अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 4, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2014
{आवश्यक नोट- कृपया संमाचार/गतिविधियों की रिपोर्ट कृति देव 010 या यूनीकोड फोन्ट में टाइप करके वर्ड या पेजमेकर फाइल में या फिर मेल बाक्स में पेस्ट करके ही भेजें; स्केन करके नहीं। केवल फोटो ही स्केन करके भेजें। स्केन रूप में टेक्स्ट सामग्री/समाचार/ रिपोर्ट को स्वीकार करना संभव नहीं है। ऐसी सामग्री को हमारे स्तर पर टाइप करने की व्यवस्था संभव नहीं है। फोटो भेजने से पूर्व उन्हें इस तरह संपादित कर लें कि उनका लोड 02 एम.बी. से अधिक न रहे।}
पंजाब में 23 वें अन्तर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन का आयोजन
प्रतिष्ठित पंजाबी त्रैमासिक पत्रिका ‘मिन्नी’, पंजाबी साहित्य अकादमी, लुधियाना तथा पंजाबी सभा (रजि.) गिद्दड़बाहा के संयुक्त तत्वावधान में 23 वें अन्तर्राज्यीय सम्मेलन का आयोजन 18 अक्टूबर 2014 को गिद्दड़बाहा (पंजाब) में भारू रोड स्थित डेरा बाबा गंगाराम जी पर सम्पन्न होगा। दो सत्रों के इस कार्यक्रम के पहले सत्र में निरंजन बोहा (पंजाबी मिन्नी कहाणी विचला सामाजिक यथार्थ) एवं डॉ. बलराम अग्रवाल (लघुकथा सृजन और विमर्श: कल, आज और कल) के आलेखों पर पठनोपरान्त चर्चा में डॉ. अशोक भाटिया, सुभाष नीरव, रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, डॉ. रूप देवगुण, राम कुमार आत्रेय एवं डॉ. नायब सिंह मडेर भाग लेंगे। इसी सत्र में मिन्नी के 105 वें अंक, लघुकथा संकलन ‘जीवन संध्या’ (संपा. डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति, श्याम सुन्दर अग्रवाल व नूर), संवाद ते सिरजना-भाग दो (जगदीश राय कुलरियाँ), हवावाँ वी बदलीआँ (बिक्रमजीत नूर), बाईपास (अमनदीप), टुटे होए पत्ते (सतिपाल खुल्लर), ग़ैर हाज़िर रिश्ता (डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति), बेटी का हिस्सा (श्याम सुन्दर अग्रवाल), गुलाम भारत की लघुकथाएँ (संपा. डॉ. रामकुमार घोटड़) आदि पुस्तकों का विमोचन होगा। श्री सुभाष नीरव को श्री बलदेव कौशिक स्मृति सम्मान, डॉ. रामकुमार घोटड़ (हिन्दी) व श्री भीम सिंह गरचा (पंजाबी) को किरन अग्रवाल स्मृति सम्मान, श्री जगदीश राय कुलरियाँ को प्रिंसिपल भगत सिंह सेखों स्मृति सम्मान एवं प्रिं. हरजिंदरपाल कौर कंग को मिन्नी पत्रिका सम्मान से स्म्मानित किया जायेगा। साथ ही ‘मिन्नी कहाणी लेखक मंच, अमृतसर’ की ओर से आयोजित 24 वीं लघुकथा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जरयेंगे। द्वितीय सत्र में लघुकथा पाठ एवं पठित लघुकथाओं पर विमर्श के कार्यक्रम ‘जुगनुआँ दे अंगसंग’ का आयोजन किया जायेगा। (समाचार सौजन्य : श्याम सुन्दर अग्रवाल)
हिन्दी साहत्यि निर्झर मंच, पालमपुर की संगोष्ठी में हुआ तीन पुस्तकों का विमोचन
हिन्दी साहित्य निर्झर मंच, पालमपुर (हि.प्र.) का एक साहित्यिक आयोजन विगत 12 जुलाई 2014 को सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में नरेश कुमार ‘उदास’ के कथा संग्रह ‘रौशनी छीनते हुए शब्द’ का विमोचन पंजाब के प्रख्यात साहित्यकार श्री लेखराज ने, उदास जी की दूसरी कृति क्षणिका संग्रह ‘माँ आकाश कितना बड़ा है’ का विमोचन उदास जी की धर्मपत्नी श्रीमती छायारानी एवं पुत्री कविता ने किया। इसी आयोजन में नवोदित कवयित्री उषा कालिया के कविता संग्रह ‘क्षितिज के उस पार’ का विमोचन श्री नरेश कुमार उदास तथा डॉ. बी.डी.जोशी ने किया।
इस अवसर पर डॉ. लेखराज ने नरेश उदास की पुरस्कृत कथाकृति ‘‘मां गांव नहीं छोड़ना चाहती’ पर विस्तार से अपने विचार भी रखे। कवयित्री कमलेश सूद ने उदास जी के क्षणिका संग्रह पर आलेख पढ़ा। कवयित्री सुमन शेखर ने ‘नरेश कुमार उदास का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ विषय पर अपना आलेख प्रस्तुत किया।
दूसरे सत्र में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. लेखराज, अर्जुन कन्नोजिया, नरेश कुमार उदास, डॉ. एस. के. शर्मा, सुभाष सागर, डॉ. कालिया, सुमन शेख्र, कमलेश सूद, सुदेश लता अवस्थी, संगीता नाग, कृष्णा अवस्थी आदि ने काव्य पाठ किया। चार वर्षीया नन्ही हेमिका ने भी दो कण्ठस्थ बाल कविताएं सुनाई। (समाचार सौजन्य : उषा कालिया)
संदीप सृजन को साहित्य मंडल सम्मान
देश की प्रतिष्ठित हिंदी सेवी संस्था ‘साहित्य मंडल नाथद्वारा’ के तत्वावधान में 14-15 सितंबर को ‘हिंदी लाओ देश बचाओ’ कार्यक्रम में शब्द प्रवाह साहित्यिक पत्रिका के माध्यम से हिंदी को बढ़ावा देने के लिए संदीप ‘सृजन’ को सम्पादक रत्न की मानद उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामअवतार शर्मा आगरा, राव मुकुल मानसिंह श्री जगदीश शर्मा, डॉ उमाशंकर मिश्र एवं डॉ मुरलीधर वैष्णव ने श्री सृजन को भगवान श्रीनाथजी की स्वर्णिम छवि, सम्मान पत्र, शाल एवं उत्तरीय प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संयोजन श्री श्यामप्रकाश देवपुरा ने किया, संचालन श्री विठ्ठल जी ने किया। चार सत्रों में हुए दो दिवसीय आयोजन में हिंदी के लिए कार्य करने वाले देश भर से आए हिंदी सेवको को सम्मानित किया गया एवं कवि सम्मेलन व शोध संगोष्ठि का आयोजन भी हुआ। (समाचार प्रस्तुति : कमलेश व्यास कमल)
सुनील गज्जाणी को राष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार
बीकानेर के हिंदी-राजस्थानी के युवा साहित्यकार सुनील गज्जाणी को उनकी कविता ‘मित्र! तुम शहर मत आना’ को राष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है! ये पुरस्कार सुनील गज्जाणी को भिलाई (छत्तीस गढ़) में एक समारोह के दौरान आगामी 5 अक्टूबर को प्रदान किया जाएगा जाएगा। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान डॉक्टर सुभद्रा खुराना (भोपाल) और तृतीय स्थान पर श्री मुकुंद कौशल (दुर्ग) रहे तथा सांत्वना पुरस्कार श्री रमेश कुमार सोनी (बसना) और एस. एस. लाल बट्टा (भोपाल) रहे। भिलाई वाणी द्वारा प्रति वर्ष आयोजित होने वाली इस काव्य प्रतियोगिता में भारत वर्ष के भिन्न-भिन्न अंचलो से साहित्यकारों अपनी भागीदारी निभायी थी। गौर तलब सुनील गज्जाणी को हाल ही जवाहर कला केंद्र, जयपुर द्वारा आयोजित लघु नाट्य प्रतियोगिता में उनका नाटक श्श् अन हेडेड फेस श्श् को पुरस्कृत की घोषणा हो चुकी है ! तथा उनकी राजस्थानी बाल नाट्य पुस्तक ‘बोई काट्या है’ के लिए वर्ष 2013 का ‘चंदर सिंह बिरकाळी’ पुरस्कार दिये जाने कि भी घोषणा कि गयी है।
गद्य-पद्य विधाओं मे समान रूप से लिखने वाले कवि, नाटककार सुनील गज्जाणी की रचनायें विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहतीं है तथा अन्तरजाल पर भी निरन्तर सक्रिय रह्ते हैं। (समाचार सौजन्य : सुनील गज्जाणी)
‘महिला अपराध : घर-बाहर की चुनौतियाँ - समस्या और समाधान’ पर संगोष्ठी
‘हम सब साथ साथ’ विचार मंच व पत्रिका द्वारा १६ नवम्बर,१४ को दिन में दिल्ली में आयोजित परिचर्चा ‘महिला अपराध: घर-बाहर की चुनोतियाँ - समस्या और समाधान’ पर जागरूक व्यक्तियों के संक्षिप्त व सारगर्भित विचार 15 अक्तूबर,14 तक सादर आमंत्रित हैं। चुनी हुई श्रेष्ठ प्रविष्ठियों को परिचर्चा में अपने विचार प्रकट करने के लिए आमंत्रित कर सम्मानित किया जाएगा। और श्रेष्ठ 5 को विशेष सम्मान प्रदान किया जाएगा। दिल्ली से बाहर की प्रतिभाओं को अपने व्यय पर आना होगा परन्तु उनके चाहने पर उनके आवास व भोजन की सामान्य व्यवस्था की जा सकेगी।
इस आयोजन में सहभागिता करने के अन्य इच्छुक अन्य वरिष्ठ प्रतिभागी जो निर्णायक व अतिथि के रूप में शामिल होना चाहें उनका भी स्वागत है। कृपया अपने पूरे विवरण व फोटो के साथ अपने विचार ईमेल करें- humsabsathsath@gmail-com या kkishor47@live.com
नोट : यह आयोजन केवल गैर प्रोफेशनल व्यक्तियों के लिए हैं। अतः कृपया प्रोफेशनल व्यक्ति इसके लिए अपने विचार या कोई राय प्रेषित न करें। (समाचार प्रस्तुति : किशोर श्रीवास्तव)
संत साहित्य की पहली संगोष्ठी समपन्न
संत साहित्य की पहली संगोष्ठी इसके अध्यक्ष डा. वलदेव बंशी के निवास पर इन्ही की अध्यक्षता में फरीदाबाद में समपन्न हुई। इस गोष्ठी में दिल्ली एवं फरीदाबाद के कई कवियों ने हिस्सा लिया। इस गोष्ठी की शुरुआत अजय अक्श की ग़ज़ल से हुई- ‘बेटी के हाथ पीले तो हो गये मगर,मां के बदन से जितने थे गहने उतर गये।’
आशमा कौल ने बच्चों की मासूम हंसी पर कहा- ‘क्या तुमने किसी/बच्चे की हंसी सुनी है/दिल से निकली
हंसी,दुआ-सी होती है’। इस गोष्ठी को आगे बढाया जय प्रकाश गौतम ने भक्ति रस से। हबीब सैफी ने कहा कि
‘मिजाज अपना बदलना चाहती है/अना मेरी पिघलनी चाहिये’। नागेश चंद्रा तथा वीरेन्द्र कमर ने अपनी-अपनी रचनाओं से इसे औऱ रवानगी दी। वही विजय अरोड़ा ने कहा कि आज रिश्ते स्वेटर के धागों की तरह हो गये हैं एक बार उधडा तो सारा बिखड गया। ज्योति जंग ने भी प्रकृति पर कविता सुनायी। लाल कला मंच के सचिव लाल बिहारी लाल ने दोहा के माध्यम से भ्रूण हत्या पर कहा कि- ‘आबादी निश-दिन बडे़, लडकी कम पर होय़। देशहित समाज में यह अदभुत संकट होय’। अब्दुल रहमान मंसूर ने भी समाजिक सरोकार की कवितायें सुनाई। शिव प्रभाकर ओझा ने भी भक्ति रस सराबोर कविता पाठ किया। वही हरेराम समीप ने नदियों की दशा एवं दिशा पर ब्यंग्य करते हुए कहा कि- ‘लगता है इस वक्त के नहीं इरादे नेक। नदी सुखाने वास्ते हुये किनारे एक’। गोष्ठी के समापन के बाद डा. वंशी ने सभी को धन्यवाद दिया। (समाचार प्रस्तुति : लाल बिहारी लाल)
लाल कला मंच ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती काव्यगोष्ठी के रुप में मनाई
फरीदाबाद। लाल कला मंच,नई दिल्ली की ओर से मुंशी प्रेमचंद की जयंती काव्यगोष्ठी के रुप में फरीदाबाद के अशोका इंन्कलेव में मनाई गई। कार्यक्रम का आगाज संस्था के सचिव लाल बिहारी लाल के सरस्वती वंदना- ‘ऐसा माँ वर दे, विद्या के संग-संग, सुख समृद्धि से, सबको भर दे’ से हुई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. बलदेव वंशी ने की। इसमें दिल्ली एवं फरीदाबाद के अनेक कवियो एवं साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। इनमें अजय अक्श, विरेन्द्र कमर, आशमा कौल, लाल बिहारी लाल, जय प्रकाश गौतम, शिव प्रभाकर ओझा, विजय अरोडा, हरेराम समीप, अब्दूल रहमान मंशूर, हबीब सैफी, ज्योति संग, नागेश चंद्रा सहित कई कवियों ने हिस्सा लिया। अंत में संस्था के सचिव लाल बिहारी लाल ने सभी कवियों को धन्यवाद दिया। (समाचार प्रस्तुति : सोनू गुप्ता/लाल बिहारी लाल)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें