भदौरिया ने रमण जी के शीर्षक गीत ‘नदी कहना जानती है’ की विस्तार से चर्चा की और उनके गीतों को प्रेम में पगा हुआ बताया। सुप्रसिद्ध आलोचक एवं
साहित्यकार रमाकांत ने रमणजी को सर्वथा मौलिक गीतकार मानते हुए कहा कि उन्होंने जो भी लिखा वह अनुभवजन्य सत्य है, इसे पोस्ट-ट्रुथ के युग में भी नाकारा नहीं जा सकता। 

      चर्चा-परिचर्चा में अन्य साहित्यकारों, विचारकों, आलोचकों ने एक स्वर में कहा कि रमण जी के ताज़ातरीन नवगीत साहित्य, समाज, संस्कृति को पूरी वस्तुनिष्ठता एवं मौलिकता से प्रस्तुत करते हैं। रायबरेली के सशक्त रचनाकार एव साहित्यप्रेमी सर्वश्री आनंदस्वरूप श्रीवास्तव, राजेन्द्र बहादुर सिंह राजन, शिवकुमार शास्त्री, सन्तोष डे, प्रमोद प्रखर, डॉ. राकेश चन्द्रा, हीरालाल यादव, दुर्गाशंकर वर्मा, हीरालाल यादव, डॉ. राज आदि के सार्थक वक्तव्यों ने लोकार्पण समारोह को जीवंत बना दिया। मंच का शानदार संचालन चर्चित साहित्यकार जय चक्रवर्ती जी एवं डॉ. विनय भदौरिया जी ने संयुक्तरूप से किया। आभार अभिव्यक्ति कार्यक्रम संयोजक रमाकान्त जी ने की। (समाचार प्रस्तुति: अबनीश सिंह चौहान)


संतोष सुपेकर को क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान

      नव वर्ष के स्वागत में मकर सक्रांति के अवसर पर रविवार दिनांक 14 जनवरी 2018 की शाम को क्षितिज संस्था द्वारा एक रचना पाठ संगोष्ठी का आयोजन डॉ. वसुधा गाडगिल के निवास पर इंदौर में किया गया। इस आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवम रंगकर्मी श्री नंदकिशोर बर्वे ने की। कार्यक्रम में ‘क्षितिज’ संस्था द्वारा वर्ष 2018 से शुरू किए गए ‘लघुकथा समग्र सम्मान’ को इस वर्ष के लिए लघुकथाकार श्री संतोष सुपेकर (उज्जैन) को लघुकथा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिये प्रदान कर सम्मानित किया गया। संस्था अध्यक्ष श्री सतीश राठी उपाध्यक्ष डॉ अखिलेश शर्मा, सचिव अशोक शर्मा तथा आगत अतिथियों ने शाल, श्रीफल से श्री सुपेकर को सम्मानित कर सम्मान पत्र (मोमेंटो) प्रदान किया। सम्मान पत्र का वाचन संस्था सचिव श्री अशोक शर्मा भारती ने किया। संस्था अध्यक्ष द्वारा इस वर्ष में किये जाने वाले विविध आयोजनों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में सर्वश्री पुरुषोत्तम दुबे, ब्रजेश कानूनगो, डॉ पदमा सिंह, सतीश राठी, अशोक शर्मा भारती, रश्मी वागले, वसुधा गाडगिल, विनीता शर्मा, डॉ. अखिलेश शर्मा, जितेन्द्र गुप्ता, बी. आर. रामटेके, आशा वडनेरे, वैजयंती दाते, डॉ. रमेशचंद्र, राममूरत राही, आभा निवसरकर, आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। पढ़ी गई रचनाओं पर अश्विनी कुमार दुबे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लघुकथा अधिक से अधिक बात को थोडे़ में कहने की विधा है जिसके साथ इस गोष्ठी में न्याय हुआ है। आपने सभी लघुकथाओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए उनमें निहित सार्थक संदेश और सकारात्मकता की सराहना की। सुश्री कविता वर्मा ने भी रचना पाठ की समीक्षा करते हुए लघुकथा पर चर्चा को जरूरी बताते हुए इंदौर के लघुकथाकारों द्वारा देश में नाम और सम्मान पाने के लिए शुभकामनाएँ प्रदान की। आपने लघुकथाओं की समालोचना करते हुए उनके बिंब और प्रतीकों में अंतर्निहित अर्थ की विवेचना की।
      क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान 2018 ,से सम्मानित श्री संतोष सुपेकर ने अपने वक्तव्य में कहा कि लघुकथा की टोकरी भर मिट्टी की सोंधी-सोंधी महक विश्व स्तर पर विकसित हो रही है। इस नन्ही-सी उर्वरा से उपजे विचार ने कहानी, व्यंग्य, उपन्यास जैसे वटवृक्षों को जन्म दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कुछ लघुकथाओं और कविताओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी एवं साहित्यकार नंदकिशोर बर्वे ने कहा कि लघुकथा में इतनी ताकत होती है कि वह बड़ी से बड़ी बात को अपने छोटे स्वरुप में बड़े ही तीखे तरीके से संप्रेषित कर देती है।
     सतीश राठी ने बताया कि ‘क्षितिज’ संस्था द्वारा लघुकथा पत्रिका क्षितिज का वर्ष 1983 से सतत प्रकाशन किया जा रहा है, और इस वर्ष से प्रतिवर्ष दो बड़े लघुकथा सम्मानों की शुरुआत की जा रही है और इसके अलावा दो दिवसीय बड़े लघुकथा आयोजन की योजना भी बनाई जा रही है। अखिलेश शर्मा ने वर्ष 2018 के लिए नई कार्यकारिणी की जानकारी भी दी। कॉर्यक्रम का संचालन वसुधा गाडगिल ने किया। विष्णु गाडगिल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। (समाचार प्रस्तुति : सतीश राठी)


‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ का सफल आयोजन सम्पन्न



नई दिल्ली, 18 फरवरी। भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति को समर्पित संस्था ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ द्वारा ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ का भव्य आयोजन गांधी शांति प्रतिष्ठान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मेहता ओ. पी. मोहन और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. प्रसन्नांशु थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अशोक लव ने की। मेहता ओ. पी. मोहन ने सर्व भाषा ट्रस्ट की नीतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस प्रकार भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा पर सबको जोड़ना सिखाती है, उसी प्रकार ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ द्वारा भी सबको जोड़ा ही जा रहा है।
      ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ तीन सत्रों में विभाजित रहा। प्रथम सत्र में प्रसिद्ध चित्रकार असगर अली की संस्था कलाभूमि द्वारा चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई तथा द्वितीय सत्र में न्यास की त्रैमासिक ई-पत्रिका ‘सर्व भाषा’ के प्रवेशांक का लोकार्पण किया गया।
उक्त अवसर पर संपादक केशव मोहन पाण्डेय ने बताया कि पत्रिका के इस पहले अंक में ही 75 रचनाकारों की कुल सत्रह भाषाओं में रचनाएँ प्रकाशित हैं। साथ ही उन्होंने संदीप तोमर के जीवन संघर्ष की दास्तान उनकी आत्मकथा ‘एक अपाहिज की डायरी’ के पत्रिका में सम्मलित किये जाने का जिक्र करते हुए बताया इसे धारावाहिक रूप में छापा जा रहा है। हर पाठक को इस आत्मकथायत्मक रचना से प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने आने वाले अंकों में और अधिक भाषाओं की सहभागिता की बात कही। ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ के अध्यक्ष डॉ. अशोक लव ने ट्रस्ट के उद्देश्यों और गतिविधियों की बृहद् जानकारी देते हुए नेक काम में सबको जुड़ने की बात कही। 
      पत्रिका के लोकार्पण के उपरांत डॉ. राजीव कुमार पाण्डेय के हाइकु संग्रह ‘मन की पाँखें’ व लज्जाराम राघव ‘तरूण’ की दो पुस्तकें ‘आँखिन देखी लघुकथाएँ’ व ‘रुको तो सही एक बार’ का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के उसी क्रम में डॉ. अशोक लव की चार बाल-साहित्य की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा अतिथियों को सम्मानित किया जाना। मेहता ओ पी मोहन को ‘राष्ट्र रत्न सम्मान’ से अलंकृत किया गया, वहीं शिाक्षाविद् डॉ. प्रसन्नांशु, फिल्म एक्सपर्ट उदयवीर सिंह सेनापति, वरिष्ठ पत्रकार अशोक चतुर्वेदी, श्री प्रदीप गुलाटी, जनाब फरहान परवेज़ व श्री प्रफुल्ल गोयल को ‘सर्व भाषा सम्मान’ से सम्माानित किया गया। 
      कार्यक्रम के अगले क्रम में ‘मीडिया, भाषा और साहित्य’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई, जिसकी प्रस्तावना में डॉ. प्रसन्नांशु ने बड़ी ही गहराई और तार्कित ढंग से मीडिया, भाषा और साहित्य के अन्तःसंबंधों को बताया। फिल्म व मीडिया एक्सपर्ट उदयवीर सिंह ‘सेनापति’ ने मीडिया के लिए भाषा और साहित्य को नितांत आवश्यकता बताया। जयपुर से पधारे वयोवृद्ध पत्रकार श्री अशोक चतुर्वेदी ने भाषा के विकास के साथ ही संवर्धन और साहित्य लेखन के साथ पठन पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने सर्व भाषा ट्रस्ट के उद्देश्य और इसकी कल्पना पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। वक्ताओं के क्रम में  श्री प्रदीप गुलाटी ने सर्व भाषा संवर्धन की सोच को एक प्रेरणाप्रद सोच बताते हुए इसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हर संभव सहयोग देने की बात कही। परिचर्चा सत्र के अंत में ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. अशोक लव ने कहा कि सर्व भाषा का उद्देश्य जोड़ना है। हमारा प्रयास है कि हर एक व्यक्ति को हम जोड़ें और सर्व भाषा, साहित्य, संस्कृति और कला के विकास के लिए काम करें। यह हमारा पहला प्रयास है।  
      ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ के तीसरे सत्र ‘सर्व भाषा काव्य गोष्ठी’ की अध्यक्षता लोकप्रिय ग़ज़लगो श्री अजय अज्ञात जी ने की तथा जिसमें राजभाषा के पूर्व उपनिदेशक
डॉ. सरोज कुमार त्रिपाठी, डोगरी साहित्यकार श्री यशपाल निर्मल, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी का सानिध्य प्राप्त हुुुआ। सर्व भाषा काव्य गोष्ठी में सम्मानित कवियों को ‘सर्व भाषा सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उक्त कार्यक्रम में श्री यशपाल निर्मल व श्री केवल कुमार केवल जी, नैनीताल से श्रीमती नीलम नवीन नील, जयपुर से पं. दीपक शास्त्री, मोतिहारी से ज़नाब गुलरेज़ शहज़ाद, पटियाला से श्री विकास शर्मा ‘दक्ष’ आदि के अतिरिक्त श्री जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, श्री संदीप तोमर, श्री जलज कुमार अनुपम, श्री राजकुमार अनुरागी, लाल बिहारी लाल, श्री राजकुमार श्रेष्ठ (नेपाली), डॉ. दिग्विजय शर्मा ‘द्रोण’ (ब्रज), वरिष्ठ रचनाकर श्री निलय उपाध्याय (हिंदी), श्रीमती इंदुमती मिश्रा, डॉ. दुर्गा चरण पाण्डेय, डॉ. मनोज तिवारी, सत्यप्रकाश भारद्वाज, सुनीता अग्रवाल ‘नेह’, तरुणा पुंडीर, श्री मोहन शास्त्री, श्री सुनील सिन्हा, श्री मनीश झा (मैथिली), श्री कुमार देवेन्द्र (हिंदी), श्री सुरेन्द्र नारायण शर्मा, श्री अजय अक्स, श्रीमती शशि त्यागी आदि को सम्मानित किया गया। संदीप तोमर में अपनी आत्मकथा के कुछ अंशो पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसी भी लेखक के लिए आत्मकथा लिखना सबसे जोखिम भरा कार्य होता है। उन्होंने पाठकों से इस रचना के सबल व दुर्बल पक्षो को ध्यान में रखते हुए इस संघर्षगाथा को पढ़ने की अपील की।
      ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ के प्रथम व द्वितीय सत्र का संचालन श्रीमती रेजीना मुखर्जी ने किया वहीं तृतीय सत्र का संचालन श्रीमती रीतिका शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट की महासचिव श्रीमती रीता मिश्रा से सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। (समाचार प्रस्तुति : केशव मोहन पांडेय)


कोलकाता में विज्ञान व्रत के चित्रों की एकल-प्रदर्शनी  



          विगत नवम्बर 2017 में अकादमी ऑव फ़ाइन आर्ट्स कला दीर्घा कोलकाता में कवि-चित्रकार विज्ञान व्रत के चित्रों की एकल-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल महामहिम श्री केशरीनाथ त्रिपाठी जी ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। 
         राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी जी ने क़रीब एक घंटे तक दीर्घा में प्रदर्शित विज्ञान
व्रत के लगभग 50 चित्रों को बहुत ग़ौर से देखा और चित्रों के बारे में कवि-चित्रकार श्री विज्ञान व्रत से गहन बातचीत की। ज्ञातव्य है कि विज्ञान व्रत  जी छोटी बहर की ग़ज़ल और रेखाचित्रों के लिए देश भर में जाने जाते हैं। इस अवसर पर कोलकाता के गणमान्य लेखक, कवि, चित्रकार, पत्रकार तथा कला प्रेमी दीर्घा में उपस्थित रहे। (समाचार प्रस्तुति: विज्ञान व्रत)



बरेली में मासिक लघुकथा गोष्ठी



    बरेली नगर में वरिष्ठ लघुकथाकार श्री सुकेश साहनी के मार्गदर्शन में ज्योत्सना कपिल एवं निरुपमा अग्रवाल के प्रयासों से मासिक लघुकथा गोष्ठी पिछले कई माह से आयोजित हो रही है। 

        

सामान्यतः प्रत्येक माह संगोष्ठी में 15 से 20 लघुकथाकारों की उपस्थिति निसंदेह उत्साहजनक है। गोष्ठी के आयोजन से बरेली के आसपास के नए लघुकथाकारों का मार्गदशन होने के साथ लघुकथा की समझ भी विकसित हो रही है। 

      मार्च 2018 की संगोष्ठी में पटना से पधारे वरिष्ठ लघुकथाकार श्री सतीशराज पुष्करणा को सुजन संस्था द्वारा संगोष्ठी के मंच पर सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ लघुकथाकार श्री

सुकेश साहनी के साथ निर्मला सिंह, सुरेश बाबू शर्मा, शराफत अली खान, रमेश गौतम, उमेश महादोषी, संध्या तिवारी, निरुपमा अग्रवाल, ज्योत्स्ना कपिल, लवलेश दत्त, गुंडविल मसीह आदि अनेक रचनाधर्मी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का यूट्यूब पर प्रसारण भी किया गया। (समाचार प्रस्तुति : उमेश महादोषी)


काव्यायन संम्मान समारोह एवम् काव्य गोष्ठी संम्पन्न
      साहित्य एवम् काव्य संस्कृति के प्रति समर्पित भाषाविद् डॉ. रघुवीर द्वारा स्थापित कानपुर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था   काव्यायन द्वारा साहित्य संबर्धन प्रोत्साहन हेतु गिलिस बाजार कानपुर में दिनांक पन्द्रह अप्रैल दो हजार अठ्ठारह को यशशेष  पं. बालमुकुन्द द्विवेदी की स्मृति में संम्पन्न सम्मान समारोह में समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृत के विद्वान पं. अमलधारी सिंह बनारस  द्वारा संम्पादित ऋगुवेद शांखायन-संहिता (चार भाग) का विमोचन प्रसिद्ध समीक्षक डॉ. विमल पूर्व प्रो०जोधपुर वि०वि० द्वारा किया गया। काव्यायन वर्ष-2018 का साहित्य सृजन संम्मान श्री अमलधारी सिंह एवम् ‘अनुभूति से अभिव्यक्ति तक’ तथा ‘गागर से छलकता सागर’ की रचनाकार कवयित्री श्रीमती कुसुम सिंह ‘अविचल’ को प्रदान किया गया। वरिष्ठ रचनाकार श्री उपेन्द्र शास्त्री ने कानपुर के सक्रिय साहित्यिक अवदान को साहित्य के इतिहास में अति उत्तम कविता में निरन्तर निखार के लिये काव्य गोष्ठियों को महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर संम्पन्न कवि गोष्ठी का प्रारम्भ श्री रमेश आनन्द की वाणी वंदना से हुआ श्री जयराम सिंह गौर शैलेन्द्र शर्मा, बृजनाथ श्रीवास्तव, नारायन दास मानव, डॉ. मधुप्रधान, कुमार दिनेश प्रियमन उन्नाव, डॉ. मधु श्रीवास्तव, जयराम जय, सुरेश साहनी, लालसिंह ‘सैनिक’, सुश्री अंजना कुमार,ने गीतों-नवगीतों से सामाजिक विसंगतियों एवम् बाजारवाद की भावधारा को सरस शब्दों का जामा पहनाकर प्रस्तुत किया। श्री आनन्द तन्हा, हमीद कानपुरी, आर. पी. सोनकर, रामकिशन प्रेमी, के. के. दुबे मजनू, कुमार सूरज, यश दुबे,ने समसामयिक ग़जलों से समां बाँधा। वहीं श्री दिनेश दिनकर, संतोष सावन, तेजस कश्यप आदि ने शब्दों के व्यंग्य वाणों से श्रोताओं को गुदगुदादाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुनील बाजपेयी ने तथा संचालन रामकिशन प्रेमी ने, संयोजन जयराम सिंह जय व धन्यवाद ग्यापन तथा गोष्ठी की समीक्षा का दायित्व डॉ. विमल जी ने निभाया।  
    इस अवसर पर डॉ. पन्ना द्विवेदी, के. के. शुक्ल, डॉ. कमलेश द्विवेदी, डॉ. विनोद त्रिपाठी, कैलास बाजपेयी, डॉ. गोविन्द शाण्डिल्य, पं. हरिमोहन शर्मा, धीरेन्द्रकुमार श्रीवास्तव एडवोकेट आदि की गरिमामयी उपस्थित ने कार्यक्रम सफल बनाया। अन्त में गोलोकवासी काव्यायन के अध्यक्ष रामकृष्ण तैलंग तथा साहित्यकार डॉ. बालकृष्ण गुप्त को श्रृद्धांजली अर्पित की गई। (समाचार प्रस्तुति: जयराम जय)


म.प्र.लेखक संघ की 232वीं गोष्ठी ग़ज़ल पर हुई
      डे केयर राजमहल परिसर के सभागार में साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 232 वीं मासिक गोष्ठी ग़ज़ल पर केन्द्रित आयोजित की गयी। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर हाजी जफ़रउल्ला खां ‘जफर’ ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में अनवर खान ‘साहिल’ रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में शिवचरण उटमालिया रहे। इस अवसर पर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ के सातवें ग़ज़ल संग्रह ‘नशेमन’ का विमोचन किया गया। सीताराम राय ने सरस्वती वंदना पढ़़ी- हंस पै बैठकर मैया, पधारो हम बुलाते हैं।’’ 
          अनवर खान साहिल, महेन्द्र चौधरी, मातदीन यादव ‘अनुपम’, राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’ रामगोपाल रैकवार, ज़फ़र उल्ला खां ‘ज़फ़र’, यदुकुलनंदन खरे, कोमल चन्द्र बजाज, रविन्द्र यादव, डी.पी. शुक्ला, वीरेन्द्र चंसौरिया, भारत विजय बगेरिया, पूरनचन्द्र गुप्ता, ब्रजलाल केवट, आर.एस.शर्मा, बी.एल जैन, परमेश्वरी दास तिवारी, विजय मेहरा, एम.जैन पोतदार, दयाली विश्वकर्मा, प्रमोद गुप्ता, डी.पी.यादव, कौशल किशोर चतुर्वेदी आदि सहित अनेक कवियों ने करव्य-पाठ किया।
   कार्यक्रम का संचालन संस्थाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। सचिव रामगोपाल रैकवार ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। (समाचार प्रस्तुति: राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी‘)

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