अशोक भाटिया
जन्म : 5 जनवरी 1955 को अम्बाला छावनी (हरियाणा) में।
शिक्षा : हिन्दी में पी-एच. डी.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : यद्यपि कविता एवं शोध-समालोचना में भी भाटिया जी का असरदार दखल रहा है, पर वह मूलतः लघुकथाकार के रूप में पहचाने जाते हैं। वह लघुकथा के विकासकाल के उन प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं, जिनका योगदान अलग से पहचाना जा सकता है। उनकी 16 में से 7 पुस्तकें लघुकथा पर हैं। इनमें ‘श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएं’, ‘पैंसठ हिन्दी लघुकथाएं’, ‘निर्वाचित लघुकथाएं’, ‘विश्व साहित्य से लघुकथाएं’ एवं ‘नींव के नायक’ महत्वपूर्ण सम्पादित पुस्तकें हैं। ‘जंगल में आदमी’ एवं ‘अंधेरे में आँख’ उनके निजी लघुकथा-संग्रह हैं। उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकों में ‘समकालीन हिन्दी समीक्षा’, ‘समकालीन हिन्दी कहानी का इतिहास’, एवं ‘सूखे में यात्रा’ (कविता संग्रह) महत्वपूर्ण हैं। महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से भाटिया जी की रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। लघुकथा पर भाटिया जी के एक दर्जन से अधिक समालोचनात्मक एवं खोजपरक लेख चर्चा में रहे हैं। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण साहित्यकारों के साक्षात्कारों के माध्यम से भी लघुकथा से जुड़े प्रश्नों का समाधान खोजने का प्रयास किया है। उनको लघुकथा में योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण सम्मानों से भी नवाजा गया है।
सम्प्रति : राजकीय महाविद्यालय में प्राध्यापक।
सम्मान : डॉ. नागेन्द्र प्रसाद सिंह लघुकथा आलोचना शिखर सम्मान आदि सम्मान
सम्पर्क : 1882, सैक्टर-13, करनाल-132001 (हरियाणा)
फोन : 0184-२२१०२०२ / ०९४१६१५२१००
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे।
जन्म : 5 जनवरी 1955 को अम्बाला छावनी (हरियाणा) में।
शिक्षा : हिन्दी में पी-एच. डी.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : यद्यपि कविता एवं शोध-समालोचना में भी भाटिया जी का असरदार दखल रहा है, पर वह मूलतः लघुकथाकार के रूप में पहचाने जाते हैं। वह लघुकथा के विकासकाल के उन प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं, जिनका योगदान अलग से पहचाना जा सकता है। उनकी 16 में से 7 पुस्तकें लघुकथा पर हैं। इनमें ‘श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएं’, ‘पैंसठ हिन्दी लघुकथाएं’, ‘निर्वाचित लघुकथाएं’, ‘विश्व साहित्य से लघुकथाएं’ एवं ‘नींव के नायक’ महत्वपूर्ण सम्पादित पुस्तकें हैं। ‘जंगल में आदमी’ एवं ‘अंधेरे में आँख’ उनके निजी लघुकथा-संग्रह हैं। उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकों में ‘समकालीन हिन्दी समीक्षा’, ‘समकालीन हिन्दी कहानी का इतिहास’, एवं ‘सूखे में यात्रा’ (कविता संग्रह) महत्वपूर्ण हैं। महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से भाटिया जी की रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। लघुकथा पर भाटिया जी के एक दर्जन से अधिक समालोचनात्मक एवं खोजपरक लेख चर्चा में रहे हैं। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण साहित्यकारों के साक्षात्कारों के माध्यम से भी लघुकथा से जुड़े प्रश्नों का समाधान खोजने का प्रयास किया है। उनको लघुकथा में योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण सम्मानों से भी नवाजा गया है।
सम्प्रति : राजकीय महाविद्यालय में प्राध्यापक।
सम्मान : डॉ. नागेन्द्र प्रसाद सिंह लघुकथा आलोचना शिखर सम्मान आदि सम्मान
सम्पर्क : 1882, सैक्टर-13, करनाल-132001 (हरियाणा)
फोन : 0184-२२१०२०२ / ०९४१६१५२१००
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
मुद्रित प्रारूप : सितम्बर-दिसंबर २०१० अंक में छ: लघुकथाएं- परमपिता, लकीरें, भूख, बाबे नानक दा घर, प्रतिक्रिया, बेपर्दा
जून २०११ अंक में एक क्षणिका
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अभी कोई नहीं
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
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