आपका परिचय

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : 2,  अंक : 3,  नवम्बर 2012  


।।क्षणिकाएँ।।


सामग्री : अनिता ललित की क्षणिकाएँ।



अनिता  ललित




चार क्षणिकाएँ

1.
ए खुदा मेरे ! मैं करूँ तो क्या ?
ग़मज़दा हूँ मैं... ना-शुक़्र नहीं...
एक हाथ में काँच सी नेमतें तेरी...
दूजे में पत्थर दुनियां के.....
दुनियां को उसका अक़्स दिखा...
या मुझको ही कर दे पत्थर.... 

2.
काश ज़िंदगी ऐसी किताब होती......
कि जिल्द बदलने से सूरत-ए-हाल बदल जाते...
मायूस भरभराते पन्नों को कुछ सहारा मिलता....
धुंधले होते अश्आर भी चमक से जाते....
छाया चित्र : पूनम गुप्ता 
ज़िंदगी को... कुछ और जीने की वजह मिल जाती...

3.
हाथ उठाकर दुआओं में...
अक्सर  तेरी खुशी माँगी थी मैनें...
नहीं जानती थी....
मेरे हाथों की लक़ीरों से ही निकल जाएगा तू... 

4.
आँखों में चमक,
दिल में अजब सा सुक़ून हो जैसे...
माज़ी के मुस्कुराते लम्हों ने...
फिर से पुकारा हो जैसे......

  • 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ (उ.प्र.)

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : 2,  अंक : 3,  नवम्बर 2012  

।हाइकु।।

सामग्री : इस अंक में डॉ. सुधा गुप्ता के पाँच तांका।



डॉ. सुधा गुप्ता



पाँच ताँका

1.
सुन रे बच्चे!
सपने तेरे बड़े
नयन छोटे
आकाश तेरा घर
ले उड़ान जी-भर

2.
नाप धरा है
आकाश औ‘ पाताल
पल भर में
मुट्ठी भर का दिल
कितनी हलचल!

3.
सूरज हँसे
रेखांकन : के. रविन्द्र 
धरा कैसी दीवानी
अजब नशा
रोज़ देखे सपने
कभी न हों अपने

4.
निडर चोर
सब चुरा ले गया
नींद, सपने
छोड़ गया तो बस
सूजी-सूजी पलकें

5.
धान की पौध
रोपती हैं औरतें
बोती सपने
बँधे नया छप्पर
बेटी जाये ‘पी’ घर

  • 120 बी/2, साकेत, मेरठ (उ.प्र.)

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 3, नवम्बर 2012


।।जनक छन्द।।

सामग्री : मुखराम माकड़ ‘माहिर’ के छ: जनक छंद।

मुखराम माकड़ ‘माहिर’




छ: जनक छन्द

01.
आज याद प्रिय आ गये
अंग-अंग में धड़कने
नगमें मन सहला गये

02.
सुधा सरसती रात को
शरत चंद की चाँदनी
शीत सुहाता गात को

03.
रेखांकन : बी मोहन नेगी 
माल मुफ्त का हाथ में
लुटा रहे दिल खोल के
मुफ्तखोर सब साथ में

04.
ऋचा वेद की खो गयी
प्यारी माया वतन से
रीत प्रीत की सो गयी

05.
डूबे अपने आप में
नहीं भरोसा प्यार का
हाथ सने हैं पाप में

06.
इस घर की मैना उड़ी
बजी प्रीत की घंटियाँ
उस घर की खिड़की खुली

  • विश्वकर्मा विद्यानिकेतन, रावतसर, जिला- हनुमानगढ़-335524 (राज.)


बाल अविराम

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : 2,  अंक : 3,  नवम्बर  2012  

{कई प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, रुड़की एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य व अनेक विश्वविद्यालयों की शोध समितियों एवं पाठ्यक्रम समितियों के सदस्य रहे हैं एवं वर्तमान में केन्द्रीय साहित्य अकादमी तथा हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, गढ़वाल की कार्यपरिषद के सदस्य हैं। पिछले कई महीनों से उनका स्नेह एवं सामयिक मार्गदर्शन हमें भी प्राप्त होता रहा है। इसी दौरान बच्चों के लिए उनके प्रेरणादायी लेखन से भी हमें परिचित होने का अवसर मिला। उन्हीं की प्रेरणा से हमारे मन में भी बच्चों के लिए ‘अविराम’ के मंच से कुछ करने का विचार आया। इससे पूर्व सुप्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘बाल प्रहरी’ के संपादक श्री उदय किरोला जी ने भी पत्र लिखकर बच्चों के लिए ‘अविराम’ में कुछ पृष्ठ सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। मुद्रित ‘अविराम साहित्यिकी’ में तो फिलहाल हमारे लिए पृष्ठ जुटाना संभव नहीं हो पा रहा है, परन्तु इन्टरनेट पर इस ब्लॉग संस्करण में बच्चों का यह स्तम्भ हम सहर्ष आरम्भ कर रहे हैं।
         इस स्तम्भ में बाल साहित्य (बाल कविताएं, छोटी बाल कथाएं एवं प्रेरक प्रसंग आदि) के साथ बच्चों की स्वयं की गतिबिधियों (बच्चों के बनाये चित्र, पेटिंग्स तथा उनके रचनात्मक कार्यों के विवरण, समाचार आदि) को भी शामिल किया जायेगा। स्कूलों के प्राचार्य/अध्यापक/अभिभावक भी बच्चों की गतिविधियों संबन्धी सामग्री/रिपोर्ट भेज सकते हैं।}



।। बच्चों की दुनियाँ ।।  

सामग्री : इस अंक में डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’  एवं  नरेश कुमार ‘उदास’ की बाल कविताएँ। साथ में बाल चित्रकारों मिली भाटिया, अभय ऐरन  एवं आरुषी ऐरन की पेंटिंग्स व रेखांकन।


डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’



{डॉ. ‘अरुण’ जी की बाल कविताओं का संग्रह ‘अंधियारों में राह दिखायें’ अभी हाल ही में प्रकाशित हुआ है, जिसमें उनकी 52 प्रेरणादायी बाल कविताएँ शामिल हैं। अविराम ब्लॉग के इस स्तम्भ का आरम्भ हम डॉ. अरुण सर के इसी संग्रह की दो बाल कविताओं से कर रहे हैं।}




सारे मिलकर वृक्ष लगाओ

रेखाचित्र : अभय  ऐरन, रुड़की  
आओ सोहन, आओ श्यामू
राधा, गुड्डू तुम भी आओ!
हम सब मिलकर वृक्ष लगाएँ
सब को यह संदेश सुनाएँ!!

पेड़ लगाना धर्म सभी का,
यह सबको बतलाना है!
पेड़ सभी को जीवन देते,
सबको ही समझाना है!!

हरियाली से मिलता जीवन,
सबको ही यह बात बताओ!

रेखाचित्र : आरुषी ऐरन, रुड़की
वातावरण जब होता दूषित,
पेड़ शुद्ध वायु देते हैं!
कोई फीस लिए बिना ही,
जग को यह जीवन देते हैं!!

वृक्षों की महिमा न्यारी,
घर-घर जाकर सभी बताओ!

वृक्ष काटना बहुत बुरा है,
नए-नए हम वृक्ष लगाएँ!
पर्यावरण रक्षित करने को,
वृक्षारोपण अभियान चलाएँ!!

जीवन अगर बचाना है तो,
सारे मिलकर वृक्ष लगाओ!

पेंटिंग : मिली भाटिया, रावतभाटा 
छुक-छुक करती चल दी रेल

छुक-छुक करती चल दी रेल।
सब बच्चों में हो गया मेल।।

अक्षत इंजन इस गाड़ी का,
छुक-छुक दौड़ लगाता है।
अपनी रेल के सब डिब्बों को,
साथ-साथ ले जाता है।

तेज बड़ी चलती यह रेल।
बड़े मजे का है यह खेल।।

रेखाचित्र : अभय  ऐरन, रुड़की  
मिक्कू झंडी लिए हाथ में,
हँसकर दौड़ लगाती है।
गार्ड बनी झंडी दिखलाती,
सीटी खूब बजाती है।।

भाग रही दोनों की रेल।
सब बच्चों में हो गया मेल।।

गुड्डू, शिवम, प्रिंस संग सारे,
रेल के डिब्बे बने हुए हैं।
दौड़-दौड़ के थके सभी हैं,
फिर भी सारे तने हुए हैं।।

रुक गई छुक-छुक, खतम है खेल,
अब तो कल ही जाएगी रेल।।

  • 74/3, न्यू नेहरू नगर, रुड़की-247667, जिला हरिद्वार (उत्तराखण्ड)


नरेश कुमार ‘उदास’






{वरिष्ठ कवि-कथाकार श्री नरेश कुमार ‘उदास’ जी की बाल कविताओं का संग्रह ‘बच्चे होते है अच्छे’ पिछले वर्ष प्रकाशित हुआ था, जिसमें उनकी 59 बाल कविताएँ शामिल हैं। इसी संग्रह से प्रस्तुत हैं उदास जी की दो बाल कविताएं।}


सरकस का जोकर

रेखाचित्र : अभय  ऐरन, रुड़की  
सरकस का जोकर स्टेज पर आया
अपनी हरकतों से
उसने दर्शकों को खूब हँसाया
बच्चे खूब हँसे, खिलखिलाए
जोकर बात-बात पर सबको हँसाए।
उसके करतब हैं निराले
कपड़े पहने उसने ढीले-ढाले
टोपी उसकी रंग-बिरंगी
बना फिरता है वह बजरंगी।
वह जादू के खेल दिखाता
दर्शक हैरान रह जाता
गिल्ली-गिल्ली के मंत्र से
सबको मंत्रमुग्ध करता
अपने खाली झोले से 
कभी खरगोश तो कभी 
पेंटिंग : मिली भाटिया, रावतभाटा 
कबूतर निकाल दिखाता
और भीड़ से तालियाँ बजवाता।
सरकस में और भी जादूगर आए
कोई रस्सी पर चले
तो दूसरा मौत के कुएँ में
मोटर साइकल चलाए
सरकस के हैं खेल निराले
सबको चकित करने वाले।

तितली रानी

तितली रानी, तितली रानी
मैंने पकड़ने की तुझे है ठानी
लेकिन छूने से पहले ही, 
उड़ जाती हो
रेखाचित्र : आरुषी ऐरन, रुड़की
लगती हो तुम खूब सयानी।
कभी इधर और कभी उधर
उड़-उड़कर आती-जाती हो,
फूल-फूल पर बैठ-बैठकर
रस पीकर जाती हो।
तेरे अनेकों रंग मुझे हैं भाते
तुझे पकड़ते-पकड़ते हम थक जाते
कब तक चलेगी तेरी मनमानी
तितली रानी, तितली रानी।

  • हिमालय जैव सम्पदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पो. बा. न. 6, पालमपुर (हि.प्र.)

बच्चे, जिन्होंने अपनी कला से सजाया है बाल अविराम का यह अंक 

1. आरुषी ऐरन,     रुड़की




छात्रा : कक्षा 11, सैंट ऐंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रुड़की 
माँ : श्रीमती बबिता गुप्ता, पिता : डॉ शशि मोहन गुप्ता 

(इस अंक में शामिल सभी चित्र  कक्षा 8 में अध्ययन के दौरान बनाये गए)






2. मिली भाटिया,  रावतभाता (राजस्थान)
                                




सौजन्य : श्री दिलीप भाटिया (साहित्यकार)









3. अभय ऐरन,     रुड़की






छात्र : कक्षा 5, मोंट फोर्ट  सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रुड़की 
माँ : श्रीमती बबिता गुप्ता, पिता : डॉ शशि मोहन गुप्ता 

(इस अंक में शामिल सभी चित्र  कक्षा 4 में अध्ययन के दौरान बनाये गए)


गतिविधियाँ

अविराम  ब्लॉग संकलन :  वर्ष :  02, अंक :  03,  नवम्बर  2012


डॉ. सतीश दुबे को ‘स्वर्ग विभा तारा राष्ट्रीय सम्मान’


 

इन्दौर एवं मुम्बई की साहित्यिक व सांस्कृतिक बेवसाइट संस्था ‘‘स्वर्ग विभा’’ द्वारा समग्र अवदान एवं आमंत्रित श्रेष्ठ कृतियों के आधार पर चयनित पाँच साहित्यकारों-पत्रकारों को दिया जाने वाले ‘स्वर्ग विभा तारा राष्ट्रीय सम्मान 2012’ के लिए वरिष्ठ कथाकार डॉ. सतीश दुबे का चयन उनके चर्चित उपन्यास ‘डेरा बस्ती का सफरनामा’ के लिए किया गया है।
परियावाँ (इलाहाबाद) में आयोजित समारोह में सम्मान स्वरूप भेंट अलंकरण उपकरण शाल, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान राशि उनकी अस्वस्थता के कारण इलाहाबाद से प्रकाशित ‘पूर्वांचल पथिक’ पत्रिका के संपादक श्री वसारथ खान द्वारा ग्रहण किये गये। (समाचार सौजन्य : मनोज सेवलकर, सचिव : सृजन संवाद, इन्दौर)




अशोक भाटिया को सारस्वत सम्मान


बाएँ से - प्रो. ऋषभ देव शर्मा, आशीष नैथानी,
 डॉ. राधे श्याम शुक्ल, डॉ. अशोक भाटिया,
 डॉ. एम. वेंकटेश्वर, के. नागेश्वर,
 डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा एवं संपत देवी मुरारका

नवोदित सांस्कृतिक-साहित्यिक पत्रिका ''भास्वर भारत'' के तत्वावधान में यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित सम्मलेन कक्ष में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पधारे साहित्यकार डॉ. अशोक भाटिया का सारस्वत सम्मान किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने की तथा संचालन 'स्रवंति' की सहसंपादक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने किया. 

आयोजन का विशेष आकर्षण था 'कथाकथन', जिसके अंतर्गत अतिथि रचनाकार अशोक भाटिया ने अपनी 'भीतर का सच', 'तीसरा चित्र ', 'रिश्ते', 'रंग', 'पीढ़ी दर पीढ़ी' और 'श्राद्ध' जैसी लघुकथाओं का भावपूर्ण वाचन किया. साथ ही उन्होंने अपनी कुछ कविताएँ भी प्रस्तुत कीं. चर्चा में उनकी रचना 'ज़िंदगी की कविता' के इस अंश को खूब सराहा गया- ''कविता/ घरैतिन के हाथों से होकर/ तवे पर पहुंचती है/ तो बनती है रोटी/ जहाँ कहीं भी कविता है/ वहाँ जीवन का/ जिंदा इतिहास रचा जा रहा है.''
डॉ. अशोक भाटिया दक्षिण हिंदी प्रचार सभा की
 पत्रिका भास्वर भारत का विमोचन करते हुए

       इस अवसर पर डॉ. भाटिया ने संगठन द्वारा प्रकाशित पत्रिका भास्वर भारत का विमोचन भी किया. पठित लघुकथाओं पर डॉ. एम. वेंकटेश्वर, डॉ. राधेश्याम शुक्ल, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, आशीष नैथानी, पवित्रा अग्रवाल, वेत्सा पांडुरंगा राव, संपत देवी मुरारका, ऋतेश सिंह, अशोक तिवारी, डॉ. सीमा मिश्र, वी. कृष्णा राव और नागेश्वर राव ने समीक्षात्मक टिप्पणियाँ कीं। (समाचार सौजन्य : डॉ अशोक भाटिया )







स्व. अ. कु. शुक्ल स्मृति युवा कविता प्रतियोगिता : 
प्रविष्टियां आमंत्रित

हम सब साथ साथ पत्रिका एवं अक्षित लैगवेज सर्विस द्वारा कन्या भ्रूण हत्या विषय पर 35 वर्ष तक के युवा कवियों के लिये आयोजित स्व. श्री अजय कुमार शुक्ल, स्मृति युवा कविता प्रतियोगिता हेतु देश भर की युवा प्रतिभाओं से 20 दिसम्बर,2012 तक स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित कवितायें उनके स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित होने की घोषणा, जन्म प्रमाण पत्र, फोटो एवं बायोडाटा के साथ नीचे दिये गये पते पर आमंत्रित हैं। चयनित प्रतिभाओं को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं
प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में नकद धनराशि, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया जायेगा।





प्रविष्टियां भेजने का पताः- कविता प्रतियोगिता, द्वारा, संपादक- हम सब साथ साथ पत्रिका, 916- बाबा फरीदपुरी, वेस्ट पटेल नगर, नई दिल्ली-110008 मो. 9868709348   (समाचार सौजन्य : किशोर श्रीवास्तव )



पंकस अकादमी का सम्मान समारोह सम्पन्न




विगत 25 नवम्बर 2012 को पंजाब साहित्य कला अकादमी जालंधर का 16 वां सम्मान समारोह गुरुनानक देव जिला पुस्तकालय जालन्धर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर देश के अनेक राज्यों से आये कई साहित्यकारों, पत्रकारों, समाज सेवियों तथा नेपाल के एक साहित्यकार को उनकी सेवाओं के लिए अकादमी द्वारा विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया। समारोह में मंचासीन अतिथियों में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर सत्य प्रकाश, साहित्यकार डा. रश्मि खुराना, प्रताप सिंह सोढ़ी, सुरेश सेठ, डी.आर. विज, राजेन्द्र परदेशी, दीपक जालन्धरी ले.कर्नल मनमोहन सिंह आदि प्रमुख थे। संचालन अकादमी के अध्यक्ष डा. सिमर सदोष ने किया। इस बार का शीर्ष सम्मान ‘श्रीमाँ दरशी शिखर सम्मान’ मणिपुर में शिक्षिका एवं युवा कवयित्री डा. कंचन को दिया गया। श्री देवांशु पॉल को छत्तीसगढ़ गौरव के सम्मान, कुसुम खुश्बू को ग़ज़ल अवार्ड, विजय कुमार को बाल साहित्य रत्न, प्रीति रमोला गुसांई व निशा भौंसले को आधी दुनियां पंकस अकादमी अवार्ड, राम प्रकाश शर्मा को कला पारखी अवार्ड प्रदान किया गया। विषिश्ट अकादमी सम्मान से सम्मानित होने वालों में डा. प्रेम कुमार खत्री (नेपाल) तथा भारत के देवेन्द्र नाथ शाह, डा. अशोक बाचुलकर, डा. तारिक असलम तस्नीम, डा. सी जयशंकर बाबू, डा. रमा प्रकाश नवले, डा. सुशील दाहिमा अभय, गुनू घर्ती, डा. जय सिंह अलवरी, डा. पीतवास मिश्र, डा. पुरुषोत्तम दुबे व डा. उमेश महादोषी शामिल रहे। डा. रीता सिंह सर्जना, शिवेन्द्र नाथ चौधरी, राजेश कौशिक, डा. उमिला साव कामना, महेन्द्र मयंक, एस.पी. सिंह, डा. रश्मि मल्होत्रा, इन्द्रपाल मिड्डा, रघुविन्द्र यादव को विशेष अकादमी सम्मान प्रदान किया गया। आजीवन उपलब्धि सम्मान डा. बलदेव सिंह बर्द्धन व सुरेन्द्र पाल को तथा पहली बार सृजित मानव सेवा सम्मान से श्रीमती प्रेम लता ठाकुर एवं डा. जसदीप सिंह को नवाजा गया।
       कार्यक्रम का आरम्भ सामूहिक दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। इसके बाद डा. सदोष ने मेहमानों का संक्षिप्त परिचय दिया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।



'कुंडलिया छंद के सात हस्ताक्षर' का लोकार्पण




आगरा ( 05 अक्टूबर) 'समानान्तर' संस्था के तत्वाधान मे 'यूथ हास्टल सभागार' मे त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा सम्पादित 'कुंडलिया छंद के सात हस्ताक्षर ' का विमोचन यशस्वी कवि श्री सोम ठाकुर,  बाबूजी का भारतमित्र ' के सम्पादक श्री रघुविंद्र यादव,  डा.राजेंद्र मिलन और 'समानान्तर' संस्था की अध्यक्षा डा. शशि गोयल द्वारा किया गया। बतौर मुख्य अतिथि कवि सोम ठाकुर जी ने कहा कि कुंडलिया एक लोकप्रिय विधा रही है। आज इसके संरक्षण की जरूरत है। त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा सम्पादित 'कुंडलिया छंद के सात हस्ताक्षर' इस दिशा मे सराहनीय प्रयास है। सुपरिचित रचनाकार श्री रघुविंद्र यादव ने पुस्तक की प्रशंशा करते हुए सम्पादक और इसके सभी रचनाकारों को बधाई दी। इस अवसर पर समानांतर संस्था की ओर से त्रिलोक सिंह ठकुरेला एवम रघुविंद्र यादव को श्री सोम ठाकुर द्वारा सारस्वत सम्मान देकर सम्मनित किया गया।  कार्यक्रम मे डा.रामसनेही लालशर्मा 'यायावर' गाफिल स्वामी,राजेश प्रभाकर,शेशपाल सिंह शेष ,ड्रा.एम.पी.विमल,अजीत फौजदार, सुरेंद्र सिंह वर्मा सहित अनेक साहित्यकार व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.अंत मे कवि सम्मेलन का आयोजन भी गया.कार्यक्रम का संचालन अशोक अश्रु ने किया.संयोजन श्री शिव कुमार दीपक द्वारा किया गया।  (समाचार सौजन्य : त्रिलोक सिंह ठकुरेला )

फेसबुक मैत्री सम्मेलन का आयोजन


भरतपुर में 29-30 सितम्बर, 2012 को हम सब साथ साथ पत्रिका, नई दिल्ली एवं अपना घर, भरतपुर के संयुक्त तत्वावधान में फेसबुक से जुड़ी साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक प्रतिभाओं को एक मंच पर इकट्ठा करने व उन्हें एक-दूसरे से रूबरू कराने के उद्वेश्य से भरतपुर (राजस्थान) में फेसबुक मैत्री सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। सम्मेलन के दौरान परिचय सत्र, विचार-विमर्श गोष्ठी, श्री किशोर श्रीवास्तव कृत जन चेतना कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी ‘‘खरी-खरी‘‘ के आयोजन सहित गीत-संगीत की चौपाल व कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों के लिये फतेहपुर सीकरी के भ्रमण का कार्यक्रम भी रखा गया। जिसमें प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में शामिल प्रमुख व्यक्तित्वों में सर्वश्री पं. सुरेश नीरव, सुभाष चंदर, अरविन्द पथिक (गाजियाबाद), रघुनाथ मिश्र (कोटा), ए. कीर्तिवर्द्धन (मुजफ्फर नगर), अशोक खत्री (भरतपुर), यशवन्त दीक्षित (नागदा), मानव मेहता (टोहाना), ओम प्रकाश यती, ऋचा मि़श्रा (नौएडा), नवीन शुक्ला (झांसी), संदीप सृजन (उज्जैन), अतुल जैन सुराणा (आस्था), अजय अज्ञात (फरीदाबाद) सहित दिल्ली से डा. रेखा व्यास, साज़ देहलवी, डा. सुधाकर आशावादी, सुषमा भंडारी, शशि श्रीवास्तव, पूनम माटिया, संगीता शर्मा, पूनम तुषामड, किशोर श्रीवास्तव, डा. मधुर, हेमलता एवं अनेक स्थानीय प्रतिभाओं ने भाग लिया और अपनी विभिन्न कलाओं से समारोह को विशेष गरिमा प्रदान की। 
        सम्मेलन के दौरान जहां श्रीमती सुषमा भंडारी की काव्य कृति ‘अक्सर ऐसा भी’ का गणमान्य अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया वहीं सर्वश्री सुरेश नीरव एवं पूनम माटिया को श्रीमती सरस्वती सिंह स्मृति मैत्री-भाईचारा अवार्ड व अन्य प्रतिभाओं को प्रतिभागिता सम्मान से सम्मानित भी किया गया। सम्मेलन के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता सर्वश्री पं. सुरेश नीरव एवं सुभाष चंदर ने की वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रघुनाथ मिश्र उपस्थित थे। संचालन क्रमशः सर्वश्री अरविन्द पथिक व किशोर श्रीवास्तव ने किया। अंत में आभार अपना घर के संचालक द्वय डॉ. भारद्वाज एवं श्रीमती माधुरी ने व्यक्त किया। (समाचार सौजन्य : किशोर श्रीवास्तव )


ललित गर्ग को अणुव्रत लेखक पुरस्कार

                                     
        
           अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट नैतिक एवं आदर्श लेखन के लिए प्रदत्त किया जाने वाला ‘अणुव्रत लेखक पुरस्कार’ वर्ष-2012 के लिए लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को प्रदत्त किया जायेगा। इस आशय की घोषणा 29 नवम्बर 2012 को अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में जसोल (राजस्थान) में आयोजित भव्य समारोह में की। पुरस्कार का चयन तीन सदस्यीय चयन समिति द्वारा दिये गये सुझावों पर किया गया है। पुरस्कार के रूप में 51,000/- (इक्यावन हजार रुपए) की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र एवं शॉल प्रदत्त की जाती है।
   श्री गर्ग के चयन की जानकारी देते हुए श्री गोलछा ने बताया कि अणुव्रत पाक्षिक के लगभग डेढ़ दशक तक संपादक रह चुके श्री गर्ग अणुव्रत लेखक मंच की स्थापना के समय से सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। अणुव्रत आंदोलन की गतिविधियों में उनका विगत तीन दशकों से निरन्तर सहयोग प्राप्त हो रहा है। नई सोच एवं नए चिंतन के साथ उन्होंने अणुव्रत के विचार-दर्शन को एक नया परिवेश दिया है। समस्याओं को देखने और उनके समाधान प्रस्तुत करने में उन्होंने अणुव्रत के दर्षन को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ एवं वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण के कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने में उनका विशिष्ट योगदान है। विदित हो इससे पूर्व श्री गर्ग को पहला आचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार प्रदत्त किया गया जिसके अंतर्गत एक लाख रुपये की नगद राशि व प्रशस्ति पत्र दिया गया। इसके अलावा भी श्री गर्ग को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए हैं। राजस्थान के प्रख्यात पत्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी स्व॰ श्री रामस्वरूप गर्ग के कनिष्ठ पुत्र श्री गर्ग वर्तमान में ‘समृद्ध सुखी परिवार’ मासिक पत्रिका के संपादक हैं एवं अनेक रचनात्मक एवं सृजनात्मक गतिविधियों के साथ जुड़कर समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान प्रदत्त कर रहे हैं।
       स्वर्गीय ‘शासनभक्त’ हुकुमचंद सेठिया, जलगाँव (महाराश्ट्र) की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले अणुव्रत लेखक पुरस्कार से अब तक स्व॰ श्री धरमचंद चोपड़ा, डॉ. निजामुद्दीन, श्री राजेन्द्र अवस्थी, श्री राजेन्द्र षंकर भट्ट, डॉ. मूलचंद सेठिया, डॉ. के. के. रत्तू, डॉ. छगनलाल शास्त्री, श्री विश्वनाथ सचदेव, डॉ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा जैन एवं प्रो. उदयभानू हंस सम्मानित हो चुके हैं। श्री गर्ग को यह पुरस्कार शीघ्र ही समारोहपूर्वक प्रदत्त किया जायेगा। (समाचार सौजन्य: बरुण कुमार सिंह, ए-56/ए, प्रथम तल, लाजपत नगर-2, नई दिल्ली-11002 मो. 9968126797)


श्रीमती शशि श्रीवास्तव को संपादक रत्न की उपाधि


पिछले दिनों साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा द्वारा श्रीनाथद्वारा (राजस्थान) में आयोजित हिन्दी लाओ, देश बचाओ नामक भव्य समारोह के दौरान अनेक हिन्दी सेवियों व संपादकों को सम्मानित किया गया।
सम्मानित विद्वानों में दिल्ली से मैत्री-भाईचारे के प्रचार-प्रसार व साहित्यकारों को अनेक उपयोगी सूचनायें प्रदान करने में विगत 10 वर्षों से निरन्तर संलग्न पत्रिका हम सब साथ साथ की संपादक श्रीमती शशि श्रीवास्तव को संपादक रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया। 
(समाचार सौजन्य : किशोर श्रीवास्तव )



सुनील परीट को पी-एच.डी. की उपाधि 


डाँसुनील परीट जी को दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा चेन्नै ने पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की है। सभा के ७५ वे दीक्षान्त भव्य  समारोह में यू.जी.सीके अध्यक्ष प्रोवेद प्रकाश जी ने पीएच.डीकी उपाधि प्रदान करके सम्मानित किया है। डाँसुनील परीट जी ने "अन्तिम दशक की हिन्दी कविता में नैतिक मूल्यइस विषय पर शोअधकार्य किया है। डाँसुनील परीत जी को डाँडि.बी.पांद्रे जी ने मार्गदर्शन किया। डाँ.सुनील पईट जी कर्नाटक में सरकारी उच्च माध्यमिक पाठशाला लक्कुंडी में सात  साल से हिन्दी अध्यापक के रुप में कार्यरत हैं और सात साल से हिन्दी का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं। वे कर्नाटक के प्रसिड्द कवि एवं लेखक के रुप में भी जाने जाते हैं।  (समाचार सौजन्य : सुनील परीट )

अविराम के अंक

अविराम साहित्यिकी 
(समग्र साहित्य की समकालीन  त्रैमासिक पत्रिका) 

खंड (वर्ष) : 1/ अंक : 3 / अक्टूबर-दिसम्बर 2012  

प्रधान सम्पादिका : मध्यमा गुप्ता

इस विशेषांक के अतिथि संपादक : डॉ. बलराम अग्रवाल 

अंक सम्पादक : डा. उमेश महादोषी 
सम्पादन परामर्श : डॉ. सुरेश सपन
मुद्रण सहयोगी : पवन कुमार


यह अंक :

समकालीन लघुकथा : यात्रा, विमर्श और सृजन


अविराम का यह मुद्रित अंक रचनाकारों व सदस्यों को 19 नवम्बर 2012 को तथा अन्य सभी सम्बंधित मित्रों-पाठकों को 25 नवम्बर 2012 तक भेजा जा चुका  है। अंक प्राप्त न होने पर सदस्य एवं अंक के रचनाकार अविलम्ब पुन: प्रति भेजने का आग्रह करें। अन्य  मित्रों को आग्रह करने पर उनके ई मेल पर पीडीऍफ़ प्रति भेजी जा सकती है। पत्रिका पूरी तरह अव्यवसायिक है, किसी भी प्रकाशित रचना एवं अन्य  सामग्री पर पारिश्रमिक नहीं  दिया जाता है। इस मुद्रित अंक में शामिल रचना सामग्री और रचनाकारों का विवरण निम्न प्रकार है- 


।।सामग्री।।

अ.संपादकीय : 

घटना कथा नहीं होती, बनायी जाती है :  बलराम अग्रवाल (3)।

मेरी लघुकथा यात्रा : 

कमलेश भारतीय (5), सिमर सदोष (8), सतीश दुबे (11), बलराम (15), चित्रा मुद्गल (17), युगल (20), रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ (25), सुकेश साहनी (26), अशोक भाटिया (28), माधव नागदा (29), मालती बसंत (महावर) (30), पारस दासोत (31) एवं अशोक गुजराती (33) के अपनी लघुकथा यात्रा पर आलेख।

रोचन्ते रोचना दिवि : 

विष्णु प्रभाकर (35), रामनरायण उपाध्याय (36), हरिशंकर परसाई (36), श्याम सुन्दर व्यास (37), शरद जोशी (37), सुरेन्द्र मंथन (38), कृष्ण कमलेश (39), जगदीश कश्यप (39), रमेश बतरा (40) एवं कालीचरण प्रेमी (41) की लघुकथाएँ।

बातचीत : 

सूर्यकांत नागर-ब्र.कानूनगो (42), भगीरथ-अर्चना वर्मा (47), शैलेन्द्र कुमार शर्मा-संतोष सुपेकर (51) एवं पुरुषोत्तम दुबे-प्रताप सिंह सोढ़ी (54) की समकालीन लघुकथा सं जुड़े विभिन्न मुद्दों पर वार्ताएँ।

वयं स्याम यशसो जनेषु : 

सतीश दुबे (55), भगीरथ (55), सिमर सदोष (56), पृथ्वीराज अरोड़ा (57), कमलेश भारतीय (58), शंकर पुणतांबेकर (58), बलराम (59), चित्रा मुद्गल (60), शकुन्तला किरण (60), सूर्यकान्त नागर (61), मधुदीप (62), महेश दर्पण (62), रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ (63), अशोक भाटिया (64), मालती बसंत (64), पवन शर्मा (65), विक्रम सोनी (65), सुकेश साहनी (66), कमल चोपड़ा (67), श्याम सुन्दर अग्रवाल (68), सुभाष नीरव (68), श्याम सुन्दर दीप्ति (69), सतीशराज पुष्करणा (70), असग़र वजाहत (71), फजल इमाम मल्लिक (71), श्याम सखा ‘श्याम’ (72), एन॰ उन्नी (73), माधव नागदा (73), सत्य शुचि (74), रूपसिंह चन्देल (74), उर्मि कृष्ण (75), मुकेश शर्मा (76), पारस दासोत (76), सुरेश शर्मा (77), रामकुमार आत्रेय (77), युगल (78), आशा शैली (79), तारिक असलम ‘तस्नीम’ (80), रतन चन्द ‘रत्नेश’ (80), के.एल. दिवान (81), रामयतन यादव (81), मिथिलेश कुमारी मिश्र (82), अशोक मिश्र (83), दिनेश पाठक ‘शशि’ (83), ओमप्रकाश कश्यप (84), प्रतापसिंह सोढ़ी (85), प्रेम गुप्ता ‘मानी’ (85), राजेन्द्र परदेसी (86), सतीश राठी (87), घनश्याम अग्रवाल (87), नरेन्द्रनाथ लाहा (88), कुँवर प्रेमिल (88), मो.मुइनुद्दीन ‘अतहर’ (89), विजय (89), अशफाक अहमद (90), संतोष सुपेकर (90), दिलबाग विर्क (91), सीताराम गुप्ता (91), पवित्रा अग्रवाल (92) , शरद सिंह (93), मोहसिन खान (94), ज्योति जैन (94), उमेश मोहन धवन (95), असफाक कादरी (95), विधु यादव (96), मीरा जैन (97), नियति सप्रे (98), छाया गोयल (98), मृणालिनी घुले (99), सुधा भार्गव (99), देवेन्द्र गो. होलकर (100), सुरेन्द्र कृष्णा (100), सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (101), महावीर उत्तरांचली (102), रामकुमार घोटड़ (102), त्रिलोक सिंह ठकुरेला (103), नीलम राकेश (103), राजेंद्र देवधरे ‘दर्पण’ (104), राजेन्द्र वर्मा (104), राजेन्द्र नागर ‘निरन्तर’ (105), प्रभुदयाल श्रीवास्तव (105), जितेन्द्र ‘जौहर’ (106), दिलीप भाटिया (106), सरस्वती माथुर (106), भवानी सिंह (107), पी0 के0 शर्मा (108), बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’ (109), कमलेश व्यास ‘कमल’ (109), हसन जमाल (110), योगेन्द्रनाथ शुक्ल (110), किशोर श्रीवास्तव (111), उषा अग्रवाल ‘पारस’ (111), राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी‘बन्धु’(112), वेदप्रकाश अमिताभ (113), शोभा रस्तोगी ‘शोभा’ (113), रेनू चौहान (114) एवं शैलबाला अग्रवाल (114) की लघकथाएँ। 

माइक पर : 

उमेश महादोषी की अंक प्रस्तुति (आवरण 2)

चिट्ठियाँ : 

विगत अंक पर प्रतिक्रियाएं (116)। 

गतिविधियाँ : 

संक्षिप्त साहित्यिक समाचार (118)।

प्राप्ति स्वीकार : 

त्रैमास में प्राप्त विविध प्रकाशनों की सूचना (120)

अविराम के दोनों प्रारूपों के प्रकाशन से सम्बंधित सूचना

कृपया अविराम/अविराम साहित्यिकी पत्रिका से जुड़ने से पहले इस सूचना की अवश्य पढ़ लें।

  • जो चित्रकार एवं फोटोग्राफी करने वाले मित्र अविराम में प्रकाशनार्थ अपने रेखांकन एवं छाया चित्र भेजना चाहते हैं, उनका स्वागत है। साथ में अपना परिचय एवं फोटो भी भेजें।
  • जिन रचनाकार मित्रों की कोई रचना अविराम के मुद्रित या ब्लॉग संस्करण में प्रकाशित हुई है और उन्होंने अपना फोटो व परिचय अभी तक हमें उपलब्ध नहीं कराया है, उनसे अनुरोध हैं की शीघ्रातिशीघ्र अपना  फोटो व परिचय  भेजने का कष्ट करें। भविष्य में पहली बार रचना भेजते समय फोटो  व अद्यतन परिचय अवश्य भेजें। 
  • जो रचना अविराम में प्रकाशनार्थ एक बार भेज दी गयी है,  उसे कृपया दुबारा न भेजें।
  • प्रत्येक रचना के साथ अपना नाम एवं पता अवश्य लिखें। ऐसी रचनाएं, जिनके साथ रचनाकार का नाम व पता नहीं लिखा होगा,  हम भविष्य में उपयोग नहीं कर पायेंगे और उन्हें नष्ट कर देंगें।  
  • किसी भी प्रकाशित सामग्री पर हम किसी भी रूप में पारिश्रमिक देने की स्थिति में नहीं हैं। अत: पारिश्रमिक के इच्छुक मित्र क्षमा करें।
  •  अविराम साहित्यिकी के  सामान्य अंकों हेतु लघुकथा विषयक सामग्री हमें सीधे रुड़की के पते पर भेजना कृपया जारी रखें।
  •     अविराम के नियमित स्तम्भों के लिए क्षणिकाएं एवं जनक छंद की स्तरीय रचनाएं बहुत कम मिल पा रही हैं। क्षणिका पर हमारी एक और योजना भी विचाराघीन है। रचनाकारों से अपील है कि स्तरीय क्षणिकाएं अधिकाधिक संख्या में भेजकर सहयोग करें। ग़ज़ल विधा में हमारे पास फ़िलहाल काफी रचनाएँ विचाराधीन हैं, अत: आगामी छ:माह तक गज़लें न भेजना ही उचित होगा। 
  • प्राप्त पुस्तकों के प्रकाशन सम्बन्धी सूचना सहयोग की भावना से मुद्रित अंक में प्रकाशित की जाती है। कुछ प्राप्त पुस्तकों की चर्चा हम ब्लॉग प्रारूप पर पुस्तक से कुछ रचनाएं पाठकों के समक्ष रखकर भी करने का प्रयास करते हैं। ब्लॉग एवं मुद्रित प्रारूप में यद्यपि हम अधिकाधिक पुस्तकों की समीक्षा/संक्षिप्त समीक्षा/पुस्तक परिचय भी देने का प्रयास करते हैं, तदापि यह कार्य पूरी तरह स्थान की उपलब्धता एवं हमारी सुविधा पर निर्भर करता है। इस संबन्ध में किसी मित्र से हमारा कोई आश्वासन नहीं है।
  • अविराम साहित्यिकी के सामान्य अंकों हेतु सामग्री दिनांक 01.12.2014 से अंक संपादक को डॉ. उमेश महादोषी को 121, इन्द्रपुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूं रोड, बरेली, उ.प्र. के पते पर भेजें।
  • अविराम के नियमित स्तम्भों के लिए क्षणिकाएं एवं जनक छंद की स्तरीय रचनाएं बहुत कम मिल पा रही हैं। क्षणिका पर हमारी एक और योजना भी विचाराघीन है। रचनाकारों से अपील है कि स्तरीय क्षणिकाएं अधिकाधिक संख्या में भेजकर सहयोग करें। ग़ज़ल विधा में हमारे पास फ़िलहाल काफी रचनाएँ विचाराधीन हैं, अतः आगामी छः माह तक गज़लें न भेजना ही उचित होगा। 
  • प्राप्त पुस्तकों के प्रकाशन सम्बन्धी सूचना सहयोग की भावना से मुद्रित अंक में प्रकाशित की जाती है। कुछ प्राप्त पुस्तकों की चर्चा हम ब्लॉग प्रारूप पर पुस्तक से कुछ रचनाएं पाठकों के समक्ष रखकर भी करने का प्रयास करते हैं। ब्लॉग एवं मुद्रित प्रारूप में यद्यपि हम अधिकाधिक पुस्तकों की समीक्षा/संक्षिप्त समीक्षा/पुस्तक परिचय भी देने का प्रयास करते हैं, तदापि यह कार्य पूरी तरह स्थान की उपलब्धता एवं हमारी सुविधा पर निर्भर करता है। इस संबन्ध में किसी मित्र से हमारा कोई आश्वासन नहीं है।
  • कृपया अविराम साहित्यिकी का शुल्क ‘अविराम साहित्यिकी’ के नाम ही चेक या मांग ड्राफ्ट द्वारा भेजें, व्यक्तिगत नाम में नहीं। हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद कुछ मित्र अविराम साहित्यिकी का शुल्क ‘अविराम साहित्यिकी’ के नाम भेजने की बजाय उमेश महादोषी या प्रधान सम्पादिका के पक्ष में इस तरह से चैक बनाकर भेज देते हैं, कि उन चैकों का भुगतान हमारे लिए प्राप्त करना सम्भव नहीं होता है। इस तरह के चैकों को वापस करना भी हमारे लिए बेहद खर्चीला होता है, अतः हम ऐसे चैक वापस कर पाने में असमर्थ हैं। उन्हें अपने स्तर पर नष्ट कर देने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। कई कारणों से धनादेश द्वारा राशि स्वीकार करना हमने बंद कर दिया है, अतः कृपया धनादेश द्वारा भी कोई राशि न भेजें। धनादेश द्वारा भेजी किसी राशि का अविराम साहित्यिकी एवं उसकी सदस्यता आदि से कोई संबंध नहीं होगा।
  • सामान्य मुद्रित अंकों में जुलाई-सितम्बर 2012 अंक से मूल पृष्ठों की संख्या बढ़ाकर 72 कर दी गयी है। बढ़े हुए पृष्ठों के बावजूद अक्टूबर 2014 तक हमने शुल्क में वृद्धि को टाले रखा, लेकिन बढ़े हुए अन्य व्ययों से विविश होकर 14 नवम्बर 2014 से अविराम साहित्यिकी के शुल्क में वृद्धि कर दी गयी है। एक प्रति का खुदरा मूल्य रु. 25/- किया गया है, तदनुसार त्रैवार्षिक सदस्यता शुल्क रु. 300/- एवं आजीवन सदस्यता शुल्क रु. 1100/- कर दिया गया है। वार्षिक सदस्यता का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। अब न्यूनतम तीन वर्ष की सदस्यता ही दी जायेगी। चूंकि पत्रिका के स्थाई प्रकाशन एवं विकास के लिए एक स्थाई निधि बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, अतः रचनाकार व पाठक मित्रों से अनुरोध है कि आजीवन सदस्य बनकर सहयोग करने को प्राथमिकता देने की कृपा करें।
  • यदि वास्तव में आप इस लघु पत्रिका की आर्थिक सहायता करना चाहते हैं तो राशि केवल ‘अविराम साहित्यिकी’ के ही पक्ष में चेक या मांग ड्राफ्ट द्वारा व्यवस्थापक/अंक संपादक डॉ. उमेश महादोषी के पते 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूं रोड, बरेली, उ.प्र. के पते पर भेजें। राशि को सीधे ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स, रुड़की शाखा में स्थित अविराम साहित्यिकी के खाता संख्या 03401131002357, आई.एफ.एस. कोड  ORBC0100340 में भी जमा कराया जा सकता है। लेकिन जमा कराने के तुरन्त बाद टेलीफोन सन्देश द्वारा हमें सूचना अवश्य दे दें। आपकी आजीवन सदस्यता से प्राप्त राशि पत्रिका के दीर्घकालीन प्रकाशन एवं भविष्य में पृष्ठ संख्या बढ़ाने की दृष्टि से एक स्थाई निधि की स्थापना हेतु निवेश की जायेगी। पर्याप्त राशि के संग्रहण तक इस निधि से कोई भी राशि पत्रिका के प्रकाशन-व्यय सहित किसी भी मद पर व्यय न करने का प्रयास किया जायेगा।