आपका परिचय

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

सम्पादकीय पृष्ठ : अक्टूबर २०११

मेरा पन्ना/डा. उमेश महादोषी

  •  अविराम के सभी पाठकों एवं मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।

  •  अविराम ब्लॉग का यह अंक कुछेक दिन बिलम्ब से आपके समक्ष प्रस्तुत हैयद्यपि अभी हमारे बहुत से पाठक इन्टरनेट के उपयोग एवं ब्लॉग के उपयोग के बारे में सामान्य जानकारी से भी भिग्य नहीं हैं जिसके कारण उनकी प्रतिक्रियाएं ब्लॉग पर प्रतिबिंबित नहीं हो पर रही हैं, फिर भी पत्र, फोन आदि के माध्यम से काफी मित्रों ने न सिर्फ अपना समर्थन जताया है, ब्लॉग पर सामग्री को पढ़ा भी है और खुशी भी जाहिर की हैउम्मीद है समय के साथ ब्लॉग रचनाकार एवं पाठक मित्रों के मध्य उपयोगी सिद्ध होगाहमने पाठकों की जानकारी के लिए ब्लॉग पर टिपण्णी दर्ज करने की संक्षिप्त जानकारी एक अलग लेवल के अंतर्गत दी है, आशा है पाठकों के लिए उपयोगी होगी ब्लॉग के सदस्य/समर्थक  बनने वाले सभी मित्रों का हार्दिक आभार

  • जैसा कि हमने पिछले अंक में लिखा था, क्षणिका पर हम एक प्रकाशन योजना बना रहे हैं, लेकिन हमें स्तरीय क्षणिकाएं पर्याप्त संख्या में प्राप्त नहीं हो पा रहीं हैं। 

  • हल्के-फुल्के  हास्य या घिसे-पिटे सपाट कथ्यों को क्षणिका कहना उचित नहीं है, ऎसी रचनाओं को क्षणिका के रूप में बहुत अधिक बढावा नहीं दिया जा सकता। यह बात हम सब समझते हैं कि अपने लेखन के महत्व को बनाये रखने एवं किसी भी प्रकाशन योजना को महत्वपूर्ण बनाने के लिए स्तरीय लिखना एवं स्तरीय रचनाओं को प्रकाशन हेतु उपलब्ध करवाना अत्यंत जरूरी है। 

  • क्षणिका लेखन को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, यह निराशाजनक है। इसके पीछे कुछ कारण भी हैं। क्षणिका पर नियोजित कार्य भी बहुत कम हुआ है, पत्रिकाओं के विशेषांकों की बात हो या संग्रह-संकलनों की। हाइकु व जनक छंद के साथ  हमने अविराम का एक विशेषांक निकाला था जून २०११ में। अविराम में क्षणिका का एक स्तम्भ भी देने का प्रयास रहता है। 

  • वर्षों पूर्व हमने क्षणिका  का एक छोटा सा संकलन  और क्षणिका की एक लघु पत्रिका 'आहट' भी निकाली थी। व्यक्तिगत प्रयासों में उमेश महादोषी (स्वयम मैं) व श्री रमेश भद्रावले के क्षणिका संग्रह आये हैं। संभवत: मिथिलेश दीक्षित जी ने भी क्षणिका पर कार्य किया है। बलराम अग्रवाल जी ने भी क्षणिका को दिशा देने की कोशिश की है। छुटपुट रूप में कई कवियों की क्षणिकाएं देखने को मिलती हैं, पर नियोजित कार्य बेहद अपर्याप्त हैं। जल्दी ही 'सरस्वती सुमन' का भी क्षणिका विशेषांक हरकीरत 'हीर' के अतिथि संपादन में आने वाला है, जो स्वागतेय है। परन्तु प्रत्येक कार्य अंतत: रचनाकारों के क्षणिका लेखन व सहयोग पर ही निर्भर करेगा

  • यदि कवि मित्र क्षणिका को गंभीरता से लेकर अच्छी क्षणिकाएं भेजेंगे, तो हम क्षणिका पर नियोजित कार्यों में यथासंभव योगदान के लिए कृत-संकल्प हैं। आशा है मित्रों की अच्छी क्षणिकाएं  पर्याप्त संख्या में प्राप्त होंगी।



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