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शुक्रवार, 26 मई 2017

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन,  वर्ष  :  6,   अंक  :  05-06,  जनवरी-फ़रवरी  2017




छत्रसाल क्षितिज

भूलना मत...
      सुबह कार्यालय पहुँचा तो एक पत्र था- 
मुख्य अभियंता (सड़क निर्माण) 
महोदय, 
      बाय पास का कार्य लगभग पूर्ण होने को है, बस एक विशालकाय पेड़ रास्ते से नहीं हट रहा है। कृपया निर्देश दें।
धन्यवाद! 
सहायक अभियंता/पानागर बाय पास परियोजना/एन.एच. 4 
      मैं कार्यालय से सीधा साइट पर पहुँचा। अभियंता ने पेड़ की तरफ इशारा किया और हम विशालकाय पेड़ के पास पहुँचे। मैंने पेड़ से कहा क्या तुम जीवन देने वाले ब्रह्मा हो, सड़क के बीच से हटो।
      एक शीतल वायु का झोंका आया लेकिन पेड़ ने कोई उत्तर नहीं दिया। मैंने पेड़ को कल तक का समय दिया और वापस कोलकाता कार्यालय आ गया। दूसरे दिन अभियंता का फोन आया कि पेड़ अभी नहीं हटा है।
      आज मौसम काफी खराब था। फरवरी-मार्च के दिन थे। अचानक तेज तूफानी वर्षा होने लगी। मैं फिर भी साइट पर गया, क्योंकि अगले महीने नेताजी सड़क का उद्घाटन करने वाले थे। देखा पेड़ के नीचे बहुत से राहगीर व पशु वर्षा से बचने के लिए बैठे थे। मैंने पेड़ से कहा क्या तुम कृष्ण के गोवर्धन पर्वत हो, सड़क से हटते क्यांे नहीं? 
      अचानक पेड़ पर हजारों पक्षियों का कलरव होने लगा। पेड़ चुप। मैंने पेड़ को कल फिर आने की धमकी दी और वापस कोलकाता आ गया। 
      अभियंता का फोन फिर आया, मैं समझ गया अड़ियल पेड़ अभी वहीं है और साइट की ओर रवाना हो गया। पेड़ के नीचे बच्चे खेल रहे थे तथा कुछ लड़कियाँ, महिलायें पेड़ से झूला झूल रही थीं। मैंने पेड़ से कहा तुम सावन या बसंत हो, सड़क से हटते क्यो नहीं। तभी एक झूला मुझे से टकराते-टकराते बचा।
      पेड़ चुप था। मैंने अभियंता को अवश्यक निर्देश दिये और वापस आ गया। दूसरे दिन साइट पर सुबह-सुबह ही पहुँच गया। देखा, सड़क बन रही है। पेड़ सड़क से थोड़ा हट कर पड़ा था और पास के ग्रामीण उस की चीड़-फाड़ मे व्यस्त थे। नजदीक आया तो ग्रामीणों ने कहा साहब धन्यवाद! आपने हमारे साल भर का ईंधन का इंतजाम कर दिया। परसों 5 तारीख को हमारा उत्सव है। भोजन इसी लकड़ी से पकेगा, आप आना। मैंने पेड़ की तरफ देखा तो वो मुस्काने लगा। 
      मैं कार्यालय वापस आ गया। शाम के करीब 6 बज रहे थे, सभी कर्मचारी जा चुके थे, सिर्फ़ ऑफिस बाय ही रुका था। अचानक मेरे कमरे मंे चारों दिशाओं से आवाजें आने लगी- ‘‘भूलना मत। 5 तारीख को मेरा मृत्यु भोज है।’’
      मैंने पहली बार उस पेड़ की आवाज सुनी। इसके बाद मेरा ट्रान्सफर हो गया, लेकिन पता चला अब उस कमरे में कोई अभियंता नहीं बैठता, क्योंकि वहाँ हमेशा आवाज आती है- ‘‘भूलना मत, 5 तारीख को मेरा मृत्यु भोज है।’’
  • बी-501,कल्पवृक्ष सीएचएस, खण्ड कॉलौनी, सेक्टर 9, कॉर्पोरेद्वान बैंक के पीछे, प्लाट नं. 4, न्यू पानवेल (पश्चिम)-410206, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)

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