अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 07- 08, मार्च-अप्रैल 2014
।। बाल अविराम ।।
सामग्री : इस अंक में पढ़िए- डॉ.महेन्द्र प्रताप पाण्डेय ‘‘नन्द’’ तथा नरेश कुमार ‘उदास’ बाल कविताएँ नन्हें बाल चित्रकारों सक्षम गम्भीर व स्तुति शर्मा के चित्रों के साथ।
डॉ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय ‘नन्द’
मदारी
आया एक मदारी गाँव,
ढूँढ़ रहा है पीपल छाँव।
देखो डमरू बजा रहा है,
बन्दरिया को नचा रहा है।
नखरे करती है बंदरिया,
बन्दर उसको मना रहा है।
सज-धज करके बूढ़ा बन्दर,
चित्र : सक्षम गम्भीर |
पहुँचा है साले के गाँव।
आया एक मदारी गाँव,
ढूँढ़ रहा है पीपल छाँव।
पैण्ट शर्ट टाई को बाँधे,
बन्दर जब लेता मुस्कान।
चेन तुम्हारी खुली हुयी है,
लगते हो कितने नादान।
मैं तो तेरे संग ना जाऊँ,
चाहे फेंको कितने दाँव।
आया एक मदारी गाँव,
ढूँढ़ रहा है पीपल छाँव।
- पूजाखेत, पोस्ट-द्वाराहाट, जिला अल्मोड़ा-263653 (उत्तराखंड)
नरेश कुमार ‘उदास’
कहाँ रहेगा इंसान
वृक्ष को न काटो
इसका दुख-दर्द बाँटो
वृक्ष देता है छाया।
काटो न इसकी काया
प्रभु की कैसी है माया
इसका फल जन-जन ने खाया।
चित्र : स्तुति शर्मा |
वृक्ष है कितना महान
देता है
हमें जीवन-प्राण।
वायु-लकड़ी
फल और छाया का
गाओ बस गुणगान।
वृक्ष काटोगे तो
धरा बन जाएगी रेगिस्तान।
जीवन के चिन्ह मिट जाएँगे
कहाँ रहेगा यह इंसान।
- हिमालय जैव सम्पदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पो. बा. न.ं 6, पालमपुर (हि.प्र.)
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