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शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन :  वर्ष  : 4,   अंक  : 03-04,  नवम्बर-दिसम्बर  2014 

।।क्षणिका।।


सामग्री :  इस अंक में डॉ. सुरेन्द्र वर्मा एवं सुश्री मीना गुप्ता की क्षणिकाएं।


डॉ. सुरेन्द्र वर्मा



पाँच क्षणिकाएंँ

01. कैसे पता चलता है?
अकेला होता हूँ
तो दूरभाष का इंतजार करता हूँ
पर तुम्हें
कैसे पता चलता है
मैं इन्तजार करता हूँ!

02. खाली मन
भावनाओं से भरा
हमारा मन
अबोला ही बना रहता है
डरता है/उसमें कहीं
खालीपन घर न कर जाये
छाया चित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा 

03. तुम्हारी आँखों में
हरी घास पर पानी की बूँदें
और बाद बारिश
उन पर सूरज का चमकना
तुम्हारी आँखों में
खुशियाँ झिलमिलाती हैं

04. अनुपस्थिति
तुम हमेशा मेरे पीछे-पीछे चलीं
लेकिन एक बार
आश्वस्त होने के लिए
जब मैंने लौटकर देखा
तुम अनुपस्थित थीं

05. अपनी निगाहों से
छाया चित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा 


मैंने हर बार चाहा
कि अपनी अनुपस्थिति के लिए 
तुम्हें सफाई दूँ
लेकिन तुमने हर बार
अपनी निगाहों से उसे
निरस्त कर दिया

  • 10, एच.आई.जी.; 1-सर्कुलर रोड, इलाहाबाद (उ.प्र.) / मोबाइल : 09621222778




मीना गुप्ता



दो क्षणिकाएँ

01.
अभिव्यक्ति मूक होकर भी
बहुत कुछ कह गयी
जला गयी है दीपक
किसी के इंतजार का!

02.
एक पल में कई युग
एक पल में सदियों के
फासले हैं
महसूस किया है मैंने
महसूस किया होगा तुमने।

  • द्वारा विनोद गुप्ता, निराला साहित्य परिषद, कटरा बाजार, महमूदाबाद, सीतापुर-261203 (उ.प्र.) /मोबाइल : 08004825291 

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