आपका परिचय

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

अविराम विस्तारित

।।सामग्री।।
जनक छन्द : डॉ. ब्रह्मजीत  गौतम, महावीर उत्तरांचली  व हरिश्चंद्र शाक्य


डॉ. ब्रह्मजीत गौतम

{डॉ. गौतम जी जनक छन्द के विद्वान एवं सशक्त रचनाकार हैं। हाल ही में उनका जनक छन्द संग्रह ‘जनक छन्द की साधना’ प्रकाशित हुआ है। इसी संग्रह से उनके कुछ जनक छन्द यहाँ प्रस्तुत हैं।}

जनक छन्द
1.
 नदी, सरोवर, पोखरे
घूँसखोर बाबू सदृश
गँदले पानी से भरे
2.
रातें तो मगरूर हैं
दिन भी हुए पहाड़-से
दोनों ही अति क्रूर हैं
3.
काग गा रहे फाग हैं
रेखांकन : किशोर श्रीवास्तव
गधे शान से चर रहे
लोकतंत्र का बाग है
4.
डूब रहा रवि सत्य का
झूठ दमकता शान से
अंत करो इस कृत्य का
5.
बादल जैसा प्यार दो
जो कुछ लिया समुद्र से
सब वसुधा पर वार दो
6.
हवा लगी आकाश की
पेड़ पुराना क्यों रुचे
राह नवीन तलाश की
7.
कैसा आया काल है
जो चलता ईमान पर
उसका खस्ता हाल है
8.
जहाँ दृष्टि जाती वहाँ
हिंसा, बलवे, कत्ल हैं
अमन रहे जाकर कहाँ
  • बी-85, मिनाल रेजीडेंसी, जे.के. रोड, भोपाल-462023(म.प्र.)


महावीर उत्तरांचली
 






जनक छन्द
1.
वफ़ादार ये नैन हैं
हाल सखी जाने नहीं
साजन तो बेचैन हैं
2.
राजनीति सबसे बुरी
रेखांकन : किशोर श्रीवास्तव
‘महावीर’ सब पर चले
ये है दो धारी छुरी
3.
शांति-धैर्य गुमनाम है
मानवता दिखती नहीं
बस! कत्ल सरेआम है
  •  बी-4/79, पर्यटन विहार, वसुन्धरा एन्क्लेव, नई दिल्ली


हरिश्चन्द्र शाक्य
 






जनक छन्द
1.
सोना बरसे मेह में
रेखांकन : पारस दासोत
रोज दिवाली ही रहे
धनवानों के गेह में
2.
जीवन भागम-भाग है
बढ़ जाने की होड़ में
हर सीने में आग है।
3.
बच्चों की किलकारियाँ
मन में भरती मोद हैं
खुश होती महतारियाँ
4.
मन में नयी उमंग है
तन में सचमुच जोश है
तो पुलकित हर अंग है
  • शाक्य प्रकाशन, घण्टाघर चौक, क्लब घर, मैनपुरी-205001 (उ.प्र.)

1 टिप्पणी:

  1. डॉ ब्रह्मजीत गौतम , महावीर उत्तरांचली और हरिश्चन्द्र शाक्य जी के सभी जनक छन्द एक अच्छे और स्तरीय काव्य का नमूना हैं। कोई भी छन्द किसी भी दृष्टि से कमज़ोर नहीं है।

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