अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 1, अंक : 10, जून 2012
।।जनक छन्द।।
सामग्री : मुखराम माकड़ ‘माहिर’ व हरिश्चन्द्र शाक्य के जनक छंद।
मुखराम माकड़ ‘माहिर’
1.
अगन धधकती जेठ में
मौन भाप-सी बस्तियाँ
ठंडा उबले पेट में
2.
यंत्र खार अब छिड़कते
जल तेजाबी बरसता
कैंसर घातक पनपते
3.
धरा रसा सो जानिये
वृन्दावन जहँ महकता
चादर सुख की तानिये
4.
गंगा जमुना सड़ रही
मानस के मोती गये
जनता प्यासी लड़ रही
- विश्वकर्मा विद्या निकेतन, रावतसर, जिला- हनुमानगढ़ (राज.)
हरिश्चन्द्र शाक्य
1.
अगड़ा-पिछड़ा कौन है
सब धरती के लाल हैं
कौन यहाँ पर पौन है
2.
गड़-गड़-गड़ की ताल है
चमकी चंचल चंचला
क्या नागिन सी चाल है
3.
फैली अपरम्पार है
नील छटा आकाश की
जो ढकती संसार है
4.
मन में नयी उमंग है
तन में सचमुच जोश है
तो पुलकित हर अंग है
- शाक्य प्रकाशन,घण्टाघर चौक, क्लब घर, मैनपुरी-205001 (उ0प्र0)
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