अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 2023, अंक : 01, नवम्बर 2023, लघुकथा : 02
।।कथा प्रवाह 2।।
सदानंद कवीश्वर
दुम हिलाने का फायदा
हाउसिंग सोसाइटी के बीच बने पार्क में वर्मा जी का भूरे रंग का पालतू कुत्ता और उसका दोस्त काले रंग का गली का कुत्ता दोनों खेल रहे थे। बीच-बीच में वहाँ बने हुए बेंच के पास बैठकर बतिया भी रहे थे। वर्मा जी के कुत्ते ने पूछा, ‘‘और सुनाओ, कालू कैसे हो?’’
‘‘बस भूरे, तुम सुनाओ।’’
‘‘अरे वाह, तुमने मेरा यह बढ़िया नाम रखा है, वैसे भी घर में मुझे चाहे किसी नाम से बुलाते हों, तुम्हारा रखा यह नाम मुझे बहुत पसंद है।’’
‘‘अच्छा! पर भूरे, यह बताओ, मैं तुम्हें जब भी देखता हूँ, तुम दुम हिलाते रहते हो, और जो भी दिखता है, उसके पैर चाटने लगते हो, ऐसा क्यों?’’
‘‘इसके पीछे एक राज़ है कालू, मैंने एक दिन अपने मालिक को मालकिन से यह कहते सुना था, ‘‘हमारे ऑफिस वाले भाटिया जी का प्रमोशन इस बार भी नहीं हुआ जबकि वे बहुत काम करते हैं। अनुशासन और लगन में भी आगे हैं और वे गुप्ता जी जिन्हें कुछ नहीं आता उनका चार साल में यह दूसरा प्रमोशन हुआ है इस बार।’’
‘‘जानते हो, कालू जब मालकिन ने पूछा कि यह तो बड़ी अजीब बात है, जो काम नहीं करता वह फायदे में है... ऐसा क्यों? तो मालिक बोले, ‘‘अरे काम नहीं करता तो क्या उसे दुम हिलाना और पैर चाटना तो अच्छी तरह आता है न?’’ बस, तभी से मैंने भी सोच लिया फायदे में रहना है तो ये दोनों काम...’’
तभी वर्मा जी के बेटे ने आवाज़ दी और उनका कुत्ता अपने दोस्त कालू को छोड़, दुम हिलाता हुआ लपककर उसकी तरफ दौड़ पड़ा।
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