अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 07- 08 , मार्च-अप्रैल 2014
।।हाइकु।।
सामग्री : इस अंक में श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ के हाइकु व रेखा रोहतगी के कुछ ताँका और एक ताँका कविता।
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
{हाइकु को हिन्दी काव्य जगत में प्रतिष्ठा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका दिलाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ का दूसरा हाइकु संग्रह ‘माटी की नाव’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं उनके इसी संग्रह से चुने हुए कुछ हाइकु।}
पंद्रह हाइकु
01.
कोंपलें जगीं
निर्वसन तरु की
उदासी भगी।
02.
भर-भर के सूप
बाँटती रूप।
03.
नई कढ़ाई
टाँकी उपवन में
खुशबू छाई।
04.
जले अलाव
फरार हुई धूप
काँपती छाँव।
05.
सोचता मन-
ले तेरी ही खुशबू
बहे पवन।
06.
विश्वास-पाखी
उड़ा जो एक दिन
लौट न पाया।
07.
सपने बाँटे-
जितने थे गुलाबी,
बचे हैं काँटे।
08.
नयन जल
सुधियों-भरा ताल
छलक गया।
09.
कोकिल-पीर
चुभे यादों के तीर
बरसे नीर।
10.
बहना मेरी
है नदिया की धारा
भाई किनारा।
11.
कँटीली बाढ़
घायल हुए पाँव
आगे पहाड़
12.
जिस दिन भूलेंगे
सब खो देंगे
13.
अकेला कहाँ
जब बीसों गौरैयाँ
आ बैठी यहाँ
14.
भूखों की भीड़
सिंहासन पा गई
देश खा गई
15.
दूर है गाँव
तैरनी है नदिया
माटी की नाव
- फ़्लैट नं. 76 (दिल्ली सरकार आवासीय परिसर), रोहिणी सैक्टर-11, नई दिल्ली-110085 / मोबाइल : 09313727493
रेखा रोहतगी
{कवयित्री रेखा रोहतगी का ताँका संग्रह ‘घन सघन’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। प्रस्तुत है उनके इसी संग्रह से कुछ ताँका और एक ताँका कविता।}
सात ताँका
01.
मिट्टी होकर
मेरे तन की मिट्टी
सँवर गई
मिट्टी में मिलकर
जो मैं बिखर गई
02.
खिड़की खुली
तैरती नन्ही नाव
छू गई मन
डूब गया आँखों के
पानी में बचपन
03.
देकर कहाँ गई
बासंती हवा
चारों ओर ढूँढूँ मैं
मिले न कहीं दवा
04.
हैं तेरी आँखें
आँसुओं का समुद्र
तेरी पलके
जल सोखती हुई
हैं रेत की परतें
05.
तारों में देखी
तेरी आँखों की नमी
फूलों में पाई
सुगंध-सी गंधाती
तेरे होंठों की हँसी
06.
इच्छाएँ होती
हारिल की लकड़ी
जिसे पकड़
पर कुछ न पाता
07.
सर्द मौसम
गुलाब का चेहरा
ऐसे खिलता
जैसे मासूम बच्चा
मंद हँसी हँसता
एक ताँका कविता
सच्ची कविता
सच्ची कविता
संवेदना जगाती
नर्म करती
मन की भावभूमि
कठोरता हरती
कभी बनाती
अन्तर्मुखी तो कभी
पर दुःख में
हृदय में भरती
कभी बुद्धि को
जड़वत् कर देती
कभी प्राणों में
नव चेतना जगा
जीवन्तता भरती
कभी मन को
आह्लाद से भरती
कभी हृदय
अश्रुपूरित कर
आँखें नम करती
- बी-801, आशियाना अपार्टमेंट, मयूर विहार फेस-1, दिल्ली-110091 / मोबाइल : 09818903018 व 09968060155
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