अविराम ब्लॉग संकलन : वर्ष : 3, अंक : 09-10 : मई-जून 2014
।। जनक छंद ।।
मुखराम माकड़ ‘माहिर’
जनक छन्द
01.
खारी सच्ची आक-सी
दीपक बुझते प्रीत के
कहना कभी न आग-सी
02.
चमक-दमक आकाश में
पेड़ उड़े तूफान में
धान बहे अब बाढ़ में
03.
राम देवता चरित के
कृष्ण देवता ज्ञान के
भगवन भूखे भाव के
04.
माया आई हाथ में
भूला कच्ची कोठरी
तिनका तिनका साथ में
05.
सच भूखे की रोटियां
शिवम् नंगे का कपड़ा
सुन्दर जग की कोठियां
06.
पछतावा मिटता नहीं
जपिये चाहे नाम हरि
मुरझाया खिलता नहीं
।। जनक छंद ।।
सामग्री : इस अंक में मुखराम माकड़ 'माहिर' के जनक छंद।
मुखराम माकड़ ‘माहिर’
जनक छन्द
01.
खारी सच्ची आक-सी
दीपक बुझते प्रीत के
कहना कभी न आग-सी
02.
चमक-दमक आकाश में
पेड़ उड़े तूफान में
धान बहे अब बाढ़ में
03.
राम देवता चरित के
कृष्ण देवता ज्ञान के
भगवन भूखे भाव के
छाया चित्र : अभिशक्ति |
माया आई हाथ में
भूला कच्ची कोठरी
तिनका तिनका साथ में
05.
सच भूखे की रोटियां
शिवम् नंगे का कपड़ा
सुन्दर जग की कोठियां
06.
पछतावा मिटता नहीं
जपिये चाहे नाम हरि
मुरझाया खिलता नहीं
- विश्वकर्मा विद्या निकेतन, रावतसर, जिला- हनुमानगढ़ (राज.)// मोबाइल: 09785206528
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