आपका परिचय

गुरुवार, 24 मई 2012

130. पं. गिरिमोहन ‘गुरु’

पं. गिरिमोहन ‘गुरु’






जन्म :  01.07.1942 को रेवातट स्थ्ति ग्राम गनेरा में।
शिक्षा :  एम0ए0, साहित्य विशारद एवं धर्मरत्न। 


लेखन/प्रकाशन/योगदान  :  समकालीन काव्य के साथ-साथ भक्ति एवं धार्मिक साहित्य लेखन में भी उल्लेखनीय कार्य। अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। मुझे नर्मदा कहो, गीतों की ओर व पं. गिरिमोहन ‘गुरु’ के नवगीत (नवगीत संग्रह), राग-अनुराग (मुक्तक संग्रह), ग़ज़ल का दूसरा किनारा व ग़ज़ल के छिलके (ग़ज़ल संग्रह) व कंकर नर्मदा के (दोहा संग्रह), जनक छन्द मणि मालिका (जनक छन्द संग्रह) के साथ साहित्य, भक्ति व धर्म पर अनेक मौलिक एव सम्पादित पुस्तकें प्रकाशित। श्री सेवाश्रम नर्मदा मन्दिरम्, होशंगाबाद की स्थापना की। कई अन्य संस्थाओं से भी सम्बद्ध। आपके साहित्य पर दो लघुशोध भी हुए हैं। गुरु जी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘द्वार खड़े इतिहास के’, ‘समीक्षा प्रकाश सतसई’, पं. गिरिमोहन ‘गुरु’: संवेदना व शिल्प’ आदि कई पुस्तकें प्रकाशित।
सम्मान :  कलमकार परिषद, भोपाल; राज्य शिक्षा संस्थान, भोपाल; अ.भा. साहित्य सम्मेलन, बेंगलोर आदि कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत।
सम्प्रति :  शिक्षण कार्य से सेवानिवृत होने के बाद पौरोहित्य कार्य एवं साहित्य साधना में रत।
सम्पर्क :  श्री सेवाश्रम नर्मदा मन्दिरम, हाउसिंग बोर्ड कालोनी, होशंगाबाद-461001
दूरभाष :  07574-257153
मोबाइल :  09425189042




अविराम में  प्रकाशन 
मुद्रित अंक :  जून 2011 अंक में पांच जनक छन्द।
ब्लॉग संस्करण :  सितम्बर 2011 अंक में जनक छन्द।
               जनवरी 2012 अंक में जनक छन्द।
               मार्च 2012 अंक में जनक छन्द।













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