अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०७, मार्च २०१२
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : डॉ. मिथिलेश दीक्षित, डॉ. सुरेन्द्र वर्मा व ज्योत्सना शर्मा की क्षणिकाएं।
डॉ. मिथिलेश दीक्षित
(वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी का क्षणिका में उल्लेखनीय योगदान है। उनके छः क्षणिका संग्रह अब तक प्रकाशित हो चुके हैं, इन्हीं में से गत वर्ष प्रकाशित एक संग्रह ‘सिन्धु सीपी में’ हमें हाल ही में पढ़ने का अवसर मिला। उनके इसी क्षणिका संग्रह से प्रस्तुत हैं पांच क्षणिकाएं।)
पांच क्षणिकाएं
1.
प्रेम-करुणा की
बहाता धार,
ममता से भरा
यह हृदय उच्च, उदार
फिर क्यों
मान जाता हार!
2.
उस समन्दर में
अगर हम
झाँक पायेंगे,
तो निश्चित ही
किसी से कम
न खुद को
आँक पायेंगे!
3.
बोलबाला
कागों का
हो गया
सफ़ाया आज
हरे-भरे बागों का।
4.
जीवन सजाती ,
घर से संसद तक
चलाती,
फिर भी ‘अबला’
आज के उत्कर्ष में भी,
क्यों भला!
5.
शब्द में
तुम बोलते थे,
आज तुम
नयनों से बोले,
होश में
क्या आ गये हम,
ज़िन्दगी ने
राज़ खोले!
- जी-91,सी, संजयपुरम्, लखनऊ-226016 (उ.प्र.)
डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेन्द्र वर्मा साहब का काव्य संग्रह ‘उसके लिए’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह की अधिसंख्यक रचनाएं ‘क्षणिका’ की कसौटी पर खरी उतरती हैं। प्रस्तुत हैं उनके इस संग्रह से पांच क्षणिकाएं।)
पांच क्षणिकाएं
1. नक्षत्र सी
जब सोयी रहती है चेतना
उस निविड़ अंधकार में
तुम्हारी स्मृति की
एक बूंद
प्रकाश कण बनती है
नीले आकाश में
नक्षत्र सी
2. और भी अकेला
वह आती है
मेरे एकांत में चुपके से
सिरहाने बैठती है
कर जाती है मुझे
और भी अकेला
किसी अप्सरा ने जैसे
अपने नर्म और रक्ताभ
होंठ खोले हों
कली क्या चटकी
कि फूल की पाँखुरी
थोड़ी झिझकी
और खिल उठी
4. स्मृतियाँ मनचाही
एक बर्र
मेरी बाँह में डंक मारती
उड़ जाती है
चाहा तो बहुत था
भुला दूँ
लेकिन स्मृतियाँ अनचाही
मँडराती हैं आस-पास
5. तुम्हें संजोता रहा
पत्तियाँ हिलती रही पेड़ों पर
हिलोरें भटकती रहीं नदी में
कभी जुगुनुओं के प्रकाश कणों में
कभी स्वर की तरंगों में
मैं तुम्हें संजोता रहा
- 10, एच.आई.जी.; 1-सर्कुलर रोड, इलाहाबाद (उ.प्र.)
ज्योत्सना शर्मा
तीन क्षणिकायें
1-मुक्ति
मिलन
या विरक्ति
तुमसे विलग
तुमसे मिलूं
पा जाऊं मुक्ति .....।
2-मुस्कान
धूप
जगमगा कर खिले
जब वो
आकर मिले
3- कविता
बूंद से बूंद
सरिता हुई
आखर से आखर
राग से राग आ मिला
और
कविता हुई .............।
- मकान-604, प्रमुख हिल्स, छरवाड़ा रोड, वापी, जिला : वलसाड़ (गुजरात)
डॉ मिथिलेश दीक्षित , डॉ सुरेन्द्र शर्मा और ज्योत्स्ना शर्मा जी की क्षणिकाएँ बहुत प्रभावित करती हैं ।
जवाब देंहटाएंअविराम का नया अंक पढ़ी. सभी सामग्री बहुत ही प्रभावशाली और स्मरणीय. अविराम की टीम को बधाई और शुभकामनाएँ.
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