आपका परिचय

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  6,   अंक  :  07-10,  मार्च-जून 2017




।।कविता अनवरत।।


डॉ. नलिन



ग़ज़लें

01.
तप तप रक्त जलाया  होगा
तब हमने कुछ पाया होगा

देख निकट माली को  आता
पुष्प खिला मुरझाया होगा

एक दिवस पथ भूल गया था
नित नित ही पछताया  होगा

उस भोले को विधि ने जाने
किस किससे मिलवाया होगा

अभिमानी  दाता  के  आगे
भूखा  पेट  छिपाया  होगा

फिर बातों में  आ जाता है
कितना ही  समझाया होगा

आज हर्ष में मग्न नलिन है
सब कुछ खोकर आया होगा

02.
थोड़ी  देर  विगत में जाना
लौटा  वह  भोलापन लाना

दृष्टि तनिक रख लेना नीचे
ऊँचे  जा  पहँुचे हो  माना

कहता है कल आया था वह
रेखाचित्र : विज्ञान व्रत 
हमने  आज  नहीं पहचाना

उलझे   जाते हैं सब धागे
कैसा  बुनते ताना - बाना

किसको क्या देता है कुछ भी
किन्तु सर्वधन  उसको पाना

समझाये ही जाना  तुम  तो
व्यर्थ  न  जाता है समझाना

मावस  में  चंदा निकला  हो
कुछ यों नलिन लगे मुसकाना
  • 4-इ-6, तलमंडी, कोटा-324005  राजस्थान/मो. 09413987457

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