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रविवार, 19 मई 2013

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष  :  2, अंक :  8,  अप्रैल 2013

।।जनक छन्द।।

सामग्री :  महावीर उत्तरांचली  के पाँच जनक छंद।



महावीर उत्तरांचली



पांच जनक छन्द

1.
जीवन की नैया चली
तूफानों के बीच भी
लौ यह मुस्काती जली
2.
जीवन इक संग्राम है
‘महावीर’ धीरज धरो
रेखा चित्र : सिद्धेश्वर 
सुख-दुख इसमें आम है
3.
सत्य अनोखा जान तू
मन की आँखे खोलकर
‘क्या हूँ मैं’ पहचान तू
4.
भारत का हूँ अंग मैं
मुझको है अभिमान यह
मानवता के संग मैं
5.
मन में है विश्वास अब
पंख चेतना के लगे
छूने को आकाश अब

  • बी-4/79, पर्यटन विहार, बसुन्धरा एंक्लेव, नई दिल्ली-110096

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