आपका परिचय

शनिवार, 28 जनवरी 2012

88. के0 एल0 दिवान

के0 एल0 दिवान






जन्म : 12.10.1934 को मियांवाली (अब पाकिस्तान) में। 
लेखन/प्रकाशन/योगदान : कथा एवं काव्य- दोनों में लेखन। प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं व संकलनों में रचनायें प्रकाशित। आकाशवाणी से प्रसारण। पाँच कहानी संग्रह, दो कविता संग्रह, दो बाल मुक्तक संग्रह, एक हाइकू संग्रह प्रकाशित। ‘श्री के.एल. दिवान के रचना संसार का अध्ययन‘ विषय पर वीना राजपूत द्वारा डॉ. रामस्नेही लाल शर्मा के निर्देशन में लघु शोध। ‘दीपशिखा’ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच, हरिद्वार के संस्थापक-अध्यक्ष। दीपशिखा के माध्यम से अनेकानेक गतिविधियों के साथ 30 से अधिक साहित्यकारों को सम्मानित किया। शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय। 
सम्मान :  देश की 30 से अधिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
सम्पर्क :  ज्ञानोदय अकादमी, 8, निर्मला छावनी, हरिद्वार-249401 (उत्तराखण्ड)
फोन : 09756258731



अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  जून 2011 अंक में छः हाइकु एवं एक क्षणिका।
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : नवम्बर 2011 अंक में हाइकु






नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

87. डा. गोपाल बाबू शर्मा

डा. गोपाल बाबू शर्मा








जन्म :  04.12.1932, अलीगढ़ (उ.प्र.) में। 
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (हिन्दी)। 
लेखन/प्रकाशन/योगदान :  लेखन कविता, ग़ज़ल, हाइकु, दोहा, मुक्तक, लेख, व्यंग्य आदि विभिन्न विधाओं में। देश की अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। अब तक नौ काव्य संग्रह, नौ व्यंग्य संग्रह, एक लघुकथा संग्रह (कांच के कमरे), एक निबन्ध संग्रह (जीना सीखें), एक पुस्तक लोक साहित्य पर (लोक जीवन में नारी विमर्श) एवं एक शोध-समीक्षा पुस्तक (अनुसन्धान और अनुशीलन) प्रकाशित। ‘भारतीय काव्य चिन्तन’ एवं ‘भारतीय काव्यशास्त्र: विविधि आयाम’ सहित सात महत्वपूर्ण प्रकाशित पुस्तकों का सम्पादन। 
सम्प्रति : श्री वार्ष्णेय पोस्टग्रेजुएट कॉलेज, अलीगढ़ में रीडर (हिन्दी) पद से सेवानिवृति के बाद स्वतन्त्र लेखन।
सम्पर्क :  46, गोपाल विहार कॉलोनी, देवरी रोड, आगरा-282001 (उ.प्र.)।
फोन : 09259267929



अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  जून 2011 अंक में दस हाइकु
                 दिसम्बर 2011 अंक में पांच दोहे
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) :  सितम्बर 2011 अंक में तीन मुक्तक






नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

86. शिव शरण सिंह चौहान ‘अंशुमाली’

शिव शरण सिंह चौहान ‘अंशुमाली’  








जन्म :  31.01.1944 को भदवा (फतेहपुर) में।
शिक्षा :  एम.ए.(अंग्रेजी, संस्कृत व हिन्दी), बी.एड. व आयुर्वेद रत्न। 
लेखन/प्रकाशन/योगदान :  मूलतः कवि। हिन्दी के साथ अंग्रेजी में भी लेखन। अनेको पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। ‘अंशुमाली के त्रिदोहे’ एवं ‘कागज की नाव’ प्रकाशित कृति व कई प्रकाशनाधीन। श्री धनंजय तिवारी की पुस्तक ‘मिशाइलों की छांव में’ का अंग्रेजी में ‘अन्डर द शेड्स ऑफ मिसाइल्स’ नाम से अनुवाद। शान्ति निकेतन मानव कल्याण समिति (निदेशक के रूप में), साहित्य भारती, भदवा, फतेहपुर (कोषाध्यक्ष रूप में) एवं यायावर साहित्यिक संस्था आदि संस्थाओं के साथ सम्बद्ध। 
सम्मान : साहित्यिक सेवाओं के लिए कुछ संस्थाओं द्वारा सम्मानित। 
सम्प्रति : अंग्रेजी प्रवक्ता पद से सेवानिवृति के बाद लेखन।
सम्पर्क : 253, डब्ल्यू.एस., स्टेट बैंक के पीछे, आवास विकास, फतेहपुर-212601(उ.प्र.) 
फोन : 05180-२२३९५६ / मोबाइल : 09236584625 



अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  जून 2011 अंक में चार हाइकु एवं दो क्षणिकाएं।
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अभी नहीं 






नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

85. राधेश्याम

राधेश्याम








जन्म : 14.01.1922। 
लेखन/प्रकाशन/योगदान :  मूलतः कवि। अंग्रेजी कविताओं का संग्रह ‘सॉग्स ऑव लाइफ’ प्रकाशित। अमेरिका में रचनाओं का प्रकाशन। 
सम्मान : अमेरिका में संघाय अवार्ड सहित तीन विदेशी साहित्य सम्मान।
सम्प्रति :  लेखन को समर्पित।
सम्पर्क :  184/2, शील कुंज, आई.आई.टी. कैम्पस, रुड़की-247667, जिला- हरिद्वार, उत्तराखण्ड


अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  जून 2011 अंक में पांच हाइकु
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : सितम्बर 2011 अंक में एक कविता।
                                                             अक्टूबर 2011 अंक में चार हाइकु




नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

84. हरदीप कौर सन्धू

हरदीप कौर सन्धू








जन्म :  17 मई 1969 को बरनाला (पंजाब) में। वर्तमान निवास: सिडनी। शिक्षा : एम.एस-सी. (वनस्पति विज्ञान), बी.एड., एम.फिल., पी-एच.डी.। 
लेखन/प्रकाशन/योगदान  :  मूलतः  कवयित्री, कहानी, लेख आदि में भी योगदान। हिन्दी एवं पंजाबी भाषाओं में हाइकु में विशेष योगदान। अनेक पात्र-पत्रिकाओं एवं इन्टरनेट पर वेब पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।  चर्चित ब्लाग ‘हिन्दी हाइकु’(http://hindihaiku.wordpress.com) तथा तांका व चोका के ब्लाग ‘त्रिवेणी’ (http://trivenni.blogspot.com) के सम्पादन में सहभागी। अपने ब्लाग ‘शब्दों का उजाला’ (http://shabdonkaujala.blogspot.com/) पर उपलब्ध।
सम्प्रति :  सिडनी (आस्ट्रेलिया) में अध्यापनरत।
सम्पर्क :  ईमेल :  dsandhu17@gmail.com


अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  जून 2011 अंक में दस हाइकु एवं हाइकु पर एक आलेख 
                        सितम्बर २०११ अंक में एक समीक्षा 'एक जन्म में सात जन्मों का जीना' (रामेश्वर कम्बोज हिमांशु के हाइकु संग्रह 'मेरे सात जनम' पर)
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अभी नहीं 



नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

83. सुरेश यादव

सुरेश यादव








लेखन/प्रकाशन/योगदान :  मूलतः कवि, कहानी, लघुकथा, समीक्षा आदि में भी योगदान। ‘उगते अंकुर’, ‘दिन अभी डूबा नहीं’ व ‘चिमनी पर टंगा चांद’ प्रकाशित कविता संग्रह। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का अवैतनिक सम्पादन किया जिनमें ‘संधान’,‘सर्वहिताय’ एवं ‘सहजानन्द’ प्रमुख हैं। अनेकों प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब साइट्स पर रचनाओं का प्रकाशन। अकाशवाणी व दूरदर्शन पर प्रसारण। कविताओं का अंग्रेजी, बंगला, पंजाबी में अनुवाद प्रकाशित हुआ है। अपने ब्लाग ‘सुरेश यादव सृजन’ (ीजजचरूध्ध्ेनतमेीलंकंअेतपरंदण्इसवहेचवजण्बवउध्) पर उपलब्ध। एक अन्य ब्लाग  ‘सार्थक सृजन’ (ीजजचरूध्ध्ेंतजींोतपरंदण्इसवहेचवजण्बवउध्) का सम्पादन। कई 
सम्मान :  ‘रांगेय राघव सम्मान’ एवं अन्य सम्मानों सहित ‘हिन्दी अकादमी, दिल्ली’ का ‘साहित्यिक कृति’(‘दिन अभी डूबा नहीं’ पर) सम्मान।
सम्प्रति :  दिल्ली नगर निगम में अतिरिक्त उपायुक्त वद पर सेवारत।
म्पर्क : 2/1, एम सी डी फ्लैट्स(एंड्रूजगंज), साउथ एक्सटेंशन(पार्ट-2), नई दिल्ली-110049 
दूरभाष : 011-26255131(निवास) /मोबाइल: 09818032913
ई मेल : sureshyadav55@gmail.com

अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप : जून अंक में पांच हाइकु एवं दो क्षणिकाएं
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अभी नहीं 






नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

82. डॉ. सुधा गुप्ता

डॉ. सुधा गुप्ता









जन्म : 18.05.1934, मेरठ। शिक्षा :  हिन्दी में एम.ए., पी-एच.डी. एवं डी.लिट.। 
लेखन/प्रकाशन/योगदान : वरिष्ठ साहित्यकार सुधा जी मूलतः कवयित्री हैं और हिन्दी में हाइकु व तांका को प्रतिष्ठित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हाइकु एवं ताँका पर ही उनके एक दर्जन से अधिक संकलन प्रकाशित हुए हैं, जिनमें खुश्बू का सफर, लकड़ी का सपना, तरु देवता, पारवी पुरोहित, कूकी जो पिकी, चाँदी के अरघे में, बाबुना जो आएगी, आ बैठी गीत परी, अकेला था समय, धूप से गप-शप, चुलबुली रात ने, पानी माँगता देश (सेनर्यू संग्रह) एवं कोरी मांटी के दीये व सात छेद वाली मैं (तांका संग्रह)। साथ ही आठ अन्य काव्य-संग्रह, तीन बाल-गीत संग्रह, दो गीत संग्रह व तीन शोध ग्रन्थ एवं तीन सम्पादित ग्रन्थ भी प्रकाशित हुए हैं। अनेकों पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं/साइट्स पर रचनाएं प्रकाशित। 
सम्प्रति :  महाविद्यालय की प्राचार्या पद से सेवानिवृत स्वतन्त्र साहित्यकार हैं।
सम्पर्क : 120 बी/2, साकेत, मेरठ (उ.प्र.)
दूरभाष :  0121-2654749




अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  जून 2011 में 14 हाइकु
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : नवम्बर 2011 अंक में पाँच  तांका। 






नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे

81. प्रदीप गर्ग पराग




प्रदीप गर्ग पराग














जन्म  :  01.04.1956। शिक्षा :  एम.एस-सी., एम.ए., एम.एड.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान :  मूलतः  कवि। अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। 
सम्प्रति :  शिक्षक।
सम्पर्क : 1785, सैक्टर-16, फरीदबाद-121001(हरियाणा)
फोन :   0129-4070443 / मोबाइल : 09891059213



अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन    

मुद्रित प्रारूप :  मार्च 2011 अंक में एक ग़ज़ल। 
             जून 2011 अंक में पाँच हाइकु एवं दो जनक छंद।

ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : जनवरी २०१२ अंक में दो क्षणिकाएं 






नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम  संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश  आबंटित  आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे


बुधवार, 28 दिसंबर 2011

सामग्री एवं सम्पादकीय पृष्ठ : दिसंबर २०११


अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : १, अंक : ०४, दिसंबर २०११ 


रेखांकन : डॉ. सुरेन्द्र  वर्मा 
प्रधान संपादिका : मध्यमा गुप्ता
संपादक : डॉ. उमेश महादोषी 
संपादन परामर्श : डॉ. सुरेश सपन  
फोन : ०९४१२८४२४६७ एवं ०९०४५४३७१४२ 
ई मेल : aviramsahityaki@gmail.com 


।।सामग्री।।
कृपया सम्बंधित सामग्री के प्रष्ट पर जाने के लिए स्तम्भ के साथ कोष्ठक में दिए लिंक पर क्लिक
 करें ।


अविराम विस्तारित :


काव्य रचनाएँ  {कविता अनवरत} :  इस अंक में  रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु',  कृष्ण सुकुमार, महेश चंद्र पुनेठा,अलीहसन मकरैंडिया, कमल कपूर, ओम प्रकाश श्रीवास्तव अडिग, सुभान अली ‘रघुनाथपुरी’, डॉ. नसीम अख़्तर, डा. ए. कीर्तिवर्द्धन एवं अमित कुमार लाडी की काव्य रचनाएँ। 


लघुकथाएं   {कथा प्रवाह} :  इस अंक में  डॉ. सतीश दुबे, युगल, राजेन्द्र परदेशी, दिनेश चन्द्र दुबे, सन्तोष सुपेकर, गोवर्धन यादव, अंकु श्री, सीताराम गुप्ता, अनिल द्विवेदी ‘तपन’ एवं शिव प्रसाद ‘कमल’की लघुकथाएं। 


कहानी {कथा कहानी इस अंक में शशिभूषण बडोनी की कहानी


क्षणिकाएं  {क्षणिकाएँ इस अंक में रतन चन्द्र रत्नेश,  महावीर रवांल्टा एवं  सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’ की क्षणिकाएं


हाइकु व सम्बंधित विधाएं  {हाइकु व सम्बन्धित विधाएँ}  :  इस अंक में देवेन्द्र नारायणदास एवं डॉ. गौरीशंकर श्रीवास्तव ‘पथिक’ के पाँच-पाँच हाइकु तथा  दिलबाग विर्क के  चार तांका।


जनक व अन्य सम्बंधित छंद  {जनक व अन्य सम्बन्धित छन्द:  इस अंक में  पं. ज्वालाप्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ व कुँ. शिवभूषण सिंह गौतम के जनक छंद। 


व्यंग्य रचनाएँ  {व्यंग्य वाण:  इस अंक में कृष्णलता यादव का व्यंग्यालेख


संभावना  {सम्भावना इस अंक में नए हस्ताक्षर देशपाल सिंह सेंगर  की प्रस्तुति उनकी एक  लघुकथा के साथ 


किताबें   {किताबें} : डॉ. ब्रह्मजीत गौतम की पुस्तक 'दोहा-मुक्तक-माल' की परिचयात्मक समीक्षा डॉ. ओम्प्रकाश भाटिया 'अराज' द्वारा  


लघु पत्रिकाएं   {लघु पत्रिकाएँ} : 'हरिगंधा' के लघुकथा विशेषांक एवं 'मोमदीप' लघु पत्रिका पर डॉ. उमेश महादोषी की समीक्षात्मक/परिचयात्मक 


गतिविधियाँ   {गतिविधियाँ} : पिछले माह प्राप्त साहित्यिक गतिविधियों की सूचनाएं/समाचार


अविराम के अंक  {अविराम के अंक} : अविराम के मुद्रित प्रारूप के दिसंबर २०११ अंक में प्राप्त सामग्री की जानकारी।


अविराम के रचनाकार  {अविराम के रचनाकार} : अविराम के तीस और रचनाकारों का परिचय।





।।मेरा पन्ना/उमेश महादोषी।।
  • ब्लाग का यह अंक कुछ विलम्ब से वर्ष 2011 की विदाई की वेला में आ रहा है। इस वर्ष ने हमें काफी कुछ दिया। नतीजे चाहे जो रहे, पर अन्ना के साथ देश की आवाज एक सही और जरूरी मुद्दे पर साथ दिखाई दी। क्षणिक ही सही, जनता ने देश के नेतृत्व को एक चुनौती दी। यह सही है कि हमारा राजनैतिक नेतृत्व अव्वल दर्जे का ढीठ है, और आसानी से अपना चरित्र बदलने वाला नहीं है, पर यह भी निश्चित है कि जनता को रास्ता दिख गया है और नेतृत्व नहीं चेता, तो जनता का गुस्सा कभी भी भयंकर परिणति में बदल सकता है। दोस्तो यह एक ऐसा दौर है, जब रचनाकार के रूप में हमारी जिम्मवारी भी अहम् हो जाती है। हमें अपनी लेखनी से समाज को दिशा दिखानी है, लोगों की ऊर्जा को बढ़ानी है। इसके बिना हम अपना धर्म नहीं निभा पायेंगे। सही मायनों में वर्ष 2011 हम देशवासियों को ऐसी ऊर्जा देकर गया है, जो देश और समाज का भविष्य तय करेगी। 
  • धन्यवाद विदा ले रहे हमारे मार्गदर्शक! हमारे सहगामी! हमारे मित्र! हमारे संरक्षक! हमारे समय! हम जानते हैं अगला वर्ष भी तुम्हारा ही दूसरा कदम है। तुम्हीं हो जो हमारे लिए एक नई ऊर्जा की प्रेरणा लेकर हर नए क्षण में हमारे लिए नया अहसास बनकर आते हो। नया वर्ष भी तुम्हीं होगे, तुम्हीं होगे, जो हमारे कन्धों पर हाथ रखकर साथ चलते हुए हमें एक अलग स्फूर्ति से भर दोगे। स्वागत है मित्र तुम्हारा 2012 के रूप में। हम जानते हैं तुम्हारे तमाम मार्गदर्शन के बावजूद हमारे बहुत से पिछले संकल्प अभी अधूरे हैं, पर तुम्हारी दी ऊर्जा के साथ हम नई चुनौतियाँ के साथ उन तमाम संकल्पों को भी पूरा करेंगे। नए क्षणों, नए समय के रूप में तुम आओ, तुम्हारा स्वागत है! स्वागत है! स्वागत है!
  • दोस्तो नए वर्ष के साथ ही आपकी पत्रिका अविराम, पंजीकृत रूप में ‘अविराम साहित्यिकी’ के नाम से आयेगी। एक लम्बी उड़ान की तैयारी करनी है। प्रसार संख्या को बढ़ाना है। लघु पत्रिकाओं की प्रसार संख्या भी सामान्यतः लघु ही बनी रहती है। हमने धीरे-धीरे विगत दो वर्षों में लगभग दो गुने लोगों तक अविराम को पहुँचाया है। सदस्य संख्या चाहे जो रहे, अगला अंक हर हाल में एक हजार से ज्यादा मित्रों तक पहुँचेगा। आगामी तीन-चार वर्षों में हम एक ओर जहाँ ‘अविराम साहित्यिकी’ के मुद्रित प्रारूप को देश के हर कोने तक, हर नए-पुराने साहित्याकार/साहित्य प्रेमी तक पहुँचाना चाहते हैं, वहीं इसकी पृष्ठ संख्या को भी धीरे-धीरे बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए हम पाठक मित्रों के साथ भी थोड़ी आर्थिक साझेदारी अपेक्षा कर रहे हैं। इसलिए अविराम साहित्यिकी का वार्षिक सहयोग राशि रु. 60/- एवं आजीवन सहयोग रु. 750/- निर्धारित की है। आशा है आप सब पत्रिका का आर्थिक आधार मजबूत करने में सहयोग करेंगे। फिलहाल आर्थिक सहयोग धनादेश द्वारा ही ‘श्रीमती मध्यमा गुप्ता, प्रधान सम्पादिका: अविराम साहित्यिकी, एफ-488/2, गली संख्या 11, राजेन्द्र नगर, रुड़की-247667, जिला-हरिद्वार (उत्तराखण्ड)’ के पते पर भेजें। पत्रिका का बैंक में खाता खुलने तक (जिसकी सूचना हम पाठकों को दे देंगे) कृपया चैक/ड्राफ्ट न भेजें।
  • अविराम साहित्यिकी का पहला अंक (जनवरी-मार्च 2012 अंक) फरवरी के मध्य तक लाने का प्रयास रहेगा। इसके बाद मई(अप्रैल-जून अंक), अगस्त (जुलाई-सितम्बर अंक) और नवम्बर (अक्टूबर-दिसम्बर अंक) में नियमित रूप से आते रहेंगे। जिन मित्रों ने अविराम का मुद्रित संस्करण नहीं देखा है, वे अपना पता हमें भेज दें, हम निःशुल्क नमूना प्रति आपको उपलब्ध करवा देंगे। हाँ, फिलहाल भारत से बाहर मुद्रित प्रति भेजना हमारे लिए सम्भव नहीं है। विदेश में रह रहे मित्र अपने भारत के पते पर मुद्रित प्रति भेजने की इच्छा जाहिर करेंगे तो हम अवश्य भेज सकेंगे।
  • जो मित्र इस ब्लाग के समर्थक/सदस्य बने हैं, उनमें से जो लेखन से जुड़े हुए हैं, उनकी रचनाएँ प्राप्त कर हमें खुशी होगी। मुद्रित एवं ब्लाग दोनों ही प्रारूपों में स्थान देने का प्रयास किया जायेगा। आप अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के समाचार भी भेज सकते हैं। जो मित्र रेखांकन एवं फोटोग्राफी में रुचि रखते हैं, अपने बनाए रेखांकन एवं दृश्य छाया चित्र भी भेज सकते है। प्रकाशनार्थ सामग्री भेजने के लिए आर्थिक सहयोग करना कोई वाध्यता नहीं है। हाँ, रचनाओं के स्तर का अवश्य ध्यान रखें। आर्थिक सहयोग पूरी तरह स्वैच्छिक है। एक बार में अपनी चार-पाँच प्रतिनिधि रचनाएँ परिचय एवं फोटो सहित भेजना अधिक अच्छा होगा।
  • सभी मित्रों को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ।


अविराम विस्तारित


अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : १, अंक : ०४, दिसंबर २०११ 


।।कविता अनवरत।।


सामग्री : रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु',  कृष्ण सुकुमार, महेश चंद्र पुनेठा,अलीहसन मकरैंडिया, कमल कपूर, ओम प्रकाश श्रीवास्तव अडिग, सुभान अली ‘रघुनाथपुरी’, डॉ. नसीम अख़्तर, डा. ए. कीर्तिवर्द्धन एवं अमित कुमार लाडी की काव्य रचनाएँ।



रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’



दोहे

बाती कौए, ले उड़े, चील पी गई तेल ।
बाज देश में खेलते, लुकाछिपी का खेल ।।1।।            


बिना खाद पानी बढ़ा, नभ तक भ्रष्टाचार ।
सदाचार का खोदकर, फेंका खर-पतवार ।। 2।।


रेखांकन : राजेंद्र  परदेशी 
जनता का जीना हुआ, दो पल भी दुश्वार ।
गर्दन उनके हाथ में, जिनके हाथ कटार ।।3।।


ऊँची-ऊँची कुर्सियाँ, लिपटे काले नाग ।
डँसने पर बचना नहीं, भाग सके तो भाग ।। 4।।

  • 37-बी/02, रोहिणी, सेक्टर-17, नई दिल्ली-110089 


कृष्ण सुकुमार


ग़ज़ल 


बचा कर आग इक ऐसी मैं अपने में निहां रखूं
मुसलसल अपने भीतर प्यास का दरिया रवां रखूं


छुपाना चाहता हूँ दर्द से इस जिस्म को लेकिन
परिंदा फिर ठिकाना ढूंढ़ लेता है, कहाँ रखूं


दरोदीवार से रखूं बना कर दूरियां इतनी
कि अपने घर को गोया खुला इक आस्मां रखूं


इधर मैं हूँ उधर पड़ता है मेरे जिस्म का साया
रेखांकन : हिना 
सफ़र में साथ अपने सिर्फ इतना कारवां रखूं


हज़ारों ख़्वाब मेरे कारवां में साथ चलते हैं
अकेलेपन से मैं ख़ुद को बचाने का गुमां रखूं

  • 193/7, सोलानी कुंज, भा. प्रौ. सं., रुड़की-247667, जिला-हरिद्वार (उ.प्र.)




महेश चंद्र पुनेठा



दो  कवितायेँ   

1. प्रार्थना 


विपत्तियों से घिरे आदमी का
जब
नहीं रहा होगा नियंत्रण
परिस्थितियों पर
रेखांकन : शशिभूषण बडोनी

फूटी होगी
उसके कंठ से पहली प्रार्थना
विपत्तियों से उसे
बचा पायी हो या नहीं प्रार्थना
पर विपत्तियों ने
अवश्य बचा लिया प्रार्थना को।


2.  गमक 


फोड़-फाड़ कर बड़े-बड़े ढेले 
टीप-टाप कर जुलके 
बैठी है वह पाँव पसार 
अपने उभरे पेट की तरह 
चिकने लग रहे खेत पर 
फेर रही है 
हल्के -हल्के हाथ 


ढॉप रही है ऊपर तल में 
रह चुके बीजों को 
रेखांकन : नरेश उदास 


फिर जाँचती है 
धड़कन
अपने उभरे पेट में हाथ धर 
गमक रही है औरत 
गमक रहा है खेत 
दोनों को देख 
गमक रहा है एक कवि ।
  • संपर्क: जोशी भवन निकट लीड बैंक  जिला-पिथौरागढ़ 262530(उत्तराखंड) 



अलीहसन मकरैंडिया






सीना ताने खड़ा सेतु 


1.
सुनामी से रक्षा हेतु, सीना ताने खड़ा सेतु,
       टूट जाय इतिहास, ऐसा मत कीजिए!
विजय का प्रतीक है, पुरा वास्तु कला-चिह्न,
       धरोहर राम की अनौखी बचा लीजिए!
वानर-सेना समान, एकजुट तानें तान,
       घूँट अपमान का न चुप रह पीजिए!
करके जो ईश-निंदा, नहीं हुए शरमिंदा,
       संविधान अनुसार, दंड उन्हें दीजिए!
2.
रामसेतु सागर में, विश्व-हित साधक है,
       थाम लेता सीने पे ही सिन्धु के उफान को!
प्रभु राम के चरित्र की मिसाल है विशाल,
       दुनियां से जिसने मिटाया था शैतान को!
द्रश्य छाया चित्र : अभिशक्ति 
धरम-मर्यादा की विखंडता को रोका और
       आपदा-प्रचंड से बचाया जग-प्राण को!
रामजी के निन्दक तू मुख में लगाम डाल,
       सौ-सौ बार सोच फिर खोलना जुबान को!
3.
अत्याचारी दानव, जो मानवों में मिल गये,
       कंटक कठोर हैं वे सज्जन-सलाह में!
दुराग्रही और पापी लोग हैं अनीशवादी,
       विश्व का विनाश इष्ट उनकी कुचाह में!
सत्य के विरोधी हैं मुरीद भ्रष्टाचार के वे,
       निन्दक निगोड़े रत जुल्म की ही राह में!
कहते ‘हसन अली’, औरों की है कब चली,
        उनके बढ़ावे से फरेबी हैं पनाह में!

  • बी-410, एन.टी.पी.सी. टाउनशिप, डाक-विद्युतनगर, जिला-गौतमबुद्धनगर-201008 (उ.प्र.)




कमल कपूर




आओ सहेली!.....




हम बरसों बाद मिली हैं, कर लें आ जी खोल कर बातें
आओं सहेली! आज करें हम मिलजुल अच्छी-अच्छी बातें


गुज़रे कल को दोहराएँ हम करके बचपन वाली बातें
गुड़िया गिट्टे कंच, छुपन-छुपाई की वो बातें
कॉलेज वाली अमराई की, मीठी प्यारी नटखट बातें
चूरन इमली और अंबियों से सनी हुई वो खट्टी बातें
आओं सहेली! आज करें हम......................।।1।।


गृहस्थी के पचड़ों को छोड़ें, करे किताबों की हम बातें
‘धरमवीर’ के सुधा और चंदर, ‘शरत’ के देवदास की बातें
‘नीरज’ के मीठे नग्मों की, ‘बच्चन’ के गीतों की बातें
‘महादेवी’ की ‘दीप शिखा’ की, ‘प्रसाद’ की ‘कामायनी’ की बातें
मुक्त छंद ‘निराला’ के गुन लें, करें ‘वासंती परी’ की बातें
आओं सहेली! आज करें हम ....................।।2।।


पतझर की हम बात करें न, करें बहारों की हम बातें
मस्त फिज़ाओं, भीगी हवाओं, बरखा और जाड़ों की बातें
बहके-बहके मौसम वाली महकी-महकी मीठी बातें
रोग, गमों, झगड़ों को छोड़ें, खुशियों की ही करें हम बातें
मन में घोलें मधु और मिश्री, छेड़ें मधुर-मनाहर बातें
आओं सहेली! आज करें हम......................।।3।।


आशाओं से खुद को जोड़ें, छोड़ निराशा की हम बातें
उम्मीदों से भरी सुहानी, करें हम प्रीत-प्रेम की बातें
नयनों से न नीर बहाएँ, करें खुशी से हँसती बातें 
दर्द, पीर और मौत को भूलें, करें ‘ज़िन्दगी’ की हम बातें
हम आज हैं संग, कल जाने कहाँ! करें सिर्फ हम बातें-बातें
रेखांकन : नरेश उदास 
आओं सहेली! आज करें हम ........................।।4।।



  • 2144/9, फरीदाबाद-121006 (हरियाणा)




ओम प्रकाश श्रीवास्तव अडिग




गीत अपने प्यार के गाओ


घाटियों में फिर चलो! आओ
गीत अपने प्यार के गाओ।


देव की महती कृपा होगी,
जो हरीती है मरुस्थल में।
शेष बस अनुगूँज रहती है,
जो घटाया शब्द ने पल में
पर्वतों पर रास्ते ऐसे
बने हैं, तुम चले जाओ।। गीत....


सृष्टि कैसी घूमती मन में, 
याद का विस्तार है होना।
प्राप्ति का भ्रम जी रहा ऐसे,
स्वप्न में आकाश का खोना।
शाम को जब है मुरझ जाना,
द्रश्य छाया चित्र : अभिशक्ति 
धूप में बन फूल मुस्काओ।। गीत....


झिलमिलाती दीप की वाती
भी सितारों की तरह होती।
प्यार की ही यह कहानी है,
आँख का आँसू हुआ मोती।
श्वांस में यूं  प्राण को भरकर,
फिर सुबह की भांति हरषाओ।। गीत....

  • गीतायन, 454, रोशनगंज, शाहजहाँपुर-242001(उ.प्र.)


सुभान अली ‘रघुनाथपुरी’

खामोशी है दिल की जबाँ

मेरे ये नग़मे अब मेरी आवाज़ में अच्छे नहीं लगते,
और कि नये सुर पुराने साज़ में अच्छे नहीं लगते।


वही ख़्वाहिशें दिल में अब भी हैं जो कभी पहले थीं,
अब वे ख़्वाहिशी परिन्दे परवाज़ में अच्छे नहीं लगते।


मेरे सनम पहले तुम्हीं सुना दो मुझे अपने सारे नगमे,
मेरे ये बेअसर नग़में यूँ आग़ाज़ में अच्छे नहीं लगते।


रखो कुछ अपने चाहने वाले की नज़रों का लिहाज,
इतने नख़रे किसी नज़र नवाज़ में अच्छे नहीं लगते।


जब भी बोलें अल्फ़ाज़ की दिलकश ख़शबू उड़े हरसू,
तज़किरे कभी तल्ख़ अल्फाज़ में अच्छे नहीं लगते।


रेखांकन : किशोर श्रीवास्तव 
राज़ अपने दोस्त के न खोलें गैर से कभी भी यारो,
राज़ खोलने के गुनाह हमराज़ में अच्छे नहीं लगते।


बुजुर्गी में कभी किसी से, ज़ियादह न बोलना यारो,
लफ्ज़ों के ये शग़ल उम्रदराज़ में अच्छे नहीं लगते।


जवानी में जु़बाँ और बुजुर्गी में ख़ामोशी बोलती है,
ज़ज़्बात दिखाने, दीगर अन्दाज़ में अच्छे नहीं लगते।
  • हिण्डन विहार, ग़ाज़ियाबाद-03


डॉ. नसीम अख़्तर


ग़ज़ल


मेरा  सब्र   यूँ   आज़माने लगा।
सितम*1 पर सितम मुझपे करने लगा।


तेरे सामने जबसे जाने लगा
सुकूने दिलो जान*2 पाने लगा।


द्रश्य छाया चित्र : पूनम गुप्ता 
मैं जब घर से बाहर निकलने लगा
ज़माने का अन्दाज़ आने लगा।


वो सरतापा*3 ख़श्बू, वो गुल पैरहन*4
मेरी आत्मा में उतरने लगा।


‘नसीम’ उसके ऐबो हुनर*5 खुल गये
वो हर रोज़ जब पास आने लगा।


*1अत्याचार      *2हृदय और आत्मा की शान्ति
*3सिर से पैर तक    *4लिबास   * 5बुराई-अच्छाई
  • जे- 4/59, हंस तले, वाराणसी-221001 (उ.प्र.)


डा. ए. कीर्तिवर्द्धन




आइना 
हम नहीं जानते
आप क्या चाहते हैं?
वास्तव में
देश को आगे बढ़ाना
अथवा 
राजनीति की 
वैसाखी के सहारे
अपने लक्ष्य को पाना।
एक सत्य है 
सभी जानते हैं
जो लोग
दूसरों के कन्धों पर
चढ़कर जाते हैं
अपने पैरों वो
द्रश्य छाया चित्र : अभिशक्ति 
कभी नहीं
चल पाते हैं।
इतिहास गवाह है
राष्ट्र निर्माण का
उत्थान का
अवसान का।
आम आदमी की
भागेदारी
जब-जब बढ़ी है
राष्ट्र अस्मिता 
परवान चढ़ी है।

  • 53, महालक्ष्मी एंक्लेव, जानसठ रोड, मुजफ्फरनगर-251001 (उ0प्र0)


अमित कुमार लाडी


कई बार


कई बार मुझे
अपने आप से ही
डर लगता है,
कई बार
अपना व्यवहार ही
बर्बर लगता है,
कई बार तो
अपना सुन्दर सा घर ही
द्रश्य छाया चित्र : पूनम गुप्ता 
मुझे खंडहर सा लगता है
और कई बार
अपना होना भी
एक खबर सा लगता है
‘लाडी’ क्या कहे अब
किस्मत का खेल भी
झूठा सा लगता है।

  • मुख्य सम्पादक, आलराउँड मासिक, डोडां स्ट्रीट, फ़रीदकोट-151203 (पंजाब)