अविराम का ब्लॉग : वर्ष :03, अंक : 03-04 , मार्च 2013
।।संभावना।।
सामग्री : डॉ. दीपिका वत्स अपनी कविता साथ।
डॉ. दीपिका वत्स
{डॉ. दीपिका जन्तुविज्ञान में स्नातकोत्तर एवं पी एच. डी. हैं। मूलतः कविताएं लिखती हैं।}
कहानी
एक बीहड़ जंगल से
गुजरते हुए
चाँदनी
महसूस कर रही है
कुछ अजीब-सा
ऊँचे-ऊँचे दरख्त
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
दूर-दूर तक
कोशिश में छू लेने की
बहुत ऊपर
एक-दूसरे को
गये हैं लील
शाखाएँ, टहनियाँ, फूल
प्रतिकूलता मौसम की
निर्ममता प्रकृति की ही
खा गयी
अब कुछ परिंदे, दरिंदे
आश्वस्त हैं
इनके आश्रय में
ठीक ऐसा ही
मेरी बोध-चाँदनी
महसूस कर रही है!
- 16, न्यू हरिद्वार, हरिद्वार, उत्तराखण्ड
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