जन्म : 29 जून 1967 को उज्जैन (म0प्र0) में।
शिक्षा : एम.काम., आई.टी.आई., पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
लेखन/योगदान/प्रकाशन : मातृभाषा मराठी के आँचल से लेखन की दुनियाँ में पैर फैलाने शुरू किये तो अपनी अभिव्यक्ति को आयाम देने के लिए राष्ट्रभाषा हिन्दी को ही सहज पाया, सो अधिकांश लेखन हिन्दी में ही किया। सुपेकर जी पत्र लेखन, कविता, समीक्षा और व्यंग्य लेखन के मध्य लघुकथा के साथ ऐसे जुड़े कि उनकी मूल पहचान लघुकथा लेखक के तौर ही स्थापित हो गई। लघुकथा में कथ्य के स्तर पर उनका योगदान रेखांकित किया जाता है। यदि आज समूचे लघुकथा लेखन को लघुकथा की कथात्मक समग्रता और कसावट के आधार पर दो धाराओं में पहचाना जाये तो सुपेकर जी अपने लघुकथा लेखन में अधिकांशतः कसावट के साथ खड़े नजर आते हैं। उनकी अनेकों रचनाएं देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं विभिन्न महत्वपूर्ण संकलनों के साथ-साथ इन्टरनेट पर भी प्रकाशित हुई हैं। उनकी प्रकाशित कृतियों में ‘साथ-साथ चलते हुए’ (श्री राजेन्द्र नागर ‘निरंतर’ के साथ साझा लघुकथा संकलन), तथा ‘हाशिये का आदमी’ एवं ‘बन्द आँखों का समाज’ (दोनों निजी लघुकथा संग्रह) शामिल हैं। सुपेकर जी लेखन के साथ-साथ ‘सरल काव्यांजलि’ के साथ जुड़कर विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों में भी सक्रिय हैं।
सम्मान : स्व. अरविन्द नीमा स्मृति पुरस्कार, ‘अक्षर साहित्य सम्मान एवं रेलवे द्वारा ‘प्रेमचन्द्र पुरस्कार सहित कई सम्मानों से विभूषित।
सम्प्रति : पश्चिम रेलवे, उज्जैन में लाको पायलट (इंजिन चालक) के पद पर कार्यरत।
सम्पर्क : 31, सुदामानगर, उज्जैन-456001 (म.प्र.)
फोन : 09424816096 / 09752495425
मुद्रित प्रारूप : मार्च 2011 अंक में सात लघुकथाएँ- भाषाई आतंकवाद, तपन और फुहार, गैरतमंद, हौसला, पहेली या व्यथा एवं शब्द प्राण।
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अक्टूबर 2011 अंक में एक लघुकथा ‘दूसरा आश्चर्य’।
ब्लॉग प्रारूप (अविराम विस्तारित) : अक्टूबर 2011 अंक में एक लघुकथा ‘दूसरा आश्चर्य’।
दिसंबर 2011 अंक में एक लघुकथा-'आत्मग्लानि'।
नोट : १. परिचय के शीर्षक के साथ दी गयी क्रम संख्या हमारे कंप्यूटर में संयोगवश आबंटित आपकी फाइल संख्या है. इसका और कोई अर्थ नहीं है।
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