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मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

गतिविधियाँ

अविराम ब्लॉग संकलन :  वर्ष :  03,   अंक : 03-04,  नवम्बर-दिसम्बर  2013 


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डॉ.‘अरुण’ जी की पुस्तक का महामहिम राज्यपाल ने विमोचन किया


राष्ट्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली  के पूर्व सदस्य एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ द्वारा लिखित उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के उपन्यासों पर केन्द्रित समीक्षा पुस्तक ‘कथाकार डॉ. निशंक और जीवन-मूल्य’ का विमोचन उत्तराखंड के देहरादून स्थित राज भवन में महामहिम राज्यपाल डॉ. अज़ीज़ कुरैशी द्वारा किया गया! इस समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साथ विधायक गणेश जोशी भी मौजूद रहे!
     सोमवार की दोपहर में राज भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में डॉ. ‘अरुण’ द्वारा लिखी गई पुस्तक का विमोचन करते हुए राज्यपाल डॉ. अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि साहित्य वही कालजई हो सकता है, जिस में मानवीय संवेदनाओं को उकेरा गया हो! राजनीति के रंग में रंगा हुआ साहित्य कभी कालजयी नहीं हो सकता! साहित्यकार अपने जीवन को अपनी कृतियों में ढाल कर समाज के सामने रखता है और समाज उस से प्रेरणा लेता है! मैं कथाकार डॉ. ‘निशंक’ और समीक्षक डॉ. ‘अरुण’ को हृदय से बधाइयां देता हूँ कि उनके उपन्यासों को केंद्र में रखा कर यह पुस्तक लिखी गई है!
     पूर्व मुख्यमंत्री और कथाकार डॉ. ‘निशंक’ ने महामहिम को हृदय से आभार देते हुए कहा कि उनके लेखन में पर्वतीय-जीवन को साकार करने का प्रयास निरंतर हुआ है! आज भी मैं कोशिश करता हूँ कि पर्वतों की पीड़ा को वाणी दे सकूं! पुस्तक के लेखक डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने इस अवसर पर राज्यपाल महोदय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. ‘निशंक’ के कथाकार रूप में जो संवेदनाएं व्यक्त हुई हैं, उन्हें वे अपने ‘राजनेता’ रूप में भी जीते हैं!  डॉ. ‘निशंक’ के इन उपन्यासों में जीवन-मूल्यों को अत्यंत मुखरता से व्यक्त किया गया है!
     इस समारोह में जनकवि अतुल शर्मा, डॉ. नागेन्द्र ध्यानी और डॉ. पुष्पा खंडूरी ने भी डॉ. ‘निशंक’ के रचना-कर्म और साहित्यिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला! इस पुस्तक विमोचन समारोह में पद्मश्री कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’ के सुपुत्र अखिलेश प्रभाकर, पत्रकार हर्ष प्रभाकर, यश प्रभाकर, मनीष कच्छल, डॉ. श्री गोपाल नारसन, शिव चरण पुंडीर, श्रीमती उर्मिला, डॉ. आशा शर्मा और अन्य बुद्धिजीवियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया!




अंतर्राष्ट्रीय स्तर का साहित्यिक संस्थान बनेगी महादेवी सृजन पीठ

     
महादेवी वर्मा सृजन पीठ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक संस्थान के रूप में विकसित किया जायेगा। यहाँ लेखकों के ठहरने तथा साहित्य सृजन के लिए पर्याप्त सुविधाएँ शीघ्र जुटा ली जायेंगी। यह बात उत्तराखण्ड के राज्यपाल डॉ. अज़ीज़ कुरैशी ने 17 नवम्बर, 2013 को कुमाऊँ विश्वविद्यालय के अंतर्गत रामगढ़ में स्थापित महादेवी वर्मा सृजन पीठ के आवासीय भवन का शिलान्यास तथा इस अवसर पर आयोजित मुशायरा एवं कवि गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महादेवी वर्मा सृजन पीठ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का साहित्यिक संस्थान बनाने का प्रस्ताव स्वयं उन्होंने केन्द्र सरकार को स्वीकृति हेतु भेजा है, जिसमें साहित्यकारों के ठहरने के लिए राइटर्स होम, साहित्यिक आयोजन के लिए ऑडिटोरियम तथा पीठ के कार्यक्रमों के प्रतिभागियों के लिए हॉस्टल के निर्माण का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि सृजन पीठ की जो आधारभूत समस्याएँ है, उनके शीघ्र निराकरण के लिए भी वह उत्तराखण्ड शासन को दिशा-निर्देशित करेंगे। 
      राज्यपाल डॉ. कुरैशी ने कहा कि शहरों, बंगलों या कोठियों में लिखे गये साहित्य की तुलना में पहाड़ में रचा गया साहित्य अधिक शक्तिशाली होता है। यही कारण है कि देश के दूसरे हिस्सों से लेखक साहित्य सृजन के लिए पहाड़ों में आते रहे हैं और यहाँ रहकर उन्होंने कालजयी साहित्य का सृजन किया। उन्होंने कहा कि भाषा एक बड़ी ताकत है, उसे दायरे में कैद कर नहीं रखा जा सकता। वह अपना विस्ताद खुद करती है। यही कारण है कि भाषा दुनिया की क्रांतियों में कभी भी बाधा नहीं बनी। साहित्य सृजन के केन्द्र के साथ महादेवी वर्मा सृजन पीठ का हिंदी तथा स्थानीय लोक-भाषाओं एवं बोलियों के संवर्द्धन व संरक्षण की दृष्टि से बेहतर उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि अविभाजित यूपी., उसके बाद उत्तराखण्ड की सरकारों ने पीठ में सुविधाओं के विकास पर ध्यान नहीं दिया। कुमाऊँ विश्वविद्यालय की पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि महादेवी वर्मा सृजन पीठ को साहित्यकारों और सृजनधर्मियों के लिए शीघ्र ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक संस्थान के रुप में विकसित किया जायेगा। सड़क से 200 मीटर दूर होने के कारण राज्यपाल डांडी में बैठकर सृजन पीठ पहुँचे। डॉ. अज़ीज़ कुरैशी महादेवी वर्मा सृजन पीठ पहुँचने वाले उत्तराखण्ड के पहले राज्यपाल हैं। 
     समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुमाऊँ विश्वविद्य़ालय के कुलपति प्रो. एच.एस. धामी ने कहा कि पीठ का बेहतर रखरखाव तथा इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जायेगा। यहाँ रखी महादेवी जी के दैनिक उपयोग की वस्तुओं को धरोहर के रूप में संजोया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह स्थान साहित्यिक तीर्थ से कम नहीं है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय इस महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्थान को सृजनात्मक केन्द्र के साथ ही पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र के रूप में भी विकसित करेगा जिससे अधिक से अधिक लोग यहाँ आकर उस परिवेश से परिचित हो सकें जिसमें रहकर महादेवी जी तथा अन्य प्रमुख साहित्यकारों ने कालजयी रचनाओं की रचना की। 
       महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो. देव सिंह पोखरिया ने पीठ के कार्यकलापों तथा भावी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महादेवी सृजन पीठ भारत के किसी भी विश्वविद्यालय में स्थापित पहला ऐसा केन्द्र है जिसमें सृजन, शोध एवं विचार केन्द्रित मुद्दों को लेकर व्यापक विमर्श होता है। यह पीठ देशभर में फैले हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य एवं साहित्यकारों को महत्वपूर्ण विमर्श के तहत एकत्र कर उनके बीच संवाद स्थापित करने का कार्य कर रही है। पीठ में शीघ्र ही आधारभूत सुविधाएँ जुटा ली जाएंगी जिससे उत्तराखण्ड सहित देशभर की रचनाशील सांस्कृतिक प्रतिभाओं के मंच के साथ ही देश-विदेश के साहित्य-प्रेमी एवं सृजनधर्मी विद्वान यहाँ आकर अध्ययन, लेखन एवं शोध कार्य कर सकें। 
     
इससे पूर्व दीप प्रज्वलन और महादेवी वर्मा के चित्र पर माल्यार्पण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कुलपति प्रो. धामी ने राज्यपाल डॉ. अज़ीज़ कुरैशी का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। इस अवसर पर आयोजित मुशायरा एवं कवि गोष्ठी में तफज्जुल खान, मनी नमन, जहूर आलम और डॉ. महेन्द्र महरा ‘मधु’ ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन हेमंत बिष्ट ने किया। धन्यवाद पीठ के शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत ने व्यक्त किया। इस अवसर पर पूर्व सांसद डॉ. महेन्द्र सिंह पाल, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग की सदस्य डॉ. छाया शुक्ला, नैनीताल परिसर निदेशक प्रो. बी. आर. कौशल, अल्मोड़ा परिसर निदेशक प्रो. आर.एस. पथनी, अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो. सी.सी. पंत, अधिष्ठाता वाणिज्य संकाय प्रो. बी.डी. कविदयाल, अधिष्ठाता दृश्य कला संकाय प्रो. शेखर चंद्र जोशी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. डी.सी. पाण्डे, विभागाध्यक्ष प्रबंध-अध्ययन प्रो. पी.सी. कविदयाल, वित्त अधिकारी डी.एस. बोनाल, उप कुलसचिव दिनेश चन्द्र सहित प्रो. जगत सिंह बिष्ट, प्रो. ललित तिवारी, डॉ. वीना पाण्डे, डॉ. बी.सी. जोशी, डॉ. गीता खोलिया, डॉ. मन्नू ढौंडियाल, डॉ. ममता पंत, सुचेतन साह, विधान चौधरी, मोहन लाल साह, संजय पंत, उमा जोशी, देवेन्द्र सिंह ढैला, किशन सिंह महरा, कृष्ण चन्द्र जोशी, पृथ्वीराज सिंह, मोहित जोशी आदि उपस्थित थे। (समाचार सौजन्य: मोहन सिंह रावत, शोध अधिकारी)





हिमालयन इं. हॉ. ट्रस्ट यूनिवर्सिटी द्वारा डॉ. ‘अरुण’ का सम्मान 

     देव भूमि उत्तराखंड के जन-मन में बसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के दार्शनिक चिन्तक स्वामी राम द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टिट्यूट हास्पिटल ट्रस्ट यूनिवर्सिटी, जौलीग्रांट द्वारा प्रख्यात कवि एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ का एक समारोह में सम्मान किया गया! स्मरणीय है कि डॉ. ‘अरुण’ ने यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विजय धस्माना के अनुरोध पर विश्वविद्यालय का ‘कुल गीत’ रचा है! डॉ. ‘अरुण’ द्वारा रचे गए ‘कुल गीत’ को विश्वविद्यालय के ‘प्रथम’ दीक्षांत समारोह में तब गया गया था, जब विश्व प्रसिद्द डॉ. सैम पित्रोदा मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे! उस समय समारोह में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति डॉ. ‘अरुण’ द्वारा रचे गए इस ‘कुल गीत’ को सुन कर भाव-विभोर हो गया था!

     परम पूज्य स्वामी राम की पावन स्मृति में आयोजित भव्य समारोह में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी वेद भारती जी के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री विजय बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ एवं कुलपति डॉ. विजय धस्माना द्वारा डॉ. ‘अरुण’ को अंग-वस्त्र और प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया! डॉ धस्माना ने इस अवसर पर कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के लिए उसका ‘कुल गीत’ सबसे
महत्त्वपूर्ण और पवित्र होता है! डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने हमारे विश्वविद्यालय का ‘कुल गीत’ रच कर जहाँ हिमालय की पावन भूमि के प्रेरणा-स्रोत स्वामी राम के प्रति अपनी श्रद्धा को वाणी दी है, वहीँ वे हमेशा के लिए हमारे इस विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग बन गए हैं! मुख्यमंत्री श्री विजय बहुगुणा एवं पूर्व मुख्य मंत्री डॉ. ‘निशंक’ सहित समारोह में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने करतल ध्वनी से डॉ. ‘अरुण’ का अभिनन्दन किया! डॉ. ‘अरुण’ ने डॉ. विजय धस्माना के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए स्वामी राम को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए!




शायर जमीर दरवेश सम्मानित

       विगत दिनों मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ द्वारा सुप्रसिद्ध शायर श्री ज़मीर दरवेश को ‘देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2013’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम वरिष्ठ गीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी की अध्यक्षता में सम्पन्न इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राजीव सक्सेना तथा संयोजक थे श्री योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’। इस अवसर पर विभिन्न साहित्यकारों ने श्री दरवेश के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार रखे। डॉ. माहेश्वर तिवारी ने कहा- ‘‘ज़मीर दरवेश जी की ग़ज़लें फिक्र और अहसास के नये क्षितिज से उदय होती हैं। उनके शेर हालात पर तंज भी कसते हैं और मशविरे भी देते हैं।’’ मुख्य अतिथि श्री राजीव सक्सेना ने अपने विचार रखते हुए कहा- ‘‘ज़मीर दरवेश जी अपनी ग़ज़लों के माध्यम से चित्रकारी करते हैं, वह अपने शेरों में मुश्किल से मुश्किल विषय पर सहजता से अपनी बात कह जाते हैं। यही खासियत है कि उनकी ग़ज़लें श्रोताओं और पाठकों के दिल-दिमांग पर छा जाती हैं।’’ डॉ. ओम आचार्य ने कहा- ’’बेहद खूबसूरत ग़ज़लें कहने वाले ज़मीर साहब शेर कहते समय भाषा की सहजता का विशेष ध्यान रखते हैं, उनके शेरों में बनावटीपन या दिखावा कहीं नहीं मिलता।’’ डॉ. कृष्ण कुमा ‘नाज’ ने बताया कि ‘बहुत कम लोगों को पता है कि ज़मीर साहब शायर होने के साथ बाल कवि भी हैं। उन्होंने बच्चों के लिए अनेक कहानियाँ तो लिखी ही हैं, बहुत सारी बाल कविताएँ भी लिखी हैं।’’
     संयोजक श्री योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ ने कहा कि ‘‘दरवेश जी का समूचा रचनाकर्म साहित्य जगत में एक अलग पहचान तो रखता ही है, महत्वपूर्ण भी है। उनकी ग़ज़लों में मिठास का एक कारण उनकी कहन का निराला अंदाज भी है।’’ इस अवसा पर श्री ज़मीर दरवेश का एकल काव्य-पाठ भी हुआ। उन्होंने अपनी कई ग़ज़लों का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन श्री आनन्द कुमार ‘गौरव’ ने किया। कार्यक्रम में नगर के अनेक गणमान्य व्यक्ति और साहित्यकार उपस्थित रहे। (समाचार सौजन्य : योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’)





हरियाणा के महामहिम राज्यपाल ने किया ‘कथा समय’ का विमोचन



हरियाणा के राज्यपाल महामहिम श्री जगन्नाथ पहाडिय़ा ने राज्यपाल भवन में हरियाणा ग्रन्थ अकादमी की पत्रिका कथा समय के बाल दिवस विशेषांक का विमोचन किया। 
       इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. के.के. खंडेलवाल, मुख्य सचिव पी.के.चौधरी, सूचना व जनसंपर्क विभाग के महानिदेशक सुधीर राजपाल, डॉ. नरेश, ग्रन्थ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय, अकादमी निदेशक डॉ. मुक्ता आदि मौजूद थे। (समाचार सौजन्य : कमलेश भारतीय)




महिला-रचनाकारों के सकारात्मक लेखन से समाज में जाग्रति आई है :  डॉ. अरुण


     ‘यूथ हॉस्टल’ आगरा में नवगठित साहित्यिक संस्था ‘साहित्य साधिका समिति’ का शुभारम्भ संरक्षिका काव्य-कोकिला डॉ. शशि तिवारी की गणेश वंदना और संस्थापक श्रीमती रमा वर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ। यह कार्यक्रम केन्द्रीय साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य, हिंदी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, जो रुड़की से पधारे एवं कुमायूं विश्वविद्यालय की हिंदी आचार्य डॉ. नीरजा टण्डन के शुभाशीषों के साथ वरिष्ठ कवयित्री लखनऊ से पधारी डॉ. मिथिलेश दीक्षित की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। आप सबने समिति की रचनाकारों को सकारात्मक सोच से संपन्न मानवतावादी विचारधारा की रचनाओं का सृजन करने की प्रेरणा दी। समिति की संरक्षक और नगर की ख्यातिप्राप्त कथाकार, समीक्षक डॉ. उषा यादव ने कहा-‘हिंदी साहित्य में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है, आशा करती हूँ कि समिति के प्रयासों से आगरा की महिला रचनाकार अपना विशिष्ठ स्थान बनाएंगी।’ समिति की अध्यक्ष माला गुप्ता ने आमंत्रित विद्वानों का परिचय देते हुए उनका भावभीना स्वागत किया। सचिव श्रीमती यशोधरा यादव ‘यशो’ ने समिति की संस्थापना की आवश्यकता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए उसके उद्देश्यों से परिचित कराया। 
    मुख्य अतिथि डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने महिला-साहित्य साधिकाओं को बधाइयाँ देते हुए कहा- ‘आज महिलाओं की जाग्रति से पूरे समाज की सोच में सकारात्मक परिवर्तन आ रहे हैं, जो हमारे समाज को आगे ले जाने में सक्षम सिद्ध होंगे!’ डॉ नीरजा टंडन ने महिला- रचनाकारों की भूमिका को विस्तार से रेखांकित किया!
    नगर के गणमान्य विद्वानों में सोम ठाकुर, व्यास चतुर्वेदी, राजेंद्र मिलन, त्रिमोहन, तरल आदि ने भी समिति की सदस्याओं को शुभकामना देकर उनका उत्साहवर्धन किया। समिति की संरक्षक डॉ. मिथिलेश दीक्षित ने समिति के पदाधिकारियों को निष्ठापूर्वक साहित्य साधना करने की शपथ दिलायी, जिसमें अध्यक्ष - डॉ. माला गुप्ता, उपाशयक्ष - डॉ. प्रभा गुप्ता और श्रीमती मीना गुप्ता, सचिव - श्रीमती यशोधरा यादव, सहसचिव - कु.रीता शर्मा, कोषाध्यक्ष - श्रीमती मीरा परिहार, सहकोषाध्यक्ष - डॉ. गीता यादवेन्दु, पत्रिका संपादक - डॉ. चंदा सिंह, चित्र संयोजक - डॉ. रेखा कक्कड़ और पाँच साहित्य साधिकाएं - डॉ. रमा रश्मि, डॉ. मधु पाराशर, श्रीमती सुनीता कक्कड़, कु. फौजिया बानो एवं श्रीमती मिथिलेश कुमारी सम्मिलित हैं। डॉ. दीक्षित का अध्यक्षीय उद्बोधन प्रेरणापद रहा। अंत में समिति की तृतीय संस्थापक श्रीमती कमला सैनी ने आमंत्रित महानुभावों विदुषियों एवं मीडिया कर्मियों को धन्यवाद दिया। संचालन समिति की संस्थापक  एवं राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुषमा सिंह ने किया।  समारोह में श्रुति सिन्हा, शशि तनेजा, सुशील सरित, सत्या सक्सेना, शान्ति नागर, अलका चौधरी, मिथिलेश जैन, पुष्पा सिंह, डॉ.कुसुम चतुर्वेदी, श्वेता सारस्वत, अनिल शुक्ल, शैलेन्द्र वशिष्ठ, रमेश पंडित, कृपाशंकर शर्मा, कैप्टन व्यास, शेष पाल सिंह ‘शेष’,  बहादुर सिंह ‘राज‘, डॉ. अमी आधार निडर, शलभ भारती आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय है। कार्यक्रम का कुशल संचालन समिति की संस्थापिका एवं प्रसिद्द कथाकार डॉ. सुषमा सिंह ने किया।



प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा विद्यासागर सम्मानोपाधि से विभूषित

   
 विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं प्रसिद्ध समालोचक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा को उनकी सुदीर्घ सारस्वत साधना, साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में किए महत्वपूर्ण योगदान और हिन्दी के व्यापक प्रसार एवं संवर्धन के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, ईशीपुर, भागलपुर, बिहार द्वारा विद्यासागर सम्मानोपाधि से अलंकृत किया गया। उन्हें यह सम्मानोपाधि उज्जैन में गंगाघाट स्थित मौनतीर्थ में आयोजित विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के 18 वें अधिवेशन में कुलाधिपति संत श्री सुमनभाई ‘मानस भूषण’, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरुण’, रूड़की, प्रतिकुलपति डॉ. अमरसिंह वधान एवं कुलसचिव डॉ. देवेन्द्रनाथ साह के कर-कमलों से अर्पित की गई। इस सम्मान के अन्तर्गत उन्हें सम्मान-पत्र, स्मृति चिह्न, पदक एवं साहित्य अर्पित किए गए। सम्मान समारोह की विशिष्ट अतिथि नोटिंघम यू. के, की वरिष्ठ रचनाकर जय वर्मा, प्रो नवीनचन्द्र लोहनी, मेरठ, एवं डॉ नीलिमा सैकिया, असम थे। इस अधिवेशन में देश-विदेश के सैंकड़ों संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे। 
     प्रो. शर्मा आलोचना, लोकसंस्कृति, रंगकर्म, राजभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि से जुड़े शोध, लेखन एवं
नवाचार में विगत ढाई दशकों से निरंतर सक्रिय हैं। उनके द्वारा लिखित एवं सम्पादित पच्चीस से अधिक ग्रंथ एवं आठ सौ से अधिक आलेख एवं समीक्षाएँ प्रकाशित हुई हैं। उनके ग्रंथों में प्रमुख रूप से शामिल हैं- शब्द शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा, देवनागरी विमर्श, हिन्दी भाषा संरचना, अवंती क्षेत्र और सिंहस्थ महापर्व, मालवा का लोकनाट्य माच एवं अन्य विधाएँ, मालवी भाषा और साहित्य, मालवसुत पं. सूर्यनारायण व्यास, आचार्य नित्यानन्द शास्त्री और रामकथा कल्पलता, हरियाले आँचल का  हरकारा: हरीश निगम, मालव मनोहर आदि। प्रो. शर्मा को देश-विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्हें प्राप्त सम्मानों में थाईलैंड में विश्व हिन्दी सेवा सम्मान, संतोष तिवारी समीक्षा सम्मान, आलोचना भूषण सम्मान आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय सम्मान, अक्षरादित्य सम्मान, शब्द साहित्य सम्मान, राष्ट्रभाषा सेवा सम्मान, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, हिन्दी भाषा भूषण सम्मान आदि प्रमुख हैं। (समाचार सौजन्य :  डॉ. अनिल जूनवाल, संयोजक, राजभाषा संघर्ष समिति, उज्जैन)




हिमाचल में हुआ प्रथम लघुकथा सम्मेलन


हिमाचल साहित्यकार सहकार सभा द्वारा बिलासपुर में एक राज्य स्तरीय प्रथम लघुकथाकार सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ लघुकथाकार कमलेश भारतीय ने की। उन्होंने कहा कि हिमाचल में साहित्य की विधा लघुकथा को जीवंत रखने के जो प्रयास हो रहे हैं वह सराहनीय हैं। चंडीगढ़ से पधारे विशिष्ठ अतिथि रतन चंद ‘रत्नेश’ ने हिमाचल की लघुकथा पर विस्तृत शोधपरक लेख पढ़ा जिसमें हिमाचल की लघुकथाओं का विस्तार से वर्णन था। उन्होंने  कहा कि लघुकथा और कहानी दो अलग-अलग विधाएं हैं और लघुकथा लिखते समय अनावश्यक शब्दों से बचने की भरसक कोशिश होनी चाहिए। सम्मेलन में हिमाचल के विभिन्न भागों से आए लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं का वाचन किया। कार्यक्रम में जिला परिषद अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। पाठ की गई लघुकथाओं की सराहना करते हुए उन्होंने भविष्य में ऐसे आयोजनों को सहयोग करने की बात कही। कार्यक्रम में सुन्दरनगर, मंडी के कृष्ण चंद्र महादेविया की लघुकथाओं की पुस्तक ‘बेटी का दर्द’ तथा समारोह की लघुकथा पर आधारित पत्रिका का विमोचन भी किया गया। सभा के अध्यक्ष रतन चंद निर्झर व मुख्य अतिथि व विशिष्ट अथितियों का शॉल व टोपी देकर सम्मान किया। महासचिव अरूण डोगरा ने बताया कि सभा लेखकों की कृतियों का प्रकाशन कर उनके वितरण की व्यवस्था भी करेगी। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी परिषद की अध्यक्ष प्रेम देवी, जिला पार्षद बसंत राम संधू, डा. तेज प्रताप पांडेय, सुभाष ठाकुर सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में मंच संचालन सभा के उपाध्यक्ष सुभाष चंदेल ने किया। (समाचार सौजन्य :  अरूण डोगरा, महासचिव, हिमाचल  साहित्यकार सहकार सभा)




कर्नाटक के डॉ. सुनील कुमार परीट जी सम्मानित


भारतीय दलित साहित्य अकासमी, दिल्ली ने दिनांक 12 दिसम्बर 2013 को कर्नाटक के डॉ. सुनील कुमार परीट जी को उनके समग्र साहित्य सेवा के लिए ’डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप नेशनल अवार्ड-2013’ अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सोहनलाल सुमनाक्षर जी ने उपाधि प्रदान करके सम्मानित किया। दिनांक 14 दिसम्बर 2013 को बिहार के विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ ने डॉ. सुनील कुमार परीत जी को राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए एवं उनके समग्र साहित्य सेवा के लिए उज्जैन के श्री राम नाम सेवा आश्रम में विद्यापीठ के कुलाधिपति डॉ. सुमनभाई ’मानस भूषण’ जी  ने ’विद्यासागर’ उपाधि प्रदान की। इसमें प्रमाण-पत्र, अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह, मेडल और किताबें देकर सम्मनित किया। (समाचार सौजन्य : डॉ. सुनील कुमार परीट, सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, लक्कुंडी-591102 बैलहोंगल, जि- बेलगाम, कर्नाटक)

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