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शनिवार, 22 सितंबर 2018

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  07,   अंक  :  11-12,   जुलाई-अगस्त 2018 


।।हाइकु ।।


सुधा गुप्ता





हाइकु

01.

अंगारे बिछा
सोने चली धरती
लपटें ओढ़।

 02.

अल्हड़ नदी
बाबुल-घर छोड़
निकल पड़ी।

03.

ऊँची फुनगी
चढ़ी है गिलहरी
निडर बड़ी।

04.

कटे जो पेड़
विवस्त्रा है धरा
लाज से गड़ी

05.

तुलसी चौरा
सँझवाती का दीया
कहाँ खो गए

06.

पेड़ों के साये
सपनों में आते हैं
सड़कें सूनी

07.

गर्बीली भोर
इतराती है खड़ी
बिंदिया गिरी।

08.

मानव चेत
ओजोन परत में
बढ़ता छेद

09.

‘हरे फेफड़े’
काट डाले धरा के
साँस ले कैसे

10.

नीम की छैंया
ए.सी. को छोड़कर
आना ही होगा

11.

धुंध में खोया
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता 

धरती का खिलौना
भोला सूरज।

12.

बीजुरी हँसी
बादलों के गाँव में
बसने चली

13.

बच्चों की मौत
खोया आँगन-गीत
भोर की रीत

14.
सूखे होंठों से
उधर तरसते 
लोग खड़े हैं

15.

दर्द ले आई
बेवफा पुरबाई
रुला के झूमे।


  • 120 बी/2, साकेत, मेरठ (उ.प्र.)/दूरभाष : 0121-2654749

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