अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 09-10, मई-जून 2014
।।हाइकु।।
डॉ. सुधा गुप्ता
(वरिष्ठ कवयित्री डॉ. सुधा गुप्ता जी का पर्यावरण के विभिन्न सन्दर्भों पर केन्द्रित हाइकुओं का संग्रह ‘खोई हरी टीकरी’ गत वर्ष प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह से प्रस्तुत हैं उनके कुछ प्रतिनिधि हाइकु।)
पंद्रह हाइकु
01.
लिखते पेड़
हरियाले पन्ने पे
प्रेम की पाती
02.
चितेरे! तूने
हरा रंग बिखेरा
मुट्ठी भर के!
03.
प्रकृति परी
कहाँ पाई तूने ये
जादू की छड़ी
04.
कटे जो पेड़
विवस्त्रा है धरा
लाज से गड़ी
05.
तुलसी चौरा
सँझवाती का दीया
कहाँ खो गए
06.
पेड़ों के साये
सपनों में आते हैं
सड़कें सूनी
07.
हवा में भरी
बारूद की दुर्गंध
खोया वसंत
08.
मानव चेत
ओजोन परत में
बढ़ता छेद
09.
‘हरे फेफड़े’
काट डाले धरा के
साँस ले कैसे
10.
नीम की छैंया
ए.सी. को छोड़कर
आना ही होगा
11.
डूब गई लो
खौलते सागर में
जीवन-तरी
12.
पेड़ जो कटे
उजड़े आशियाने
रूठी गौरैया
13.
बच्चों की मौत
खोया आँगन-गीत
भोर की रीत
14.
सूखे होंठों से
उधर तरसते
लोग खड़े हैं
15.
मन मौजी है
जंगल को गाने दो
अपना गीत
वंदना सहाय
छै हाइकु
01.
झूठ का डिब्बा
बेईमानी की रेल
कैसा ये खेल?
02.
दूर का चाँद
पास से जब देखा
भूखा था वह
03.
स्तन जो सूखा
दुधमुँहा है भूखा
महँगा दूध
04.
देने दहेज
रोज कुछ बचाती
कम है खाती
05.
विष पीकर
माँ के कोख से जन्मीं
सुधा पिलाने
06.
बता दो उन्हें
कितना खाए ग़म
कितना कम?
डॉ.दिनेश त्रिपाठी ‘शम्श’
पांच हाइकु
01.
विद्या तो नहीं
किन्तु बढ़ गया
बस्ते का बोझ
02.
आदमी ही क्या
पेड़ तक बौराया
फागुन आया
03.
एक छुवन
बन गई जिन्दगी
भर की निधि
04.
गाँव-गाँव में
शहर घुस गया
बदले गाँव
05.
बिना स्वप्न के
थम गया जीवन
नहीं प्रगति
।।हाइकु।।
सामग्री : इस अंक में डॉ. सुधा गुप्ता, वंदना सहाय व डॉ.दिनेश त्रिपाठी ‘शम्श’ के हाइकु।
(वरिष्ठ कवयित्री डॉ. सुधा गुप्ता जी का पर्यावरण के विभिन्न सन्दर्भों पर केन्द्रित हाइकुओं का संग्रह ‘खोई हरी टीकरी’ गत वर्ष प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह से प्रस्तुत हैं उनके कुछ प्रतिनिधि हाइकु।)
पंद्रह हाइकु
01.
लिखते पेड़
हरियाले पन्ने पे
प्रेम की पाती
02.
छाया चित्र : अभिशक्ति |
हरा रंग बिखेरा
मुट्ठी भर के!
03.
प्रकृति परी
कहाँ पाई तूने ये
जादू की छड़ी
04.
कटे जो पेड़
विवस्त्रा है धरा
लाज से गड़ी
05.
तुलसी चौरा
सँझवाती का दीया
कहाँ खो गए
06.
पेड़ों के साये
सपनों में आते हैं
सड़कें सूनी
07.
हवा में भरी
बारूद की दुर्गंध
खोया वसंत
08.
मानव चेत
छाया चित्र : रामेश्वर काम्बोज हिमांशु |
ओजोन परत में
बढ़ता छेद
09.
‘हरे फेफड़े’
काट डाले धरा के
साँस ले कैसे
10.
नीम की छैंया
ए.सी. को छोड़कर
आना ही होगा
11.
डूब गई लो
खौलते सागर में
जीवन-तरी
12.
पेड़ जो कटे
उजड़े आशियाने
रूठी गौरैया
13.
बच्चों की मौत
खोया आँगन-गीत
भोर की रीत
14.
सूखे होंठों से
उधर तरसते
लोग खड़े हैं
15.
मन मौजी है
जंगल को गाने दो
अपना गीत
- 120 बी/2, साकेत, मेरठ (उ.प्र.) // दूरभाष : 0121-2654749
वंदना सहाय
छै हाइकु
01.
झूठ का डिब्बा
बेईमानी की रेल
कैसा ये खेल?
02.
दूर का चाँद
पास से जब देखा
भूखा था वह
03.
स्तन जो सूखा
दुधमुँहा है भूखा
महँगा दूध
छाया चित्र : डॉ. बलराम अग्रवाल |
देने दहेज
रोज कुछ बचाती
कम है खाती
05.
विष पीकर
माँ के कोख से जन्मीं
सुधा पिलाने
06.
बता दो उन्हें
कितना खाए ग़म
कितना कम?
- टावर 12-302, ब्लू रिज, हिंजेवाड़ी, फेज-1, पुणे-411057, महा. // मोबा. : 09325887111 व 09372224189
डॉ.दिनेश त्रिपाठी ‘शम्श’
पांच हाइकु
01.
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
किन्तु बढ़ गया
बस्ते का बोझ
02.
आदमी ही क्या
पेड़ तक बौराया
फागुन आया
03.
एक छुवन
बन गई जिन्दगी
भर की निधि
04.
गाँव-गाँव में
शहर घुस गया
बदले गाँव
05.
बिना स्वप्न के
थम गया जीवन
नहीं प्रगति
- जवाहर नवोदय विद्यालय, ग्राम घुघुलपुर, पो. देवरिया, जिला: बलरामपुर-271201(उ.प्र.)
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