नारायण सिंह निर्दोष
जन्म : 15 फरवरी 1958, कुकथला (आगरा)।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : मूलतः कवि। कविता, गीत एवं ग़ज़ल के साथ-साथ चित्रकारी में भी कुछ येगदान किया। निर्दोष जी पिछली सदी के आठवें-नौवें दशक में उभरे कविता के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक। तब नई कविता में प्रयोगधर्मिता और आगरा शहर में अपनी विशिष्ट सक्रियता के लिए चर्चित रहे, जिसके चलते कई नये व युवा रचनाकारों को न सिर्फ प्लेटफार्म मिला अपितु उनका मार्गदर्शन भी हुआ। आगरा में उसी दौरान शारदा साहित्य एवं ललित कला मंच की स्थापना की, जिसके तत्वावधान में अनेकों कार्यक्रम आयोजित हुए। चर्चित ‘तरुणिका’ एवं ‘धूप एक बरामदे की’ कविता संकलनों के सम्पादन-प्रकाशन के माध्यम से कई उभरते हुए रचनाकारों की प्रतिभा को उजागर किया। एक लम्बी अनुपस्थिति के बाद साहित्य-पटल पर पुनः दृष्टिगोचर। अपना स्वतन्त्र ब्लाग: काव्य कलश (http://kaavyakalash.blogspot.com)।
सम्प्रति : दिल्ली जल बोर्ड में सहायक अभियन्ता।
सम्पर्क : सी-21, लैह (LEIAH) अपार्टमेन्ट्स, वसुन्धरा एन्क्लेव, दिल्ली-110096
फोन : 011-43050992 / 09810131230
ई मेल : nsnirdosh@gmail.com
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे।
जन्म : 15 फरवरी 1958, कुकथला (आगरा)।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : मूलतः कवि। कविता, गीत एवं ग़ज़ल के साथ-साथ चित्रकारी में भी कुछ येगदान किया। निर्दोष जी पिछली सदी के आठवें-नौवें दशक में उभरे कविता के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक। तब नई कविता में प्रयोगधर्मिता और आगरा शहर में अपनी विशिष्ट सक्रियता के लिए चर्चित रहे, जिसके चलते कई नये व युवा रचनाकारों को न सिर्फ प्लेटफार्म मिला अपितु उनका मार्गदर्शन भी हुआ। आगरा में उसी दौरान शारदा साहित्य एवं ललित कला मंच की स्थापना की, जिसके तत्वावधान में अनेकों कार्यक्रम आयोजित हुए। चर्चित ‘तरुणिका’ एवं ‘धूप एक बरामदे की’ कविता संकलनों के सम्पादन-प्रकाशन के माध्यम से कई उभरते हुए रचनाकारों की प्रतिभा को उजागर किया। एक लम्बी अनुपस्थिति के बाद साहित्य-पटल पर पुनः दृष्टिगोचर। अपना स्वतन्त्र ब्लाग: काव्य कलश (http://kaavyakalash.blogspot.com)।
सम्प्रति : दिल्ली जल बोर्ड में सहायक अभियन्ता।
सम्पर्क : सी-21, लैह (LEIAH) अपार्टमेन्ट्स, वसुन्धरा एन्क्लेव, दिल्ली-110096
फोन : 011-43050992 / 09810131230
ई मेल : nsnirdosh@gmail.com
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
मुद्रित प्रारूप : मार्च २०१० अंक में दो क्षणिकाएं
जून २०१० अंक में चार कवितायेँ- तुम आती हो, अर्ध्य, कटु-भ्रम, मैं बेशरम का पेड़ हूँ
मार्च २०११ अंक में दो कवितायेँ- विरोध, कश्मीर
जून २०११ अंक में तीन क्षणिकाएं
जून २०१० अंक में चार कवितायेँ- तुम आती हो, अर्ध्य, कटु-भ्रम, मैं बेशरम का पेड़ हूँ
मार्च २०११ अंक में दो कवितायेँ- विरोध, कश्मीर
जून २०११ अंक में तीन क्षणिकाएं
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अभी कोई नहीं
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
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