आपका परिचय

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  6,   अंक  :  07-10,  मार्च-जून 2017




।। कथा प्रवाह ।।


प्रभात दुबे



आमीन
      ‘‘सलमा...ऽ!’’ रुखसाना बी की तेज आवाज से वह छोटा-सा तीन कमरे का मकान गूँज उठा।
      ‘‘जी अम्मी।’’ कहती हुई एक बीस साल की खूबसूरत युवती अपनी माँ के सामने आ खड़ी हुई।
      ‘‘यह मैं क्या सुन रही हूँ?’’
      ‘‘क्या अम्मी?’’
      ‘‘यही कि तुम किसी हिन्दू लड़के से शादी करने जा रही हो?’’
      ‘‘जी हाँ अम्मी, आपने सही सुना है। मैं राजेश से ही शादी करने वाली हूँ।’’
      ‘‘क्यों? यह ठीक नहीं है।’’
      ‘‘अम्मी, वो खूबसूरत है, पढ़ा-लिखा है, हमख्याल है। हम एक साथ काम करते हैं, उसे बरसों से जानती हूँ।’’
      ‘‘लेकिन सलमा, वह हमारे मजहब का नहीं है।’’ रुखसाना ने प्रतिरोध किया।
      ‘‘यह तो और भी अच्छा है अम्मी।’’
      ‘‘वो कैसे?’’ चौंकते हुए रुखसाना ने पूछा।
      ‘‘अम्मी, जिस घर में आपको और अपनी दो बड़ी बहनों को मैं बचपन से तलाकशुदा देख रही हूँ, उस घर में मेरे लिए क्या कभी कोई अच्छा रिश्ता आ सकेगा?’’ सलमा ने प्रश्न के उत्तर में प्रश्न किया।
      ‘‘लेकिन बेटी...’’
      ‘‘आप कतई फिक्र न करें। अम्मी, आप राजेश को नहीं जानती। उसने मुझे इस बात की गारंटी दी है कि जिन्दगी में चाहे जैसी परिस्थितियाँ निर्मित हों, वह मुझे कभी तलाक नहीं देगा। इसलिए मैं आपसे यकीन के साथ कह सकती हूँ कि मैं कभी भी अपने माथे पर तलाकशुदा औरत का लेबल लगाकर इस घर की दहलीज पर कदम नहीं रखूँगी।’’
      यह कहकर उसने दूसरे कमरे की ओर जाने के लिए अपने कदम बढ़ाये ही थे कि उसे अपनी  अम्मी का धीमा लेकिन स्पष्ट स्वर सुनाई दिया- ‘‘आमीन!’’

  • 111, पुष्पांजलि स्कूल के पीछे, शक्तिनगर, जबलपुर-482001, म.प्र./09424310984    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें