अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 1, अंक : 08-09, अप्रैल-मई 2012
।।जनक छन्द।।
सामग्री : महावीर उत्तरांचली के जनक छंद।
महावीर उत्तरांचली
सात जनक छन्द
1.
फूलों की रसगन्ध-सी
तन-मन में आ बसी
हो घुलती मकरन्द सी
2.
आकर्षक ये सयन हैं
जिसे देखकर हे पिये
मंत्र-मुग्ध ये नयन हैं
3.
पुलकित उर का तट हुआ
साथ मिला है आपका
तन-मन वंशी वट हुआ
4.
दृश्य छायांकन : अभिशक्ति |
तेरा रूप अनूप है
मन की सुध हरने लगा
5.
घोर निराशा छा गई
देख-देख फिर आपको
आस किरन लहरा गई
6.
सजन मिलन को आय ज्यों
पनघट पे पनहारियां
गगरी छलकत जाय ज्यों
7.
गोरी तेरे गांव में
स्वर्ग बना शीतल पवन
कल्पवृक्ष की छांव में
- बी-4/79, पर्यटन विहार, बसुन्धरा एंक्लेव, नई दिल्ली-110096
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें