अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 4, अंक : 01-02, सितम्बर-अक्टूबर 2014
।।हाइकु।।
हाइकु व्योम : संपादन- उषा अग्रवाल ‘पारस’
{चर्चित कवयित्री व लघुकथाकार उषा अग्रवाल ‘पारस’ ने हाल ही में एक उत्कृष्ट हाइकु संकलन ‘हाइकु व्योम’ का संपादन किया है। इसमें देश के 54 कवियों, जिनमें कई प्रतिनिधि हाइकुकारों के साथ कुछ नवोदित हाइकुकार शामिल हैं, के 15-15 हाइकु संकलित हैं। प्रस्तुत हैं इस संकलन से कुछ हाइकुकारों के प्रतिनिधि हाइकु।}
डॉ. सुधा गुप्ता
01.
आकाश-छत
छेदों भरी छतरी
टपक रही
02.
अल्हड़ नदी
बाबुल घर छोड़
निकल पड़ी
03.
ढो लाये मेघ
आंसुओं का सागर
झड़ी लगी हैं
डॉ. सतीश दुबे
01.
हंसों की पांत
उड़ रही आकाश
मौसम साफ
02.
उछल रहे
बादल खरगोश
आसमान में
03.
डराती रही
रात में द्वार बजा
अज्ञात हवा
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
01.
तेरी दुआएँ
महसूसती मेरी
रक्त शिराएँ
02..
जीवन-वन
भटकता ही रहा
चोटिल मन
03.
सपने बाँटे-
जितने थे गुलाबी
बचे हैं काँटे
डॉ. सतीशराज पुष्करणा
01.
पानी काँपा है
कोई प्यासा खड़ा है
नदी तट पर
02.
मन बेचारा
आत्मविश्वास बिना
खुद से हारा
03.
नदी जो सूखी
तटों की खाई बढ़ी
आदमी जैसी
डॉ. मिथिलेश दीक्षित
01.
दूर देश में
बूढ़ी आँखों का तारा
फोन सहारा
02.
तीव्र आतप
फिर भी हरे-भरे
स्मृति पादप
03.
रोली रचाये
लहरों पर धूप
झिलमिलाये
उषा अग्रवाल ‘पारस’
01.
तोड़ के धागा
कठपुतली भागी
विद्रोह जागा
02.
गिर शिला पे
नहीं होती घायल
बूँद ओस की
03.
माफ करना
इश्क में दस्तूर है
खता करना
दिलीप भाटिया
01.
ममता जीती
रूढ़ियों को हराया
बेटी आ गई
02.
रोशन रखो
अँधेरे घर यहाँ
सुख पाओगे
पुष्पा जमुआर
01.
जवाँ सपने
और जीने की जंग
युवा बेचैन
02.
वक्त गुजरा
मुरदों को कब्र से
जगाते हुये
कमलेश चौरसिया
01.
तिनका लिये
चिड़िया थक गयी
डाली ना मिली
02.
आँगन नहीं
चुगती चिड़िया भी
मिलती नहीं
03.
अटरिया में
शब्द-शब्द आँखों का
बिछुआ बाजे
केशव शरण
01.
पिंकी या सोन
पिंजरे में चिड़िया
सुख से कौन?
02.
यही रस्म है
मक्खी वहीं बैठती
जहाँ जख्म है
03.
न वो आता है
न वो बुलाता है
कैसा भ्राता है
नरेन्द्र परिहार
01.
पास पड़ोस
पटाखों का घरौंदा
गिराये औंधा
02.
फूल केश से
गिरा झर-झर के
दिखा सपने
03.
जिंदगी जेल
पत्थरों का शहर
हुआ न मेल
मृणालिनी घुले
01.
नर्मदा तट
कहीं मनोरम तो
कहीं विकट
02.
हरसिंगार
रक्ताभ अधरों से
हँसी बहार
03.
साँझ की बेला
अस्त होता सूरज
बड़ा अकेला
डॉ. रघुनन्दन चिले
01.
मुखर मौन
भाषाओं से बड़ा है
अर्थ खड़ा है
02.
सरिता मिली
सागर उल्लास में
गरजा खूब
03.
आकाश चुप
गतिहीन बादल
परम शान्ति
वंदना सहाय
01.
भूखा क्या लिखे
उसे तो ये चाँद भी
रोटी सा दिखे
02.
हारे अब तो
कार्टून चैनलों से
नानी के किस्से
03.
रोज बनती
कोई एक कामिनी
नयी दामिनी
आशीष कंधवे
01.
वक्त अमीर
बदलना है तुम्हें
भाग्य फकीर
02.
एकांत बैठा
मौन साधे है झूठ
बन बगुला
03.
सपने बने
सूरज उगते ही
हरसिंगार
इसी संकलन से कुछ और हाइकु
डॉ. भावना कुंवर
तितली बन
परियाँ जब आईं
कली मुस्काई
अनिता ललित
शरमा कर झाँकती...
छिप-छिप के
डॉ. रेखा कक्कड़
बादल तुम
उसको भर देना
जो घट खाली
विभा रश्मि
सौंदर्य भरा
गहरा हो हृदय
तर जायेगा
सनत कुमार जैन
सरगीपत्ता
उबलते चावल
छप्पनभोग
डॉ. सुषमा सिंह
खारे आंसू भी
जाहिर करते हैं
मीठी सी खुशी
कान्ता देवांगन
कोमल हाथ
बना रहे नसीले
तेंदू के पत्ते
प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
पैक्ड अनाज पर
मरी गौरैया
माधुरी राऊलकर
तू भी मोहरा
आखिर तेरे लिये
कौन ठहरा
रवीन्द्र देवधरे ‘शलभ’
खिला गुलाब
माली ने तोड़ डाला
बचा बबूल
कुछ और हाइकु
पांच हाइकु
01.
कोयल राग
बहुत सरल है
बेचारा काग!
02.
है एक शर्त
प्यार करने में हो
न कोई शर्त!
03.
नैनों की भाषा
पढ़ते अनपढ़
बिना पढ़ाए
04.
टूटे जो दिल
पुस्तकों से जा मिल
आयेगा कल
05.
पीते जहर
ये हरे-भरे वन
शंकर बन
।।हाइकु।।
सामग्री : इस अंक में श्रीमती उषा अग्रवाल 'पारस' द्वारा सम्पादित हाइकु संकलन 'हाइकु व्योम' से कुछ हाइकुकारों ( डॉ. सुधा गुप्ता, डॉ. सतीश दुबे, रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, डॉ. सतीशराज पुष्करणा, डॉ. मिथिलेश दीक्षित, उषा अग्रवाल ‘पारस’, दिलीप भाटिया, पुष्पा जमुआर, कमलेश चौरसिया, केशव शरण, नरेन्द्र परिहार, मृणालिनी घुले, डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’, डॉ. रघुनन्दन चिले, वंदना सहाय, आशीष कंधवे, डॉ. भावना कुंवर, अनिता ललित, डॉ. रेखा कक्कड़, विभा रश्मि, सनत कुमार जैन, डॉ. सुषमा सिंह, कान्ता देवांगन, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, माधुरी राऊलकर व रवीन्द्र देवधरे ‘शलभ’) तथा श्री देशपाल सिंह सेंगर हाइकु।
हाइकु व्योम : संपादन- उषा अग्रवाल ‘पारस’
{चर्चित कवयित्री व लघुकथाकार उषा अग्रवाल ‘पारस’ ने हाल ही में एक उत्कृष्ट हाइकु संकलन ‘हाइकु व्योम’ का संपादन किया है। इसमें देश के 54 कवियों, जिनमें कई प्रतिनिधि हाइकुकारों के साथ कुछ नवोदित हाइकुकार शामिल हैं, के 15-15 हाइकु संकलित हैं। प्रस्तुत हैं इस संकलन से कुछ हाइकुकारों के प्रतिनिधि हाइकु।}
डॉ. सुधा गुप्ता
01.
आकाश-छत
छेदों भरी छतरी
टपक रही
02.
रेखा चित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा |
अल्हड़ नदी
बाबुल घर छोड़
निकल पड़ी
03.
ढो लाये मेघ
आंसुओं का सागर
झड़ी लगी हैं
- ‘काकली’, 120-बी/12, साकेत, मेरठ-250003 (उ.प्र.) / दूरभाष : 08439278200
डॉ. सतीश दुबे
01.
हंसों की पांत
उड़ रही आकाश
मौसम साफ
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
02.
उछल रहे
बादल खरगोश
आसमान में
03.
डराती रही
रात में द्वार बजा
अज्ञात हवा
- 766, सुदामा नगर, इन्दौर-452009 (म.प्र.) /मोबाइल : 09617597211
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
01.
तेरी दुआएँ
महसूसती मेरी
रक्त शिराएँ
02..
जीवन-वन
छाया चित्र : डॉ.बलराम अग्रवाल |
भटकता ही रहा
चोटिल मन
03.
सपने बाँटे-
जितने थे गुलाबी
बचे हैं काँटे
- एफ-305, छठा तल, मैक्स हाइट, सेक्टर-62, कुण्डली-131023, सोनीपत (हरियाणा) / मोबाइल : 09313727493
डॉ. सतीशराज पुष्करणा
01.
पानी काँपा है
कोई प्यासा खड़ा है
नदी तट पर
02.
मन बेचारा
आत्मविश्वास बिना
छाया चित्र : रामेश्वर काम्बोज हिमांशु |
खुद से हारा
03.
नदी जो सूखी
तटों की खाई बढ़ी
आदमी जैसी
- पुष्करणा ट्रेडर्स, लघुकथानगर, पो. महेन्द्रू, पटना-400006, बिहार / मोबाइल : 09431264674 / 08298443663
डॉ. मिथिलेश दीक्षित
01.
दूर देश में
बूढ़ी आँखों का तारा
फोन सहारा
02.
तीव्र आतप
फिर भी हरे-भरे
स्मृति पादप
03.
रोली रचाये
लहरों पर धूप
झिलमिलाये
- जी-91 सी, संजय गांधीपुरम्, लखनऊ-226016 (उ.प्र.) / मोबाइल : 09412549904
उषा अग्रवाल ‘पारस’
01.
तोड़ के धागा
कठपुतली भागी
विद्रोह जागा
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
02.
गिर शिला पे
नहीं होती घायल
बूँद ओस की
03.
माफ करना
इश्क में दस्तूर है
खता करना
- मृणमयी अपार्टमेंट, 108-बी/1, खरे टाउन, धरमपेठ, नागपुर-440010, महाराष्ट्र / मोबाइल : 09028978535
दिलीप भाटिया
01.
ममता जीती
रूढ़ियों को हराया
बेटी आ गई
02.
रोशन रखो
अँधेरे घर यहाँ
सुख पाओगे
- 322/201, न्यू मार्केट, रावतभाटा-323307, कोटा, राजस्थान / मोबाइल : 09461591498
पुष्पा जमुआर
01.
जवाँ सपने
और जीने की जंग
युवा बेचैन
02.
वक्त गुजरा
मुरदों को कब्र से
जगाते हुये
- काशी निकेतन, रामसहाय लेन, महेन्द्रू, पटना-800006, बिहार / मोबाइल : 09308572771
कमलेश चौरसिया
01.
तिनका लिये
चिड़िया थक गयी
डाली ना मिली
02.
आँगन नहीं
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
मिलती नहीं
03.
अटरिया में
शब्द-शब्द आँखों का
बिछुआ बाजे
- गिरीश अपार्टमेंट-201, एच.सी. रोड, धरमपेठ, नागपुर-440010 / मोबाइल : 08796077001
केशव शरण
01.
पिंकी या सोन
पिंजरे में चिड़िया
सुख से कौन?
02.
यही रस्म है
मक्खी वहीं बैठती
जहाँ जख्म है
03.
न वो आता है
न वो बुलाता है
कैसा भ्राता है
- एस-2/564, सिकरौल, वाराणसी कैन्ट, वाराणसी-2 (उ0प्र0) / मोबाइल : 09415295137
नरेन्द्र परिहार
01.
पास पड़ोस
पटाखों का घरौंदा
गिराये औंधा
02.
फूल केश से
गिरा झर-झर के
दिखा सपने
03.
जिंदगी जेल
पत्थरों का शहर
हुआ न मेल
- सी-004, उत्कर्ष अनुराधा, सिविल लाइन्स, नागपुर-440001 (महा.) / मोबाइल : 09561775384
मृणालिनी घुले
01.
नर्मदा तट
कहीं मनोरम तो
छाया चित्र : अभिशक्ति |
कहीं विकट
02.
हरसिंगार
रक्ताभ अधरों से
हँसी बहार
03.
साँझ की बेला
अस्त होता सूरज
बड़ा अकेला
- 101, रीगल रीजेंसी, एन-28, साकेत नगर, ओल्ड पलासिया, इन्दौर, म.प्र. / फोन : 09165359071
डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’
01.
नयी सदी में
ताल ठोंकती नारी
नहीं बेचारी
02.
टूटें तो टूटें
ख्वाब देखेंगे हम
पीड़ा हो तो हो
03.
झुकी न पृथ्वी
झुक गया आकाश
प्रेम-प्रकाश
- 24/18, राधानगर, फतेहपुर (उ.प्र.) - 212601 / मोबाइल : 08574006355
डॉ. रघुनन्दन चिले
01.
मुखर मौन
भाषाओं से बड़ा है
अर्थ खड़ा है
02.
सरिता मिली
सागर उल्लास में
गरजा खूब
03.
आकाश चुप
गतिहीन बादल
परम शान्ति
- 232, मागंज, वार्ड नं.1, दमोह-470661, म.प्र. / मोबाइल : 09425096085
वंदना सहाय
01.
भूखा क्या लिखे
उसे तो ये चाँद भी
रोटी सा दिखे
02.
हारे अब तो
कार्टून चैनलों से
नानी के किस्से
03.
रोज बनती
कोई एक कामिनी
नयी दामिनी
- टावर 12-302, ब्लू रिज हिंजेवाड़ी, फेज-1, पुणे-411057 / मोबाइल : 09372224189
आशीष कंधवे
01.
वक्त अमीर
छाया चित्र : अभिशक्ति |
भाग्य फकीर
02.
एकांत बैठा
मौन साधे है झूठ
बन बगुला
03.
सपने बने
सूरज उगते ही
हरसिंगार
- एडी-94 डी, शालीमार बाग, दिल्ली-110088 / मोबाइल : 09811184393
इसी संकलन से कुछ और हाइकु
डॉ. भावना कुंवर
तितली बन
परियाँ जब आईं
कली मुस्काई
- ईमेल : bhawnak2002@gmail.com
अनिता ललित
शरमा कर झाँकती...
छिप-छिप के
- 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.
डॉ. रेखा कक्कड़
बादल तुम
उसको भर देना
जो घट खाली
- 502, कैलाश टावर, संजय पैलेस, आगरा-282002, उ.प्र. / फोन : 09897542756
विभा रश्मि
सौंदर्य भरा
गहरा हो हृदय
तर जायेगा
- 201, पराग अपार्टमेट, प्रियदर्शिनी नगर, बेदला, उदयपुर-313011, राज. / फोन : 09414296536
सनत कुमार जैन
सरगीपत्ता
उबलते चावल
छप्पनभोग
- सन्मति इलैक्ट्रिकल, सन्मति गली, दुर्गा चौक के पास, जगदलपुर-494001, म.प्र. / फोन : 09425507942
डॉ. सुषमा सिंह
खारे आंसू भी
जाहिर करते हैं
मीठी सी खुशी
- हिन्दी विभागाध्यक्ष, आर.बी.एस. कॉलेज, आगरा, उ.प्र. / फोन : 09358198345
कान्ता देवांगन
कोमल हाथ
बना रहे नसीले
तेंदू के पत्ते
- प्लॉट नं. 54, वैशाली नगर, मेंहदी बाग रोड, नागपुर (महा.) / मोबाइल : 07387045465
प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
पैक्ड अनाज पर
मरी गौरैया
- ग्राम : सनगांव, पोस्ट : बहरामपुर, जिला : फतेहपुर-212622, उ.प्र.
माधुरी राऊलकर
तू भी मोहरा
आखिर तेरे लिये
कौन ठहरा
- 76, रामनगर, नागपुर-440033 (महारष्ट्र) / फोन नं. : 0712-2537185
रवीन्द्र देवधरे ‘शलभ’
खिला गुलाब
माली ने तोड़ डाला
बचा बबूल
- ‘स्वराज वसुंधरा’, 310, आजमशाह ले आउट, गणेश नगर, नागपुर-440001, महा. / मोबाइल : 09404086329
कुछ और हाइकु
देशपाल सिंह सेंगर
पांच हाइकु
01.
कोयल राग
बहुत सरल है
बेचारा काग!
02.
है एक शर्त
प्यार करने में हो
न कोई शर्त!
03.
नैनों की भाषा
रेखा चित्र : उमेश महादोषी |
पढ़ते अनपढ़
बिना पढ़ाए
04.
टूटे जो दिल
पुस्तकों से जा मिल
आयेगा कल
05.
पीते जहर
ये हरे-भरे वन
शंकर बन
- ग्राम बर्रू कुलासर-बेला, जिला: औरैया-206251 (उ.प्र.) / मोबाइल : 09997918287
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें