अविराम ब्लॉग संकलन, वर्ष : 2023, अंक : 01, नवम्बर 2023, लघुकथा : 05
।।कथा प्रवाह 2।।
कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा’
अन्धों में काना राजा
‘‘जब तक दृष्टिहीन कक्षा के नये सर दिल्ली से नहीं आ जाते, तब तक उस कक्षा को सँभालने का उत्तरदायित्व आपको सौंपा जाता है।’’ प्रिंसिपल ने बुलाकर मुझसे कहा।
‘‘सुनकर मैं हतप्रभ रह गयी। तेजी से क्षीण होती जा रही दृष्टि के कारण ब्रेल लिपि सीखने के लिए मैंने इस मूक-बधिर-अन्ध विद्यालय में प्रवेश लिया था। अब टीचर की भूमिका भी निभाने लगी।
‘‘मैं कहानी-क़िस्से सुनाकर उन दृष्टिहीन छात्रों का मनोरंजन करने के अलावा ऐसे प्रेरणादायक क़िस्से भी सुनाती, जो हौसला बढ़ाते हैं। मैं उनके दिमाग़ में यह कूट-कूटकर भरने लगी कि अभाव में रहकर और किसी का मुँह न ताकते हुए भी वे ज़िंदगी में सफल हो सकते हैं, अगर अपने आत्मविश्वास को डिगने न दें और अपनी कमजोरी को ताकत बना लें।
अब दृष्टिहीन छात्र बेहिचक विद्यालय के मूक-बधिर छात्रों के बारे में भी मुझसे जानकारियाँ लेने लगे। इस कारण उनके मध्य वे दूरियाँ भी कम होती चली गईं, जो दृष्टिहीनता के कारण स्थायी हो गईं थीं।
इस तरह और कोई कहे या ना कहे, पर यह कहावत मेरे अपने ऊपर ही चरितार्थ हो गई- ‘अन्धों में काना राजा।’
ईमेल : komalwadhwaniprerna@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें