अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०७, मार्च २०१२
सामग्री : रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु' व डॉ हरदीप कौर सन्धु के तांका
।।हाइकु।।
सामग्री : रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु' व डॉ हरदीप कौर सन्धु के तांका
(हाल ही में श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ एवं डॉ. हरदीप कौर सन्धू जी का संयुक्त ताँका संग्रह ‘मिले किनारे’ प्रकाशित हुआ है। इसी संग्रह से प्रस्तुत हैं दोनों वरिष्ठ रचनाकारों के पांच-पांच ताँका।)
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
पाँच ताँका
1.
बच्चे-सा मन
छप-छप करता
भिगो देता है
बिखराकर छींटे
बीती हुई यादों के।
2.
हो गई भोर
सूरज पुजारी-सा
आया नहाने
झील है पुलकित
मिलन के बहाने
3.
जिसे था सोचा-
छोटी-सी किरन है,
वो थी चाँदनी
बराबर न मेरे
थी बड़ी हाथ भर।
4.
फिर भी निकट
तेरी खुश्बू
भरी हुई जिसमें,
वही सुधा-घट हूँ
5.
झूले की पेंगे
अम्बर को छू लेती
खुशबू-भरा
जीवन-रस-भरा
लहराता आँचल।
- फ्लैट नं. 76 (दिल्ली सरकार), रोहिणी सेक्टर-11, नई दिल्ली-5
डॉ. हरदीप कौर सन्धू
पाँच ताँका
1.
आँसू में होतीं
सागर से गहरी
संवेदनाएँ
पावनता इनकी
डूबकर ही जानूँ
2.
माँ करे याद
बैठी अकेली आज
सपना चूर
बुढ़ापे का सहारा
बेटा जो गया दूर।
3.
गाँव जाकर
मुझको नहीं मिला
गाँव वो मेरा
कई वर्ष पहले
था मैंने जिसे छोड़ा!
4.
न करो बँटवारा
आँगन छोटा
न दीवार बनाओ
बोलो वो कहाँ खेलें!
5.
चंचल चाँद
खेले बादलों संग
आँख-मिचौली
मन्द-मन्द मुस्काए
बार-बार छुप जाए।
- सिडनी, आस्ट्रेलिया ई मेल : hindihaiku@gmail.com
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