अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 6, फरवरी 2013
।।जनक छन्द।।
सामग्री : हरिश्चन्द्र शाक्य के पाँच जनक छंद।
हरिश्चन्द्र शाक्य
जनक छन्द
1.
कैसा अद्भुत ज्ञान है
ईश्वर को ब्रह्माण्ड में
खोज रहा विज्ञान है
2.
अधर-अधर पर गीत है
हवा प्रगति की चल गयी
खुशियों का संगीत है
3.
बाज, बाज ना आ रहा
बेकसूर जो कीर हैं
मार-मार कर खा रहा
4.
कैसी दुनिया आज की
चहुँ दिशि तूती बोलती
भ्रष्टाचारी राज की
5.
मेंटो तुम छल-छन्द को
प्रेम-सुधारस बाँट दो
पाओ परमानन्द को
।।जनक छन्द।।
सामग्री : हरिश्चन्द्र शाक्य के पाँच जनक छंद।
हरिश्चन्द्र शाक्य
जनक छन्द
1.
कैसा अद्भुत ज्ञान है
ईश्वर को ब्रह्माण्ड में
खोज रहा विज्ञान है
2.
अधर-अधर पर गीत है
छाया चित्र : डॉ बलराम अग्रवाल |
खुशियों का संगीत है
3.
बाज, बाज ना आ रहा
बेकसूर जो कीर हैं
मार-मार कर खा रहा
4.
कैसी दुनिया आज की
चहुँ दिशि तूती बोलती
भ्रष्टाचारी राज की
5.
मेंटो तुम छल-छन्द को
प्रेम-सुधारस बाँट दो
पाओ परमानन्द को
- शाक्य प्रकाशन, घण्टाघर चौक, क्लब घर, मैनपुरी-205001 (उ0प्र0)
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