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मंगलवार, 26 मार्च 2013

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष : 2,  अंक : 7, मार्च 2013  

।।क्षणिकाएँ।।

सामग्री : डॉ. मिथिलेश दीक्षित व रामस्वरूप मूँदड़ा की क्षणिकाएँ।


डॉ. मिथिलेश दीक्षित




चार क्षणिकाएँ

1.
वक्त की आवाज़ को 
पहचानती हूँ,
मेरे घर के
कट गये हैं
रोशनी के तार क्यों
यह जानती हूँ!
2.
हंस हँस दे,
रेखा चित्र : बी मोहन नेगी 

कल
न जाने
काल क्या कर दे!
3.
सारा जंगल
एक होकर
क्रोध से जलने लगा 
एक तिनके ने 
हवा का रुख 
बदलने को 
बग़ावत 
की है शायद!
4.
कई बार
वह घड़ी 
परीक्षा की आयी,
जब हमने भी
मृत्यु द्वार से
लौटायी!

  • जी-91, सी, संजयगान्धीपुरम, लखनऊ-226016



रामस्वरूप मूँदड़ा



दो क्षणिकाएँ


1. जिन्दगी

एक कोरे पृष्ठ पर 
गिर गई है
स्याही की एक बूँद
ढुलक गई उस ओर
छाया चित्र : उमेश महादोषी 
जिधर था ढलान
धीरे-धीरे
सूख गई बस
बन गया कोई अक्षर
या कोई चित्र।

2. कैक्टस

उग आया है 
मन में
एक कैक्टस
सहला रहे हैं
चुभन
उखाड़ नहीं पा रहे हाथ।
-पथ 6, द-489, रजत कॉलोनी, बून्दी-323001 (राज.)

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