आपका परिचय

सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

अविराम के अंक


अविराम साहित्यिकी 
 (समग्र साहित्य की समकालीन  त्रैमासिक पत्रिका) 

अंक : १ / जनवरी-मार्च २०१२ 

प्रधान सम्पादिका : मध्यमा गुप्ता
 अंक सम्पादक : डा. उमेश महादोषी 
सम्पादन परामर्श : सुरेश सपन
 मुद्रण सहयोगी : पवन कुमार




आवरण रेखांकन : बी.मोहन नेगी 
अविराम का यह मुद्रित अंक रचनाकारों को  २५ फ़रवरी २०१२ भेज दिया है. अन्य को ०५ मार्च २०१२ तक  प्रेषित किया जायेगा। कृपया अंक प्राप्त होने की प्रतीक्षा १५ मार्च  २०१२ तक करने के बाद ही न मिलने पर पुन: प्रति भेजने का आग्रह करें। सभी रचनाकारों को दो-दो प्रतियाँ अलग-अलग डाक से भेजीं जा रही हैं। इस मुद्रित अंक में शामिल रचना सामग्री और रचनाकारों का विवरण निम्न प्रकार है-


प्रस्तुति :  मध्यमा गुप्ता का पन्ना (आवरण 2)
लघुकथा के स्तम्भ :  युगल(3), डॉ. पृथ्वीराज अरोड़ा (5) व डॉ. सुरेन्द्र मन्थन (7)।
अनवरत-१ :  माधव नागदा (9), महेश पुनेठा व सुभानअली ‘रघुनाथपुरी’ (10), हितेश व्यास व गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’ (11), डॉ. सुभाष रस्तोगी व डॉ. नलिन(12), अंजु दुआ जैमिनी व नरेश कुमार उदास (13), कुन्दन सिंह ‘सजल’ व अनिमेष (14), कृष्ण सुकुमार, सुर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’ व विवेक सत्यांशु (15) की काव्य रचनाएं।
सन्दर्भ :  प्रवास की पीड़ा के सन्दर्भ में कमल कपूर की लघुकथाएं (16)। 
आहट :  रतन चन्द्र ‘रत्नेश’, डॉ. हृदयनारायण उपाध्याय एवं टी.सी.सावन की क्षणिकाएं (18)।
कथा-कहानी :  सनातन कुमार बाजपेयी की कहानी ‘नीम का पेड़’ (19)। 
कविता के हस्ताक्षर :  नित्यानन्द गायेन (22)।
विमर्श :  ‘लघुकथाकार समय, समाज और यथार्थ को महत्व नहीं दे रहे’: डॉ. सतीश दुबे/डॉ. तारिक असलम ‘तस्नीम’ द्वारा डॉ. सतीश दुबे का साक्षात्कार (24) एवं 
 मधुर ‘गंजमुरादाबादी’ का लघु आलेख- ‘शहीदों की चिंताओं......’ के रचनाकार (31)।
व्यंग्य-वाण :  डॉ. राजेन्द्र मिलन का व्यंग्यालेख (32)।
कथा प्रवाह :  बलराम अग्रवाल व संतोष सुपेकर (33), राजेन्द्र परदेशी (34), डॉ. मुक्ता व रोहित यादव (35), डॉ. पूरन सिंह व नन्दलाल भारती (36), डॉ. रामशंकर चंचल (37), अनिल द्विवेदी ‘तपन’ (38) व कृष्णलता यादव (39) की लघुकथाएँ।
अनवरत-२ :  घमंडी लाल अग्रवाल व ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ (40), राजेश त्रिपाठी (41), आचार्य राधेश्याम सेमवाल व सीमा स्मृति (42), नरेन्द्र सिंह परिहार ‘नरसीप’ (43), राजीव नामदेव ‘रानालिधौरी’ (44), शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ व पवन कुमार ‘पवन’ (45), डॉ. ए. कीर्तिबर्द्धन, मृदुल मोहन अवधिया व खान रशीद ‘दर्द’ (46) की काव्य रचनाएं।
किताबें  :  ‘याद आऊँगा :  एक परिचय’ (47) एवं ‘भैजी : सहज और सकारात्मक कहानियाँ’ (48) डा. उमेश महादोषी द्वारा पुस्तक-परिचय। 
सम्भावना :  दो नए रचनाकार- देशपाल सिंह सेगर की लघुकथा एवं ऊषा कालिया की कविता (49)।
चिट्ठियाँ :  अविराम के गत अंक पर प्रतिक्रियाएं (50)
गतिविधियाँ :  संक्षिप्त साहित्यिक समाचार (51)
प्राप्ति स्वीकार :  त्रैमास में प्राप्त विविध प्रकाशनों की सूचना (आवरण 3)


इस अंक की साफ्ट प्रति ई मेल (umeshmahadoshi@gmail.com) अथवा  (aviramsahityaki@gmail.com)  से मंगायी जा सकती है।

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8 टिप्‍पणियां:

  1. अंक 10 पर प्राप्त कुछ पत्र
    डॉ. सतीश दुबे, 766, सुदामा नगर, इन्दौर-452009 (म.प्र.)
    ......अपनी सीमित पृष्ठ-सीमा क्षमता के बावजूद आपने डॉ. तारिक जी से मेरी बातचीत को यथावत प्रकाशित किया, यह मेरे प्रति आपकी आत्मीयता का प्रतीक है। आपके इस उपहार पर कई मित्रों से बधाई मिली है। ‘लघुकथा के हस्ताक्षर’ स्तम्भ का क्रम, इस क्षेत्र में आपकी गहरी पैठ का सूचक है। ऐसे कार्य किसी भी विधा के ऐतिहासिक दस्तावेज बनते हैं। न केवल लघुकथा प्रत्युत हर विधा के श्रेष्ठ नए-पुराने रचनाकारों की एक मंच पर प्रस्तुति ‘अविराम’ का मकसद होता है। इसे इस अंक में भी निभाया है।...

    डॉ. प्रद्युम्न भल्ला, 508, सेक्टर-20, अर्बन एस्टेट, कैथल-136027
    ......सामग्री आपने स्तरीय दी है। अंक एक ही बैठक में पूरा पढ़ गया हँू। इस अंक में लघुकथा के हस्ताक्षर में आपने जिन लघुकथाओं को शामिज किया है, उनमें पृथ्वीराज अरोड़ा की लघुकथाएं कम से कम 35-40 वर्ष पुरानी हैं। वे और डॉ. सुरेन्द्र मंथन बहुत पुराने लघुकथा लेखक हैं मगर आपने उनकी कोई ताजा लघुकथाएं सम्पर्क करके शामिल की होती तो और भी अच्छा रहता। माधव नागदा की कविता बहुत सुन्दर बन पड़ी है। उन्हें बधाई दें। बाकी सामग्री में अंजु दुआ के दोहे कुछ रंग नहीं जमा पाए। हां, डॉ. सतीश दुबे से डॉ. तारिक की बातचीत अवश्य इस अंक की एक उपलब्धि है। उन्होंने काफी विस्तार से लघुकथा पर बात की है, जिसका लाभ नये लेखकों को अवश्य होगा। डॉ. सुभाष रस्तोगी कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं, उनकी कविता स्तरीय है। कुल मिलाकर यह अंक छाप छोड़ने में सफल रहा है। आप पत्रिका को ब्लाग पर भी दे रहे हैं, यह बहुत अच्छी बात है।....

    डॉ.रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, 86,तिलक नगर, बाईपास रोड, फ़िरोज़ाबाद-283203 (उ.प्र.)
    ......डा. युगल को छोड़कर सभी की लघुकथाएं पढ़ी हुई हैं परन्तु वे सब समकालीन जीवन की कटु सच्चाइयों के सच्चे खण्ड चित्र हैं। तारिक असलम ‘तस्नीम’ द्वारा किया गया डॉ. सतीश दुबे का साक्षात्कार बहुत प्रभावी है। डॉ. दुबे खुलकर और अच्छा बोले हैं। लघुकथा पर उनकी टिप्पणियां श्रेष्ठ हैं।....

    शिवशंकर यजुर्वेदी, 517, कटरा चाँद खाँ, बरेली-243005 (उ.प्र.)
    ......एक लघु पत्रिका में विविध विधाओं का श्रेष्ठ समायोजन निष्चय ही आपके श्रेष्ठ सम्पादन का कौशल है। पत्रिका संग्रहणीय है। इस अंक के समस्त रचनाकारों एवं प्रबन्धन मंडल को मरी शुभकामनाएँ। पत्रिका अनवरत हिन्दी की सेवा करती रहे।.....

    कृष्णलता यादव, 1746, सेक्टर 10ए, गुड़गांव-122001(हरि.)
    ..... एक बिन्दु की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगी- मेरे व्यंग्यलेख (ब्लाग पर) का शीर्षक होना था- ‘भ्रष्टाचार मिटे तो....’ जब कि प्रकाशित हुआ है- ‘भ्रष्टाचार’। ग़ज़ल, कविता, कहानी, व्यंग्यलेख, विमर्श आदि से सजा पत्रिका का प्रस्तुत गुलदस्ता संग्रहणीय व पठनीय है। माधव नागदा की कविता व नित्यानंद गायेन की पहली कविता- गोवर्धन असमय नहीं मरता, मिठास, अधूरी बात की पीड़ा व गीत लिखा था एक सवेरे रचनाएँ मर्मस्पर्शी रहीं। लेखकों को बार-बार साधुवाद।....

    डॉ. कमलेश मलिक, 16-बी, सुजान सिंह पार्क, सोनीपत (हरि.)
    ..... अविराम के कई अंक मिले। प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। साहित्य और साहित्यकारों की अविराम यात्रा के लिए पाथेय सुलभ कराने की दिशा में आपका और महादोषी जी का अथक प्रयास सराहनीय है। इस अविराम गति के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।...

    सनातन कुमार बाजपेयी ‘सनातन’, पुराना कछपुरा स्कूल, गढ़ा, जबलपुर-482003 (म.प्र.)
    ......कहानी, लघुकथा, आलेखों से पूर्ण सामग्री श्रेष्ठ है। मुद्रण बहुत छोटा होने के कारण मुझ जैसी बूढ़ी आँखों को कष्ट होता है। संभवतः यह आपकी असमर्थता है। पत्रिका अतिश्रेष्ठ है। उत्तराखंड की संस्कृति से सराबोंर देहरादून की माटी की गन्ध से परिपूर्ण है।...

    प्रियंका गुप्ता, एमआईजी-292, आ.वि.यो.-1, कल्याणपुर, कानपुर-17(उ.प्र.)
    अविराम के रूप में आप साहित्य जगत को जिस तरह समृद्ध कर रहे है, वह प्रशंसनीय है...मेरी बधाई व शुभकामनाएं...

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  2. अंक 10 पर प्राप्त कुछ और पत्र

    देवी नागरानी, 9-डी कार्नर, व्यू सोसायटी, 15/33 रोड बान्द्रा, मुम्बई-400050
    पत्रिका बहुत ज्ञानवर्दक रही. साहित्य के इस कलश में समावेश है आलेख, खास कर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सतीश दुबे से डॉ. तारिक असलम जी की बात चीत जो बहुत ही रुचिकर रही....

    डॉ. वेद व्यथित, अनुकम्पा-1577, सेक्टर -3 ,फरीदाबाद -121004
    ....आप ने एक दुष्कर कृत्य हस्तगत किया है ईश्वर की अनुकम्पा से आप को इस में निश्चित सफलता व प्रगति प्राप्त होगी।
    शुभकामनायें करता हूँ....

    चन्द्रसेन विराट,121, बैकुन्ठधाम कॉलोनी, आनन्द बाजार के पीछे, इन्दौर-452018 (उ.प्र.)
    .....रचनाकारों को आप लेखन मंच उपलब्ध करा रहे हैं। लेखनियाँ जुड़ भी रही हैं पत्रिका से। यह शुभ है। प्रोत्साहन देता है। लघुकथा के तीनों सक्षम हस्ताक्षर हैं। ‘अनवरत’ में काव्य-रचनाएँ हैं। कुछ जाने हुए हस्ताक्षर तो कुछ नये भी हैं। विमर्श में डॉ. सतीश दुबे का पठनीय साक्षात्कार है। वे विलक्षण जीवट वाले साहित्यकार हैं। साहित्यिक समाचार सूचनाएँ भी हैं। सर्वथा पठनीय अंक।...

    नित्यानन्द गायेन, 315, डोयेन्स कॉलोनी, शेरिलिंगम पल्ली, हैदराबाद-500019, आं.प्र.
    ‘अविराम‘ का अंक मिला . अच्छा लगा पढकर . महेशचन्द्र पुनेठा जी की कविता पढकर अच्छा लगा। वैसे भी पुनेठा जी मुझे बहुत प्रिय भी हैं और आदरणीय भी। मैंने उन्हें फोन भी किया था। अविराम के सम्पूर्ण टीम को आभार एवं शुभ कामनाएं .....इसी तरह निरंतर आगे बढते रहे यही कामना है।

    गुरुप्रीत सिंह, बगीचा, राय सिंह नगर, श्रीगंगानगर-335051 (राज.)
    ......लघुकथा में पृथ्वीराज अरोड़ा की ‘कील’, कमल कपूर की ‘प्रवासी दर्द’ एवं संतोष सुपेकर की ‘मजबूत फैसला’ अच्छी लगी। सनातन बाजपेयी की कहानी ‘नीम का पेड़’ मर्मस्पर्शी कथा है। कविता में रतन चन्द्र ‘रत्नेश’ की ‘एक टुकड़ा धूप’, सीमा स्मृति की ‘परिवर्तन’ और विमर्श में डॉ. सतीश दुबे से बातचीत रोचक लगी। वर्तमान में लघुकथा अतियथार्थवादी हो गयी है, मुंशी प्रेमचन्द ने कहा था- ‘‘यथार्थवाद हमें निराशावादी बना देता है‘। अतः लघुकथा का चयन इस प्रकार हो कि वह आदर्श स्थापित करे। इस बार पाठकों के पत्र कम छपे हैं, बाल साहित्य को स्थान देने की मांग ‘उदय किरोला’ की उचित है।.....

    गांगेय कमल, शिवपुरी, जगजीतपुर, कनखल-249408, हरिद्वार (उ.खंड)
    ......अच्छी रचनाओं से ओत-प्रोत यह अंक पठनीय है। सारगर्भित विचारों को लिए छोटे कलेवर की यह पत्रिका ‘मुक्ता मंजूषा’ ही प्रतीत होती है साथ ही संग्रहणीय भी।...

    सूर्यकान्त नागर, 81, बैराठी कॉलोनी नं.2, इंदौर-452014 (म.प्र.)
    ......लघुकथा विधा के लिए आप जिस तरह जी-जान से जुटे हुए हैं, वह निश्चय ही सराहनीय है। अविराम नियमित रूप से मिल रहा है। उसमें आपकी संपादकीय दृष्टि हर पृष्ठ पर अंकित है।...

    कुंदन सिंह सजल, उदय निवास, रायपुर (पाटन), सीकर-332718 (राज.)
    .....लघुकथा केन्द्रित यह पत्रिका निसंदेह अनूठा दस्तावेज है। अब आपने इसमें कविताओं को भी स्थान देना प्रारम्भ कर दिया है, यह भी अच्छी सोच है।....

    मृदुलमोहन अवधिया, 1899, देवताल गढ़ा,(निकट हितकारिणी महाविद्यालय) जबलपुर-482003(म.प्र.)
    ......उत्कृष्ट रचनाएँ एवं सम्पादन रुचिकर लगा।...

    डॉ. नसीम अख़्तर, जे.4/59, गुलशने-अबरार’, हंस तले, वाराणसी-221001(उ.प्र.)
    ......अंक की सभी रचनाएँ पठनीय हैं। आपका श्रम और प्रयास सार्थक हो रहा है। पत्रिका के तअल्लुक़ से इम्कानात की कई ख़ूबसूरत मंजिलें आएँगी। ‘मिलेंगे न क्यों मंजिलों के निशाँ/तेरे साथ तो है, क़लम-कारवाँ’।....

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  3. गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’, 117, सरोजनी सदन, आदिलनगर, लखनऊ-226022(उ.प्र.)
    ......पत्रिका में लघु आकार होते हुए भी विविध विधाओं से परिपूर्ण विपुल साहित्य समाहित किया है। सूक्ष्म मुद्रण अखरता है किन्तु सुस्पष्ट, स्वच्छ सुविधापूर्ण अक्षरों से कलेवर में वृद्धि अवश्यम्भावी है। अतः यह न्यूनता सहन करनी पड़ रही है। विषय वस्तु तथा स्तरीय साहित्य के दृष्टिकोंण से पत्रिका के पृष्ठों में बढ़ोत्तरी वांछनीय है। श्रेयस्कर होगा कि इसका मासिक प्रकाशन शुरू किया जाए। गुणवत्ता के उपरान्त राष्ट्रीय क्षितिज पर ‘अविराम’ छटा विखेरने में असहाय सी लगती है। रचनाओं का चयन सराहनीय है। सम्पादन मण्डल सहित रचनाकारों को साधुवाद। अद्यतन प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं तथा पुस्तकों का परिचय पाठकों विशेषतया साहित्यकारों के लिए उपादेय है। आपके श्रम और सोद्देश्यपूर्ण अनुष्ठान का ज्वलन्त प्रतीक अविराम साहित्यिकी का भविष्य उज्ज्वल है।....

    कैलाश गिरि गोस्वामी, बोदिया,पो. मादलद, तह. गढ़ी, जिला-बाँसवाड़ा (राज.)
    ......भांति-भांति के फूलों से निर्मित माला की तरह ‘अविराम साहित्यिकी’ भी लेखन की विविध विधाओं को अपने में समेटे हुए है। कुछ खट्टे तो कुछ मृदु, कुछ तीक्ष्ण तो कुछ कसैले और कुछ चटपटे नमकीन षट्रस की तरह अलग-अलग तरह के साहित्यिक रस का आस्वादन कराती है अविराम।.....सभी रचनाकारों की रचनाएँ स्तरीय, रोचक व प्रेरणास्पद हैं। मिसाल के तौर पर अविराम साहित्यिकी के जन.-मार्च 2012 अंक में श्री राजेश त्रिपाठी का गीत ‘वो इक भोली-सी लड़की.....’ मुझे बेहद मर्मस्पर्शी लगा। इसमें शब्दों का चयन और तुकबंदी जैसे- कल्पना - अल्पना, सलामत - अलामत आदि तारफेकाबिल हैं। शुल्क निर्धारण से पूर्व भी आप अविराम को पाठकों तक निष्काम भाव से निःशुल्क ही पहुँचाते रहे हैं, जिसका परिणाम है कि आज पाठक/रचनाकार अविराम की सदस्यता ग्रहण करने लगे हैं। ‘अविराम’ दिन-दूनी रात-चौगुनी बिना आराम और विराम के अनवरत प्रगति पथ पर बढ़ती रहे और आसमान की बुलन्दियों को छू ले, इसी कामना के साथ मैं एक शायर की चंद पंक्तियाँ उद्धृत करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ-
    ‘एक मौज़ मचल जाए तो तूफाँ बन जाए,/एक फूल गर चाहे तो गुलिस्ताँ बन जाए।/एक खून के कतरे में है तासीर इतनी,/एक कौम की तारीख का उन्मान बन जाए।।’ ......

    शशांक मिश्र भारती, हिन्दी सदन बड़ागांव शाहजहांपुर-242401 उ0प्र0
    ....पत्रिका धीरे-धीरे लोक प्रियता की ओर बढ़ रही है। रचना के साथ रचनाकार का संक्षिप्त सचित्र परिचय रचनाकार को जानने-समझने में सहायक है। डां. तारिक असलम तस्लीम की डां. सतीश दुबे से लघुकथा हृपर लम्बी वार्ता उपादेय तो है ही; लघुकथा पर ज्ञानपरक भी।.....

    नरेन्द्र कुमार राजपूत, ग्राम व डाक- कुरथल, जिला मुजफ्फरनगर-251309(उ.प्र.)
    ....प्रकाशित रचना सामग्री उत्कृष्ट, सोद्देश्य एवं मनोहारी है। लघुकथा विधा का विशेष ध्यान रखा गया है। परन्तु सनातन कुमार बाजपेयी की नीम का पेड़ विस्तृत कथा/कहानी के रूप में प्रस्तुत कर पत्रिका के साहित्यिक आस्वादन में विशिष्ट वृद्धि कर दी है। कहानी बहुज अच्छी लगी। काव्य के अर्न्तगत कृष्ण सुकुमार की ग़ज़ल, कुन्दन सिंह सजल की ‘कटा गांव का बरगद’, पवन कुमार पवन के दो मुक्तक हृदय को स्पर्श करने वाले लगे। वैसे सभी सामग्री स्तरीय जान पडी। कुल मिलाकर नए-पुराने कलमकारों की रचनाओं का समिश्रण कर इसे आपने अत्यंत उपयोगी बना दिया है।....

    चन्द्रकान्त दीक्षित, सटई मार्ग, संध्या विहार कालौनी के पीछे, छतरपुर-471001(म.प्र.)
    ....अंक संग्रहणीय है। साहित्य की बहुत सी विधाओं से परिपूर्ण है। रचनाएँ मन को छूती हैं। प्रेरणादायक हैं।....

    राजेन्द्र बहादुर ‘राजन’,ग्राम फत्तेपुर, पो. बेनीकामा, जिला-रायबरेली-229402(उ.प्र.)
    ....साधारण कलेवर किन्तु असाधारण रचनाएं। सचमुच आपने इस लघु पत्रिका में गागर में सागर भरने वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है। साहित्य के प्रति आपके समर्पण भाव को प्रणाम करता हूँ।...लघुकथाएं, काव्य रचनाएं, समीक्षाएं आदि सब श्रेष्ठ, स्तरीय हैं।....

    चक्रधर शुक्ल,सिंगल स्टोरी, एल.आई.जी.-1, बर्रा-6, कानपुर-208027 (उ.प्र.)
    ....थोड़े में बहुत कुछ समेटने का सार्थक प्रयास, निश्चय ही रंग लायेगा। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं।....

    दिलीप भाटिया, 372/201, न्यू मार्केट, रावतभाटा-323307(राज.)
    ......पत्रिका गागर में सागर है। गुणवत्तापूर्ण है।...सत्साहित्य यज्ञ में ‘अविराम साहित्यिकी’ की आहुति निर्मलता, पवित्रता, सार्थकता लाएगी।...

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  6. जनवरी-मार्च 2012 अंक पर देर से प्राप्त प्रतिक्रियायें

    राजराम भादू, 71/17, श्योपुर रोड, प्रताप नगर, सांगोपुर, जयपुर-3020033 (राज.)


    .....आप उत्तरांचल से सही मायनों में एक लघु पत्रिका निकाल रही हैं। इसमें आपने अपने ध्येय के अनुरूप संभावनाशील प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया है। क्या आपको नहीं लगता कि इलेक्ट्रानिक मीडिया और मुद्रित माध्यम की प्रकृति में कुछ मूलभूत फर्क है। पत्रिका को संवाद के बहुआयामी संदर्भों को खोलना चाहिए। हालांकि नेट और वेब की अहमियत से इंकार नहीं किया जा सकता। किन्तु पत्रिका को वेब का सिर्फ मुद्रित संस्करण नहीं होना चाहिए। वेब या ब्लाग अधिक अन्तर्क्रियाशील माध्यम हैं, जबकि मुद्रित पत्रिका को चिंतन पर अधिक फोकस करना चाहिए। बहरहाल, आपकी कोशिश निसंदेह सराहनीय है।.....


    लाखन सिंह भदौरिया ‘सौमित्र’, भोजपुरा, मैनपुरी-205001(उ.प्र.)
    .....लघुकथाओं पर केन्द्रित यह अंक पढ़कर प्रसन्नता प्रेरक स्फूर्ति मिली। लघुकथायें अपने अनूठे रूप में आज के जन-जीवन को शब्दायित करती हुईं मर्मस्पर्शी हैं। मानवीय संवेदनशीलता को उत्प्रेरित करती हुई जीवन्त और प्रेरक हैं। ऐसी प्राणद, प्रज्ञापोषक रचनायें जन सामान्य पाठक और प्रबुद्ध समाज तक पहुँचें, पढ़ी जायें तो देर-सवेर हिन्दीप्रेमी जनों मातृभाषा राष्ट्रभाषा अनुरागी प्राणों को मूर्छना से उबारती हुई आत्मबोध की ओर अग्रसर करेंगी, ऐसा विश्वास है। आपने मुझे भी अपनी पत्रिका का प्रथम अंक प्रेषित कर मान, सम्मान प्रदान कर अपना सद्भाव दिया है जिससे लगा कि मैं अविराम साहित्यिकी चेतना का पाठक तो हो ही सकता हूँ।.....अपने अन्तरबोध और अन्तर-विकलता को सन् 1950 से पत्र-पत्रिकाओं में छपा और काव्य मंचों और काव्य गोष्ठियों में उठा-बैठा हूँ। कादम्बिनी मासिक दिल्ली के प्रथम सम्पादक श्री रामानन्द, दोषी, इन्दीवर, नीरज, रवीन्द्र भ्रमर, बलवीर सिंह ‘रंग’, गोपाल सिंह नैपाली, रामावतार त्यागी, देवराज ‘दिनेश’, भारत भूषण युग का काव्यानुरागी हूँ। अपने युग की अनुभूति अभिव्यक्ति के साथ हूँ। गीत, छन्द युग की गन्ध ही नहीं, छन्द की वैशाखी पर उछलती-कूदती परम्परा लिये हुए चल रहा हूँ।.....


    हितेश व्यास, 1-मारुति कॉलोनी, पंकज होटल के पीछे, नयापुरा, कोटा-324001 (राज.)
    .....अविराम साहित्यिकी का प्रथम अंक प्राप्त हुआ। नाम बदलने से स्वरूप नहीं बदलता। वही अविराम है। लघुकथाएँ और पत्रिकाएँ भी छापती हैं पर लघुकथाकार का परिचय इस गरिमा के साथ सब नहीं छापतीं। अनवरत में वे कलमकार हैं जो सतत रूप से सृजन में संलग्न हैं। इनमें भी अपरिचित का परिचय देते हैं आप। प्रवास की पीड़ा में सन्दर्भ विशेष की लघुकथाएँ हैं। गुंजाइश होने पर नातिदीर्घ कथाएँ भी देते हैं। कविता के हस्ताक्षर में नये सर्जक मय परिचय हैं। सतीश दुबे से सार्थक संवाद है। सघनता लिये हुए व्यंग्य हैं। समीक्षाएं हैं, चिट्ठियाँ हैं, साहित्यिक समाचार हैं। प्राप्ति स्वीकार में पुस्तकें हैं। पत्र-पत्रिकाओं में मित्राचार है। आहट में नव प्रवेश है। अनवरत-2 अनवरत का अनवरत है। प्रस्तुति संपादकीय है।

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  7. जनवरी-मार्च 2012 अंक पर देर से प्राप्त कुछ और प्रतिक्रियायें

    विनोद अश्क, नटराज विला, 418, गगन विहार, शामली-247776, जिला-प्रबुद्धनगर (उ.प्र.)
    ....अविराम साहित्यिकी बड़ा अच्छा प्रयास है। इसमें काव्य और कहानियों के विभिन्न रंगों की छटा है।....


    डॉ. डी. एम. मिश्र, 604, सिविल लाइन, निकट राणा प्रताप पी.जी. कालेज, सुल्तानपुर-228001 (उ.प्र.)
    ....पत्रिका को देखकर यह विश्वास हो रहा है कि साहित्य के प्रति आपकी पवित्र भावनाएं अवश्य सृजन के नए द्वार खोलेंगी। अच्छी प्रस्तुति और सुन्दर रचनाओं के चयन के लिए बधाई स्वीकारें।


    चन्द्रकान्त दीक्षित, संध्या विहार कालौनी के पीछे,सटई रोड, छतरपुर-461001 (म.प्र.)
    .....अंक संग्रहणीय है। साहित्य की बहुत सी विधाओं से परिपूर्ण है। रचनाएं मन को छूती हैं। प्रेरणादायक हैं।.....


    डॉ0 सुरेश प्रकाश शुक्ला, 554/93, पवनपुरी लेन में, डालनबाग, लखनऊ-05
    ......इस अंक में लघुकथा के हस्ताक्षरों और उनकी रचनाओं से अच्छा परिचय मिला। साथ ही प्रवासी कतल कपूर और सनातन बाजपेयी की कथाएँ अच्छी लगीं। काव्य में गौरीशंकर वैश्य, डॉ. नलिन, कुन्दनसिंह सजल, कृष्ण सुकुमार की रचनाएँ भाईं। अन्य लघुकथायें और स्तंभ भी पठनीय हैं। कविता पक्ष में भाव प्रबल हैं।......
    ‘‘दिखे कलेवर लघु भले, साहित्यिक अविराम।
    गागर में सागर भरे, काव्य कथा अविराम।।’’


    जगदीश तिवारी, 3 क 63, सेक्टर 5, हिरणमगरी, उदयपुर (राजस्थान)
    .....जनवरी-मार्च 2012 की त्रैमासिक पत्रिका ‘अविराम साहित्यिकी’ का अंक प्राप्त हुआ। पढ़ी, अच्छी लगी। सभी रचनायें स्तरीय हैं। अच्छी-स्तरीय पत्रिका के प्रकाशन के लिए आपको बधाई।.....


    कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’, 89, गवालियर रोड, नौलक्खा, आगरा-282001 (उ.प्र.)
    .....लघु आकार की इस पत्रिका में गद्य-पद्य की कई विधाओं की रचनाएं हैं, जिससे सभी विधाओं के रचनाकारों को प्रकाशित होने का अवसर मिला है। कामना है कि पत्रिका नियमित रूप से निकलती रहे और साहित्यिक जगत में यशस्वी हो।.....


    ज्ञानेन्द्र साज, 17/212, जयगंज, अलीगढ़-202001 (उ.प्र.)
    .....खुशी हुई कि आप भी साहित्य सेवा का वृत लेकर प्रकाशन क्षेत्र में उतर आयी। प्रथम प्रयास ही सफल है। भविष्य में तो और भी निखार के प्रति आश्वस्त हुआ जा सकता है। पत्रिका की सादगी भी मनमोहक है।....


    रमेश नाचीज, 524, कर्नजगंज, इलाहाबाद-211002 (उ.प्र.)
    .....‘अविराम’ की कुछ रचनाएं पढ़ी, शेष पढ़ रहा हूं। शब्दांकन, चित्रांकन, आवरण एवं रचनाएं याीन कुल मिलाकर ‘अविराम’ अतिलघु पत्रिकाओं में स्तरीय पत्रिका है।.....


    कँवल भारती, रामपुर (उ.प्र.)
    .....आपका प्रयास काफी सराहनीय है। इस अंक में लघुकथा पर आपकी सामग्री काफी पठनीय है।...


    रामनिहाल गुँजन, नया शीतला टोला, आरा-802301(बिहार)
    .....जनवरी-मार्च 2012 अंक काफी ठीक लगा। इसमें प्रकाशित रचनाएँ कुल मिलाकर अच्छी लगीं। अगला अंक और बेहतर निकलेगा, इसी आशा के साथ...


    शिवशंकर मिश्र, 403, लावण्या अपार्टमेन्ट, टैगोर हिल रोड, मोरहाबादी, राँची-834008
    .....मेरी शुभकामनाएँ। आशा है पत्रिका अपने लिए कुछ विशेष कार्य निश्चित करेगी और भविष्य में अपनी एक जगह बनाएगी।...


    डॉ. शिवभजन ‘कमलेश’, 558/72, सुन्दरनगर, आलमबाग, लखनऊ-226005 (उ.प्र.)
    .....छोटी-सी पत्रिका में हिन्दी साहित्य के अनेकाने विधाओं को समेटकर आपने सम्पादन कौशल का स्तुत्य प्रयास किया है। कहानी, लघुकथा, कविता, लेख, गीत, क्षणिकाएँ, समीक्षाएँ, साहित्यिक समाचार आदि इस अंक की सप्तवर्णी शोभा के प्रतीक हैं। समस्त रचनाएँ प्रेरक, ज्ञानवर्द्धक एवं ानन्ददायिनी हैं। अपने सीमित संसाधनों में जिस दृढ़ता के साथ कदम बढ़ाया है, प्रशंसनीय है। साहित्यिक पत्रिकाओं की प्रतिस्पर्धा में यह अपनी विशिष्ट पहचान बनायेगी, ऐसा अवश्यम्भावी प्रतीत होता है।....


    सलीम खाँ फ़रीद, हसामपुर, सीकर-332718 (राज.)
    ‘अविराम’ का पहली बार अंक प्राप्त. आभार। फिर अन्तर्जाल पर भी देखा, वहाँ यह प्रकाशित की बजाय अधिक आकर्षक लगी। संभवतः रंगीन आभा और आपके खींचे विशेष छाया-चित्रों के कारण। सारी सामग्री बहुत ही चयनित और अच्छे संपादन का प्रमाण है। इसे निरंतर बनाए रखें। क्या इसका आकार अधिक छोटा नहीं लगता? संभव हो तो आकार भी बढ़ाएं।


    मदन मोहन उपेन्द्र, ए-10, शान्तिनगर, मथुरा (उ.प्र.)
    ....पत्रिका में नवी पीढ़ी की धारदार रचनायें पढ़ीं। इनमें समकालीन चिन्तन-मनन एवं समय सापेक्ष अभिव्यक्ति प्रभावी लगी। श्री युगल की लघुकथा ‘सत्ता’ भी आक्रोशी स्वभाव का सृजन है। वहीं श्री पृथ्वीराज अरोड़ा की लघुकथाओं में दर्द एवं पीड़ा का भाव भी रचनात्मकता का सामयिक चिन्तन है। सम्पादन की लगन एवं निष्ठा स्तुत्य है।

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  8. अविराम साहित्यिकी अंक जनवरी-मार्च 2012 पर बिलम्ब से प्राप्त पत्र

    दिनेश कुमार छाजेड़, ब्लॉक 63/395, भारी पानी संयत्र कॉलोनी, रावतभाटा-323307,जिला-चित्तौड़गढ़ (राज.)

    .....यह अंक प्रथम है लेकिन रचनाओं का स्तर तथा उसका कुशल सम्पादन इसको विशेष बना रहा है। प्रस्तुत अंक में कविताएं, गजलें, लघुकथाएं, गीत आदि सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं। तीन वरिष्ठ लघुकथाकारों की रचनाएं तथा विमर्श में डॉ. सतीश दुबे का साक्षात्कार इस अंक की गरिमा में चार चाँद लगा रहे हैं। लघुकथा सत्ता, दुःख, माधव नागदा की कविता, कृष्ण सुकुमार की ग़ज़ल सशक्त रचनाएं हैं। रचनाकारों को साधुवाद!....

    विजय गिरि गोस्वामी ‘काव्यदी’, मु.बोदिया, पो.मादलदा,-327034 तह. गढ़ी,जिला बांसवाड़ा (राज.)
    .....अविराम साहित्यिकी का पहला अंक (जनवरी-मार्च 2012)... पढ़ा। सुन्दर....बहुत सुन्दर। एक लघु पत्रिका में लेखन की सारी विधाओं को मंच देना निःसंदेह टेढ़ी खीर है परन्तु आप इसे अच्छा निभा रहे हैं। आपका यह प्रयास स्तुत्य है।....

    डॉ.साज जबलपुरी, 113, ग़ज़ल हाउस, सोनिया अपार्टमेन्ट, सिविल लाइन्स, जबलपुर (म.प्र.)
    .....पत्रिका में विविध सामग्री है जो हर वर्ग के पाठकों के लिए है। वास्तव में आपका प्रयास प्रणम्य है।..... पत्रिका के प्रथम पृष्ठ से अंतिम पृष्ठ तक का सदुपयोग किया गया है।

    डॉ.दशरथ मसानिया, 123, गवलीपुरा, आगर मालवा, जिला शाजापुर-465441 (म.प्र.)
    .....सीमित संसाधनों में श्रेष्ठ रचनात्मक कार्य प्रशंसनीय है। 52 पृष्ठों में अत्यधिक सामग्री छापकर आपने ‘गागर में सागर’ वाली उक्ति को चरितार्थ किया है।.....

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