उमेश मोहन धवन
आयु : लगभग 51 वर्ष।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : धवन जी मूलतः लघुकथा लेखक हैं। करीब दस वर्ष पूर्व तक उनकी काफी सारी लघुकथायें महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। परन्तु कुछ कारणोंवश लगभग दस वर्षों तक साहित्य-पटल से अनुपस्थित रहे। पिछले दिनों पुनः अविराम सहित कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के प्रकाशन के साथ ही लेखन में वापसी की। नेट पर भी लघुकथा डाट काम सहित कुछेक साइट्स पर कहानी/हाइकू प्रकाशित।
सम्प्रति : एक राष्ट्रीयकृत बैंक में प्रबन्धक पद पर कार्यरत।
सम्पर्क : 13/34, परमट, कानपुर-204001 (उ0 प्र0)
फोन : 09839099287
ई मेल : umdhawan@unionbankofindia.com
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे।
आयु : लगभग 51 वर्ष।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : धवन जी मूलतः लघुकथा लेखक हैं। करीब दस वर्ष पूर्व तक उनकी काफी सारी लघुकथायें महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। परन्तु कुछ कारणोंवश लगभग दस वर्षों तक साहित्य-पटल से अनुपस्थित रहे। पिछले दिनों पुनः अविराम सहित कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के प्रकाशन के साथ ही लेखन में वापसी की। नेट पर भी लघुकथा डाट काम सहित कुछेक साइट्स पर कहानी/हाइकू प्रकाशित।
सम्प्रति : एक राष्ट्रीयकृत बैंक में प्रबन्धक पद पर कार्यरत।
सम्पर्क : 13/34, परमट, कानपुर-204001 (उ0 प्र0)
फोन : 09839099287
ई मेल : umdhawan@unionbankofindia.com
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
मुद्रित प्रारूप : जून २०१० अंक में दो लघुकथाएं- पांच मिनट, अमृत कलश
मार्च २०११ अंक में दो लघुकथाएं- भात का कर्ज, रामदीन की रजाई
मार्च २०११ अंक में दो लघुकथाएं- भात का कर्ज, रामदीन की रजाई
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : सितम्बर २०११ अंक में एक लघुकथा- जाकी रही.......
अक्टूबर २०११ अंक में एक लघुकथा- अंतत:
अक्टूबर २०११ अंक में एक लघुकथा- अंतत:
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
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