अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 2, अंक : 6, फरवरी 2013
संपादक : डॉ. उमेश महादोषी (मोबाइल : 09412842467)
संपादन परामर्श : डॉ. सुरेश सपन
ई मेल : aviramsahityaki@gmail.com
।।सामग्री।।
रेखा चित्र : राजेंद्र परदेशी |
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अविराम विस्तारित :
काव्य रचनाएँ {कविता अनवरत} : इस अंक में रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, अमरेन्द्र सुमन, जगन्नाथ ‘विश्व’, किशोर श्रीवास्तव, अशोक अंजुम , कृष्ण स्वरूप शर्मा ‘मैथिलेन्द्र’, महावीर उत्तरांचली व दिलीप सिंह ‘दीपक’ की काव्य रचनाएँ।
लघुकथाएँ {कथा प्रवाह} : इस अंक में अशोक वर्मा, डॉ. कमल चोपड़ा, कुमार नरेन्द्र, मधुकान्त, मधुदीप, विक्रम सोनी, प्रद्युम्न भल्ला, सन्तोष सुपेकर, डॉ नन्द लाल भारती व दिनेश कुमार छाजेड़ की लघुकथाएं।
बाल अविराम {बाल अविराम} : सुकेश साहनी की बाल-कहानी एवं अनिल द्विवेदी ‘तपन’ की दो कवितायेँ। नए बाल चित्रकार- स्मिति गंभीर, इशिता श्रीवास्तव व सक्षम गम्भीर।
किताबें {किताबें} : श्री विरेन्द्र कुमार गुप्त के उपन्यास ‘‘शून्य से शिखर’’ की प्रख्यात साहित्यकार व समीक्षक डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ द्वारा लिखित समीक्षा।
अविराम की समीक्षा (अविराम की समीक्षा) : अविराम साहित्यकी के लघुकथा विशेषांक की ओमप्रकाश कश्यप, शशिभूषण बड़ोनी, डा.तारिक असलम ’तस्नीम’ व शोभा रस्तोगी शोभा द्वारा की गई समीक्षाएं।
अविराम के अंक {अविराम के अंक} : अविराम साहित्यकी के जनवरी-मार्च 2013 मुद्रित अंक में प्रकाशित सामग्री की सूची।
अविराम साहित्यिकी के मुद्रित संस्करण के पाठक सदस्य (हमारे आजीवन पाठक सदस्य) : अविराम साहित्यिकी के मुद्रित संस्करण के 28 फ़रवरी 2013 तक बने आजीवन एवं वार्षिक पाठक सदस्यों की सूची।
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।।मेरा पन्ना ।।
मित्रो, हमने अविराम के अक्टूबर-दिसम्बर 2013 अंक को क्षणिका विशेषांक के रूप में प्रकाशित करने की योजना बनाई है। आज व्यापक मानवीय संवेदनाओं और मानवीय सरोकारों से जुड़ी अभिव्यक्ति को संप्रेषित करने के सशक्त माध्यम के रूप में क्षणिका अपनी पहचान बना रही है। यद्यपि संख्यात्मक लेखन की होड़ और मंच के प्रभाव में क्षणिका में हल्का लेखन भी हो रहा है, परन्तु अनेक कवियों के नई कविता/छन्दमुक्त कविता के संग्रहों में संग्रहीत एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेक लघु आकारीय कविताओं में आकार, शिल्प और प्रभाव का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है, जो उनकी अलग उपस्थिति दर्ज कराता है। निसंदेह ऐसी रचनाएं ही क्षणिका के सांप्रतिक विधागत स्वरूप को हमारे सामने रखती हैं। इस विधागत स्वरूप को रेखांकित करके हम एक प्रभावशाली काव्य विधा को स्थापित करने में योगदान कर सकते हैं। यह विधा न सिर्फ पाठकों में कविता के प्रति आकर्षण पैदा करेगी बल्कि समकालीन विसंगतियों और सामाजिक सरोकारों को रेखांकित करते हुए साहित्य के उद्देश्यों को भी पूरा करगी। इस हेतु आपसे निम्नवत् सहयोग की अपेक्षा है-
- क्षणिकाकार के रूप आप व्यापक मानवीय संवेदनाओं और मानवीय सरोकारों से जुड़ी अपनी दस से पन्द्रह तक क्षणिकाएँ हमें 31 जुलाई 2013 तक प्रेषित कर सकते हैं। क्षणिकाओं के साथ क्षणिका के विधागत स्वरूप के बारे में अपने संक्षिप्त विचार भी प्रेषित कर सकें तो और भी अच्छा रहेगा। यदि हमें इससे पूर्व आपने अपना फोटो नहीं भेजा है, तो क्षणिका पर सामग्री के साथ अवश्य भेज दें। हल्के-फुल्के हास्य, चुटुकुले-पहेलीनुमा, परिभाषानुमा कथ्यों/बयानों आदि को क्षणिका के नाम पर खपाने से बचना ही उचित होगा।
- क्षणिका की रचनात्मकता और उसके रूप-स्वरूप पर बातचीत के रूप में अपने विचार या आलेख भेजना चाहते हैं, तो 31 मई 2013 तक उसकी रूपरेखा पर हमसे विचार-विमर्श कर लें, ताकि 31 जुलाई 2013 तक सामग्री अंतिम रूप में संकलित करना संभव हो सके।
- जिन मित्रों के क्षणिका संग्रह या पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पचास क्षणिकाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, वे इसकी जानकारी (संभव हो तो प्रकाशित प्रति भी) 31 मई 2013 तक हमें उपलब्ध करवा सकें, तो क्षणिका के संबंध में उनके अनुभवों/विचारों/योगदान को हम क्षणिका-विमर्श की एक महत्वपूर्ण योजना में शामिल करना चाहेंगे।
- विशेषांक हेतु कोई अन्य सहयोग/सुझाव देना चाहें तो स्वागत है। यदि 31 जुलाई 2013 तक लगभग एक सौ मित्रों की स्तरीय क्षणिकाएँ प्राप्त हो गईं तो अक्टूबर-दिसम्बर 2013 अंक क्षणिका विशेषांक होगा। हो सके तो इस सूचना को इष्ट मित्रों तक भी पहुंचाइयेगा।
- विशेषांक को गरिमामय बनाना आपके आपके सहयोग के बिना सभव नहीं है। जहां तक संभव हो पा रहा है, हम क्षणिका लेखन से जुड़े मित्रों से व्यक्तिगत संपर्क साधने का प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन किसी मित्र तक यदि हम व्यक्तिगत रूप से न पहुंच पायें तो भी उम्मीद है आपका सहयोग अवश्य मिलेगा। कृपया ई मेल पर सामग्री कृतिदेव 010 या यूनीकोड फोन्ट में ही भेजें।