आपका परिचय

रविवार, 5 नवंबर 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  6,   अंक  :  11-12,  जुलाई-अगस्त  2017




।। कथा प्रवाह ।।

मधुदीप

 



विकल्प 
      कल रात को गाँव से आए मेरे मित्र के फोन ने मुझे दुविधा में डाल दिया है। पूरा किस्सा बयान करने से पहले मुझे आपको अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में थोड़ा-बहुत अवश्य बताना पड़ेगा अन्यथा मैं अपनी बात आपको पूरी तरह समझा नहीं पाऊँगा ।
     मेरे परिवार में इस समय चार पीढ़ियाँ हैं। मेरी दादी (दादाजी नहीं हैं), पिताजी-माताजी, मैं-मेरी पत्नी और मेरा चौबीस वर्षीय शादीशुदा पुत्र। मैं अपने माता-पिता तथा पुत्र-पुत्रवधू के साथ शहर के इस तीन-मंजिले मकान में रहता हूँ।
     मेरे लाख प्रयास करने पर भी मेरी नब्बे वर्षीय दादी कभी शहर में आकर हमारे साथ इस मकान में रहने को तैयार नहीं हुईं। झगड़ा वही शाश्वत है। गाँववाले घर को दादीजी अपना मानती हैं और इस शहरवाले घर को माताजी अपना मानती हैं। मेरी पत्नी का मानना है कि उसका तो अब तक अपना कोई घर है ही नहीं। पुत्र और पुत्रवधू का तो वे जानें या आप समझें।
     हाँ तो पाठको! रात को गाँव से आए मेरे दोस्त के फोन ने मुझे विचलित तो किया ही है, दुविधा में भी डाल दिया है। गाँव में दादीजी सख्त बीमार हैं और वहाँ पर उनकी तीमारदारी को जो महिला मैंने रखी हुई है वह उन्हें सँभालने में अब असमर्थ है।
     पूरी रात मैंने कसमकस में जागते हुए व्यतीत की है लेकिन अभी तक किसी निर्णय पर नहीं पहुँच सका हूँ।
     पाठको! पूरी रात की जद्दोजहद के बाद मेरे सामने चार विकल्प उभरकर आए हैं। पहला- मैं कार्यालय से एक महीने का अवकाश लेकर पत्नी सहित दादीजी की सेवा-देखभाल के लिए गाँव में चला जाऊँ। शायद मैं पत्नी की मनुहार करके किसी तरह इसके लिए उसे तैयार कर लूँ! दूसरा- मैं माताजी के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करूँ कि वे इस समय किसी तरह दादीजी के साथ एडजस्ट कर लें, हालाँकि यह बहुत दूर की कौड़ी लगता है। तीसरा- मैं दादीजी को गाँव से लाकर सीधा हस्पताल में भरती करा दूँ और भुगतान पर पूर्णकालिक नर्सों को उनकी सेवा में लगा दूँ। हालाँकि इससे मुझपर जो आर्थिक दबाव पड़ेगा वह मेरी कमर तोड़ देगा मगर किसी-न-किसी तरह मुझे उस खर्च को  वहन करना ही होगा। चौथा विकल्प है कि मैं भी अपने पिता और पुत्र की तरह इस स्थिति से आँखें मूँदकर कुढ़ता रहूँ।
     तो पाठको! आप मुझे कौनसे विकल्प की सलाह देते हैं? शायद आपकी सलाह ही मुझे इस उलझन से बाहर निकाल सके!

  • 138/16 त्रिनगर, दिल्ली-110 035/मो. 9312400709

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें