अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 5, जनवरी 2013
।।जनक छन्द।।
सामग्री : डॉ. ओम्प्रकाश भाटिया 'अरज' के पाँच जनक छंद।
डा. ओम्प्रकाश भाटिया ‘अराज’
पाँच जनक छन्द
1.
भर चुनाव चख चख हुई।
इस चुनाव के चौक में
बात-बात अदरख हुई।।
2.
सपने हमको दे गया।
नेता गिटपिट बोल कर
लूट सभी कुछ ले गया।।
3.
यहाँ न जीवित आग है।
चूल्हा ठंडा देखकर
लौट चला चुप काग है।।
4.
मन हिंसा में लीन है।
जाल फँसाता मीन है
बगुला भूखा दीन है।।
5.
रितु हो गई जवान है।
बिना बैन के बोलता
नैनों में आह्वान है।
।।जनक छन्द।।
सामग्री : डॉ. ओम्प्रकाश भाटिया 'अरज' के पाँच जनक छंद।
डा. ओम्प्रकाश भाटिया ‘अराज’
पाँच जनक छन्द
1.
भर चुनाव चख चख हुई।
इस चुनाव के चौक में
बात-बात अदरख हुई।।
2.
सपने हमको दे गया।
नेता गिटपिट बोल कर
लूट सभी कुछ ले गया।।
3.
रेखाचित्र : सिद्धेश्वर |
चूल्हा ठंडा देखकर
लौट चला चुप काग है।।
4.
मन हिंसा में लीन है।
जाल फँसाता मीन है
बगुला भूखा दीन है।।
5.
रितु हो गई जवान है।
बिना बैन के बोलता
नैनों में आह्वान है।
- बी-2-बी-34, जनकपुरी, नई दिल्ली-110058
पता नहीँ जनक छंद मुझे हि अच्छे नहीँ लगते या इतमेँ दम होता हि नहीँ।
जवाब देंहटाएंmy blog link.
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0