अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 09-10, मई-जून 2014
।। बाल अविराम ।।
सामग्री : इस अंक में पढ़िए- पुष्पा मेहरा की दो बाल कविताएँ बाल चित्रकार आरुषि ऐरन व सक्षम गम्भीर की पेंटिंग्स के साथ।
होली
होली आई-होली आई
मन हरसाती होली आई
लाल गुलाल उड़ाती आई
रंग-रंगीली होली आई।
पिचकारी में रंग भर लाई
छैल-छबीली होली आई
रंगों की बौछार है लाई
प्रेम के गीत सुनाती आई।
पकवानों की धूम मचाती
गुझियों की भरमार है लाई
ऊँच-नीच का भेद मिटाती
सब को गले लगाने आई।
मैल मनों का धोने आई
मन से मन को मिलाने आई
सत की याद दिलाने आई
घर-घर में ख़ुशियां है लाई।
होली आई होली आई
रंग-बिरंगी होली आई।
तितली
रंग-बिरंगे पंखों वाली
नाज़ुक-नाज़ुक पंखों वाली
फूल-फूल पर उड़ने वाली
देखो-देखो तितली आई।
भेद-भाव से दूर है रहती
हम बच्चों के मन को भाती
हाथ कभी न वह आ पाती।
क्यारी-क्यारी उड़ती-फिरती
ख़ुशबू उसका मन हर लेती
शोर कभी भी वह न करती
सद हवा से बातें करती।
- बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-110092 // फ़ोन : 011 22166598
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