अविराम का ब्लॉग : वर्ष : 3, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2013
।।जनक छन्द।।
(माहिर जी के 108 भावपूर्ण जनक छंदों का संग्रह ‘प्रयास’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। प्रस्तुत हैं उनके इस संग्रह से कुछ जनक छंद।)
दस जनक छन्द
01.
आज याद प्रिय आ गये
अंग-अंग में धड़कनें
नगमें मन सहला गये
02.
सुधा सरसती रात को
शरत चंद की चाँदनी
शीत सुहाता गात को
03.
कभी नहीं यूं भागिये
गीत खुशी के गाइये
निर्मल मन को राखिये
04.
ऋचा वेद की खो गयी
प्यारी माया वतन से
रीत प्रीत की सो गयी
05.
डूबे अपने आप में
नहीं भरोसा प्यार का
हाथ सने हैं पाप में
06.
कड़ी धूप में खींचता
रामू रेड़ी देखिये
गृह-फुलवारी सींचता
07.
उड़ना चाहें गगन में
पाखी पांखों के बिना
मैना मन के चमन में
08.
एक शब्द ने खो दिया
हार प्यार का देखिये
बीज जहर का बो दिया
09.
भीष्म रोक पाये नहीं
चीरहरण-सा अघ महा
हरि-से वे धाये नहीं
10.
प्रेमी जोड़े जल रहे
जात-पाँत की आग में
कामदेव भी छल रहे
सामग्री : श्री मुखराम माकड़ ‘माहिर’ के दस जनक छंद।
मुखराम माकड़ ‘माहिर’
(माहिर जी के 108 भावपूर्ण जनक छंदों का संग्रह ‘प्रयास’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। प्रस्तुत हैं उनके इस संग्रह से कुछ जनक छंद।)
दस जनक छन्द
01.
आज याद प्रिय आ गये
अंग-अंग में धड़कनें
नगमें मन सहला गये
02.
सुधा सरसती रात को
शरत चंद की चाँदनी
शीत सुहाता गात को
03.
कभी नहीं यूं भागिये
गीत खुशी के गाइये
निर्मल मन को राखिये
04.
ऋचा वेद की खो गयी
प्यारी माया वतन से
रीत प्रीत की सो गयी
05.
डूबे अपने आप में
नहीं भरोसा प्यार का
हाथ सने हैं पाप में
06.
कड़ी धूप में खींचता
रामू रेड़ी देखिये
गृह-फुलवारी सींचता
07.
उड़ना चाहें गगन में
छाया चित्र : अभिशक्ति |
पाखी पांखों के बिना
मैना मन के चमन में
08.
एक शब्द ने खो दिया
हार प्यार का देखिये
बीज जहर का बो दिया
09.
भीष्म रोक पाये नहीं
चीरहरण-सा अघ महा
हरि-से वे धाये नहीं
10.
प्रेमी जोड़े जल रहे
जात-पाँत की आग में
कामदेव भी छल रहे
- विश्वकर्मा विद्यानिकेतन, रावतसर, जिला- हनुमानगढ़-335524 (राज.)
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