अविराम का ब्लॉग : वर्ष : १, अंक : ०५, जनवरी २०१२
।।क्षणिकाएँ।।
सामग्री : रचना श्रीवास्तव, नित्यानन्द गायेन, प्रदीप गर्ग ‘पराग’ एवं टी. सी. सावन की क्षणिकाएं।
रचना श्रीवास्तव
चार क्षणिकाएं
1.
तुम्हारे
नम अक्षर
मेरे अंदर उतरते गए
और मरुस्थल में
एक सोता बह निकला
2.
अपनी अपनी मोहब्बत
बाहों में भींचे
पास आये
पर
न तुम बोले न मै बोली
और इसी खामाशी से
हम अलग हो गए
3.
ठंड से जले हाथों में
चिटके गलों को ढाँपे
कि हवा का गर्म झोंका
उसे पिता की गोद सी
गुनगुनाहट दे गया
वो जानती थी
ये हवा आई है
उसी गाँव से
जहाँ गांठ लगे ऊन से
बुन रही थी
स्वेटर उस की माँ
4.
मेरे अंदर
जल रहा था
जज्बात का दिया ,
रिश्तों की ठंडक ने
उसे जमा दिया
सर्द सा धुआं उठा
मै स्वयं बर्फ बन गई
- 2715 Chattanooga, Loop, apt 104, Ardmore OK 73401
- ई मेल : rach_anvi@yahoo.com
नित्यानन्द गायेन
चार क्षणिकाएं
('संकेत' से साभार )
1. प्रेम कविता
बहुत दिनों से
चाहत है मेरी
कि
लिखूं कुछ प्रेम कविताएं
तुम पर
किन्तु मजबूर हूं
मेरे देश में
ऐसा सोचने के लिए
2.
पसीने से तर है किसान
तप्त सूरज निर्दयी
देख रहा
कितना पानी बचा है जिस्म में इसके....
3.
गिर चुका पर्दा
रंग-मंच का
जा चुके दर्शक
किंतु
शेष है नाटक अभी!
4.
नाव खो चली पथ
तेज़ है नदी की धारा
थक चुका मांझी
बेचारा
कैसे मिले किनारा?
- 315, डोयेन्स कॉलोनी, शेरलिंगम पल्ली, हैदराबाद-500019, आन्ध्र प्रदेश
प्रदीप गर्ग ‘पराग’
दो क्षणिकाएँ
1.
कटते वृक्ष
घटते वन
संतुलित रहे कैसे
पर्यावरण
चिन्तातुर मन!
2.
शहीदों ने तो
परतन्त्रता की
काट दी जंजीरें
खुले न बन्धन
जकड़े आज फिर हम
भ्रष्टाचार की
अनैतिकता की
स्वार्थ-ईर्ष्या की
कड़ी जंजीरों में
- 1785, सेक्टर-16, फरीदाबाद-121002 (हरियाणा)
टी. सी. सावन
दो क्षणिकाएँ
1. याद
याद आती,
दुःखाती
हृदय को
और फिर
बस याद
रह जाती
2. अन्ना जी
कतरा-कतरा
इस शरीर का
हो गया आज
भ्रष्टाचारी
अकेले- तन्हा
राह में अन्ना जी
कैसे मिटाएँ
यह बीमारी!!
- माइण्ड पॉवर स्पोकन इंग्लिश इन्स्टीट्यूट, भंजराडू,-176316, तह. चुराह, जिला- चम्बा (हि.प्र.)
ब्लॉग देखा ...........बहुत अच्छा लगा ............ आभार
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