अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 2, अंक : 8, अप्रैल 2013
।।हाइकु ।।
सामग्री : इस अंक में सर्वश्री राजेन्द्र परदेशी, सिद्धेश्वर व वंशस्थ गौतम के हाइकु।
थामे ज़िगर
04.
05.
06.
07.
।।हाइकु ।।
सामग्री : इस अंक में सर्वश्री राजेन्द्र परदेशी, सिद्धेश्वर व वंशस्थ गौतम के हाइकु।
राजेन्द्र परदेशी
आठ हाइकु
1.
मन वेदना
जुबान पर आते
टूटता धैर्य
2.
महाशापित
पत्थर की अहल्या
राम ने खोजा
3.
सत्ता पाकर
खूबसूरत बना
दागी चेहरा
4.
पत्थर पूजें
स्वार्थ की तलाश में
कर्म को नहीं
5.
रस घोलते
खिले बसंती फूल
प्रीत जगाते
6.
नूपुर बाजे
फागुन रंग
7.
राह देखते
झुर्रियां पड गई
चेहरे पर
8.
संवार रही
सौंदर्य की तस्वीर
बेबसी कोई
- भारतीय पब्लिक अकादमी, चांदन रोड, फरीदीनगर, लखनऊ-226015 (उ.प्र.)
सिद्धेश्वर
सात हाइकु
01.
आँखों में जख्म
ठंडा होता सूरज
शोक लहर!
02.
आँसू के शब्द
गढ़ी नई कहानी
03.
न करे महसूस
पेट की मार!
04.
अक्षर जोत
घर-घर जलाएँ
पढ़ें-पढ़ाएँ!
05.
बुझाया तूने
चौखट वाला दिया
मन अंधेरा!
06.
टूटे न कभी
विश्वास का बंधन
अपना धन!
07.
भट्टी में पका
फौलादी ये शरीर
तोड़ जंजीर!
- अवसर प्रकाशन,पो.बाक्स नं.205, करबिगहिया, पटना-800001(बिहार)
वंशस्थ गौतम
पाँच हाइकु
1.
घोर अँधेरा
सूरज घबराया
नहीं आराम
2.
बेबस हम
तम न होता कम
सूरज गुम
3.
ओर न छोर
जीवन डोर
4.
आडम्बर में
जीवन पूरा बीता
कभी न चेता
5.
रेलम पेल
मची हर तरफ
धूम धकेल
- जी-113, शास्त्री नगर, मेरठ
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