अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 07- 08 : मार्च- अप्रैल 2014
।। जनक छंद ।।
सामग्री : इस अंक में डॉ. ब्रह्मजीत गौतम एवं श्री प्रदीप पराग के जनक छंद।
डॉ. ब्रह्मजीत गौतम
दो जनक छन्द
01.
सब को एक न आँकिये
दोष कहाँ होता नहीं
ख़ुद में भी तो झाँकिये
02.
धुप्प अँधेरा क्यों न हो
जुगनू जैसी चमक भी
राह दिखा देती अहो
प्रदीप पराग
दो जनक छन्द
01.
कुदरत ने जब मार की
पल भर में सुनसान थी
घाटी यह केदार की।
02.
आवाजें चुप हो गयीं
चीखें सारी डूबकर
मलबे में ही सो गयीं।
- 1785, सेक्टर-16, फरीदाबाद-121002 (हरियाणा)/09891059213
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