डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
जन्म : 26 सितम्बर 1932।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा एक लेखक एवं कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं वहीं एक सफल चित्रकार के रूप में भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। लेखक के रूप में एक ओर उन्होंने व्यंग्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठा अर्जित की है, वहीं साहित्य, कला और संस्कृति के साथ दर्शनशास्त्र व मनोविज्ञान पर भी महत्वपूर्ण लेखन किया है। वह दर्शनशास्त्र के आचार्य माने जाते हैं। कविता के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। एक हाइकुकार के साथ उन्होंने ‘तिपाइयों’ की शक्ल में हास्य-व्यंग्य की कविताओं को एक नया रूप दिया है। उनकी ये तिपाइयाँ ‘राग खटराग’ में संग्रहीत हैं। उन्होंने गीता, माण्डूक्य और ईशावास्य उपनिषदों का तथा आचरांग की कुछ गाथाओं का हिन्दी में काव्यानुवाद भी किया है, जो ‘अमृतकण’ पुस्तक में संग्रहीत है। डॉ. वर्मा जी म.प्र. के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्य, इंदौर विश्वविद्यालय के कला संकाय के अध्यक्ष, पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी में अहिंसा, शांतिशोध और मूल्य शिक्षा विभाग के आचार्य और अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केन्द्र की सलाहकार समिति के सदस्य हैं। आपकी लगभग दो दर्जन पुस्तके प्रकाशित हुई हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लोटा और लिफाफा, कुरसियाँ हिल रही हैं, हंसो लेकिन अपने पर, अपने-अपने अधबीच, रामभरोसे (व्यंग्य एवं रोचक निबन्धों के संग्रह)ः साहित्य समाज और रचना, कला विमर्श और चित्रांकन, संस्कृति का अपहरण, भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रतीक (साहित्य, कला एवं संस्कृति पर); मनोविज्ञान की झलकियाँ, भारतीय जीवन मूल्य, पाश्चात्य दर्शन की समकालीन प्रवृत्तियाँ, मैटाफिसिकल फाउन्डेशन ऑव महात्मा गांधीज़ थॉट(शोध ग्रंथ), गांघी विचारधारा- प्रासंगिकता और भविष्य, भारतीय दर्शन- संप्रदाय और समस्याएँ, नीतिशास्त्र की समकालीन प्रवृत्तियाँ (दर्शनशास्त्र तथा मनोविज्ञान पर) अमृत कण (उपनिषदादि का काव्यानुवाद), कविता के पार कविता, अस्वीकृत सूर्य, उसके लिए (कविता संग्रह), धूप कुन्दन (हाइकु संग्रह) एवं राग खटराग (हास्य व्यंग्य तिपाइयाँ) आदि। देश की अधिकांश प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं एवं रेखांकनो का नियमित प्रकाशन होता है।
सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा ‘हंसो लेकिन अपने पर’ पुस्तक पर शरद जोशी ‘सर्जना’ पुरस्कार तथा ‘साहित्य समाज और रचना’ पर महावीर प्रसाद द्विवेदी नामित पुरस्कार।
सम्प्रति : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केन्द्र की सलाहकार समिति के सदस्य एवं समर्पित लेखन।
सम्पर्क : 10, एच.आई.जी., 1-सर्कुलर रोड, इलाहाबाद (उ.प्र.)
फोन : 0532-2624438 / 09621222778
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
जन्म : 26 सितम्बर 1932।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी.।
लेखन/प्रकाशन/योगदान : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा एक लेखक एवं कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं वहीं एक सफल चित्रकार के रूप में भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। लेखक के रूप में एक ओर उन्होंने व्यंग्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठा अर्जित की है, वहीं साहित्य, कला और संस्कृति के साथ दर्शनशास्त्र व मनोविज्ञान पर भी महत्वपूर्ण लेखन किया है। वह दर्शनशास्त्र के आचार्य माने जाते हैं। कविता के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। एक हाइकुकार के साथ उन्होंने ‘तिपाइयों’ की शक्ल में हास्य-व्यंग्य की कविताओं को एक नया रूप दिया है। उनकी ये तिपाइयाँ ‘राग खटराग’ में संग्रहीत हैं। उन्होंने गीता, माण्डूक्य और ईशावास्य उपनिषदों का तथा आचरांग की कुछ गाथाओं का हिन्दी में काव्यानुवाद भी किया है, जो ‘अमृतकण’ पुस्तक में संग्रहीत है। डॉ. वर्मा जी म.प्र. के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्य, इंदौर विश्वविद्यालय के कला संकाय के अध्यक्ष, पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी में अहिंसा, शांतिशोध और मूल्य शिक्षा विभाग के आचार्य और अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केन्द्र की सलाहकार समिति के सदस्य हैं। आपकी लगभग दो दर्जन पुस्तके प्रकाशित हुई हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लोटा और लिफाफा, कुरसियाँ हिल रही हैं, हंसो लेकिन अपने पर, अपने-अपने अधबीच, रामभरोसे (व्यंग्य एवं रोचक निबन्धों के संग्रह)ः साहित्य समाज और रचना, कला विमर्श और चित्रांकन, संस्कृति का अपहरण, भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रतीक (साहित्य, कला एवं संस्कृति पर); मनोविज्ञान की झलकियाँ, भारतीय जीवन मूल्य, पाश्चात्य दर्शन की समकालीन प्रवृत्तियाँ, मैटाफिसिकल फाउन्डेशन ऑव महात्मा गांधीज़ थॉट(शोध ग्रंथ), गांघी विचारधारा- प्रासंगिकता और भविष्य, भारतीय दर्शन- संप्रदाय और समस्याएँ, नीतिशास्त्र की समकालीन प्रवृत्तियाँ (दर्शनशास्त्र तथा मनोविज्ञान पर) अमृत कण (उपनिषदादि का काव्यानुवाद), कविता के पार कविता, अस्वीकृत सूर्य, उसके लिए (कविता संग्रह), धूप कुन्दन (हाइकु संग्रह) एवं राग खटराग (हास्य व्यंग्य तिपाइयाँ) आदि। देश की अधिकांश प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं एवं रेखांकनो का नियमित प्रकाशन होता है।
सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा ‘हंसो लेकिन अपने पर’ पुस्तक पर शरद जोशी ‘सर्जना’ पुरस्कार तथा ‘साहित्य समाज और रचना’ पर महावीर प्रसाद द्विवेदी नामित पुरस्कार।
सम्प्रति : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केन्द्र की सलाहकार समिति के सदस्य एवं समर्पित लेखन।
सम्पर्क : 10, एच.आई.जी., 1-सर्कुलर रोड, इलाहाबाद (उ.प्र.)
फोन : 0532-2624438 / 09621222778
अविराम में आपकी रचनाओं का प्रकाशन
रेखांकनों का प्रकाशन : जून 2011 अंक एवं उसके बाद के मुद्रित एवं ब्लाग दोनों ही प्रारूपों के लगभग सभी अंकों में डॉ. वर्मा साहब के रेखांकन प्रकाशित हुए हैं।
रचनाओं को प्रकाशन :
मुद्रित प्रारूप : जून 2011 अंक में पांच हाइकु
दिसम्बर 2011 अंक में व्यंग्यालेख ‘भीतर और बाहर का फर्क’
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अक्टूबर 2011 अंक में व्यंग्यालेख ‘उंगलियों के पंचशील’
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
२. उपरोक्त परिचय हमें भेजे गए अथवा हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है. किसी भी त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. त्रुटि के बारे में रचनाकार द्वारा हमें सूचित करने पर संशोधन कर दिया जायेगा। यदि रचनाकार अपने परिचय में कुछ अन्य सूचना शामिल करना चाहते हैं, तो इसी पोस्ट के साथ के टिपण्णी कॉलम में दर्ज कर सकते हैं। यदि किसी रचनाकार को अपने परिचय के इस प्रकाशन पर आपत्ति हो, तो हमें सूचित कर दें, हम आपका परिचय हटा देंगे।
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