अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 4, अंक : 07-12, मार्च-अगस्त 2015
सामग्री : इस अंक में कवि सुशील पाण्डेय की तीन बाल कविताएँ बाल चित्रकार अभय ऐरन एवं आरुषि ऐरन के चित्रों के साथ।
सुशील पाण्डेय
{कवि एवं व्यंग्यकार सुशील पाण्डेय बाल साहित्य में भी सृजनरत हैं। उनकी 25 बाल काव्य रचनाओं का संग्रह ‘जंगल गीत’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। बच्चों को लुभाने वाले जंगल के जीवंत पात्रों के मानवीकरण से भरपूर इन सहज-सरल कविताओं में से कुछ यहाँ प्रस्तुत हैं।}
तीन बाल काव्य रचनाएँ
जंगल में दुकान...
बबर शेर ने फीता काटा कोयल गाए गान,
बन्दर मामा ने खोली है जंगल में दुकान।
टॉफी-बिस्किट-कंपट-च्युंगम-मैगी-नूडल्स खास,
सौंफ-सुपारी मीठी-मीठी, जैम-टोमैटो-सास।
चित्र : अभय ऐरन |
मिट्टी के हैं चकिया चूल्हा थाली प्लेट गिलास।
पेन्सिल, रबर, कलर की डिब्बी, कापी, कटर, स्केल,
कंचा, मंजा, गिल्ली-डंडा बिकती प्लास्टिक रेल।
रंग बिरंगी टंगी पतंगें, मिलते हैं गुब्बारे,
चीकू-मीकू-दीपू-अप्पू खुश हैं बच्चे सारे।
मैच हो गया टाई...
काला बिल्ला बालिंग करता, भालू लेता कैच,
जंगल में स्टेडियम बन गया, जमता वन डे मैच,
आँखों देखा हाल सुनाता मिट्ठू तोता फास्ट,
उल्लू केबल पर करता है मैच का टेलीकास्ट।
तेज दौड़ के गेंद फेंकता फास्टर घोड़ा कक्का,
चित्र : आरुषि ऐरन |
फर्स्ट बाल पर उड़ा दिया है हाथीजी ने छक्का,
गीदड़ क्यों मिसफील्डिंग करते शेरू कुत्ता भौंका?
लोमड़ ने आगे बढ़कर के मार दिया है चौका।
गुगली गेंदें फेंक रहा है बॉलर बन्दर गबलू,
चौथी गेंद में बबर शेर जी हो गए एल. बी. डब्ल्यू.,
लास्ट बाल पर गधेलाल ने ऐसी शाट लगायी,
अम्पायर रह गये टापते मैच हो गया टाई।
गधे लाल की शादी...
तोता पंडित ले के आये, रिश्ते की सौगात,
गधेलाल जी शादी करने, लेकर चले बारात।
बब्बर शेरजी आगे चलते, दिये मूँछ पर ताव,
भालू राजा ढोल बजाते, नाचो था प्रस्ताव।
दूल्हे राजा खूब जमे हैं, हाथ लिये जयमाला,
नन्हे अप्पू सजे धजे हैं, आज बने सहबाला।
चित्र : आरुषि ऐरन |
गीदड़ भाई बने हैं नाई, सभी हुए हैरान,
दुल्हन आई बजी बधायी, कोयल गाये गान।
बुआ लोमड़ी ठण्डा पीती, बकरी खाये पान,
हाथी दादा उचक-मटक के, जीम रहे पकवान।
- 128/19 बी ब्लॉक, किदवई नगर, कानपुर, उ.प्र. / मोबाइल : 09651690735
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