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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

अविराम विस्तारित



अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : 1,  अंक : 11,  जुलाई  2012  

।।क्षणिकाएँ।।

सामग्री :   डॉ. मिथिलेश दीक्षित एवं अनवर सुहैल की क्षणिकाएं



डॉ. मिथिलेश दीक्षित


चार क्षणिकाएं


01.
फूल न जाने
भावी कल को,
फिर भी खिल जाता
कुछ पल को!


02.
ममता को मापने का
यन्त्र नहीं कोई
बेटे ही अक्सर
छाया चित्र : डॉ. बलराम अग्रवाल 
हिसाब माँगा करते हैं!


03.
पत्ते-पत्ते बोल रहे 
भगवान से
यह दर्शन
विरले ही पाते
ज्ञान से!


04.
घर दौलत से
पटा हुआ है
पर अन्दर से 
बँटा हुआ है!



  • जी-91,सी, संजयपुरम्, लखनऊ-226016 (उ.प्र.)




अनवर सुहैल






तीन क्षणिकाएं


(1)
दहशत में है आम आदमी
उसे पता नहीं
की उसे मंदिर चाहिए
या कि मस्जिद
उसे चाहिए सुकून के साथ
दो वक़्त की रोटी
क्या इसकी गारंटी
ले पायेगी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या संसद
मौन क्यों है संबिधान....


(2) 
जो हमारी निगाह में
पाप है, गुनाह है, अक्षम्य है
वही उनके निजाम को
बचाए रखने का
बनाए रखने का
सबसे बड़ा हथियार है..
रेखाचित्र : राजेंद्र सिंह 
यही तो इस युग की विडम्बना है...


(3)
तू मेरे साथ है
तू मेरे पास है
मैं तुझमें ज़िंदा हूँ
तू मुझमें  वाबस्ता है
फिर क्यों तू मुझसे खफा है
क्या कोई खुद से खफा भी होता है?

  • टाइप IV-3, पोस्ट- बिजुरी, जिला- अनूपपुर-484440(म.प्र.)


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